भारत और इंडोनेशिया की साझ
गत दिवस 26 जनवरी को भारत के 76वें गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो मुख्य मेहमान के तौर पर यहां आए थे, जहां तक दोनों देशों के संबंधों की बात है, यह दशकों से बेहद मित्रता भरपूर बने रहे हैं। इंडोनेशिया को 17 अगस्त, 1945 को आज़ादी मिली थी और भारत 15 अगस्त, 1947 को आज़ाद हुआ था। उसके बाद यहां के राष्ट्रपतियों, जैसे कि सुकर्णो और सुहार्तो ने भारत की यात्राएं की, जो उस समय बड़ी चर्चा का विषय बनी रही थीं। एक तथ्य यह भी है कि इंडोनेशिया दुनिया भर में मुस्लिम जनसंख्या वाला सबसे बड़ा देश है। भारत मुस्लिम जनसंख्या वाला तीसरा बड़ा देश माना जाता है। दोनों देशों के आपसी संबंध अनेक कारणों के कारण समय-समय पर और भी मज़बूत होते रहे हैं। पिछले समय में चीन दुनिया भर के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चुनौती बना रहा है। वह दक्षिण चीन सागर के बहुत से हिस्से पर अपना अधिकार जमा रहा है, जिससे इस क्षेत्र के दर्जनों देश प्रभावित हुए हैं। इंडोनेशिया भी इन देशों में से एक है। वह 10 आसियान देशों, जिनमें मलेशिया, थाईलैंड, ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, वियतनाम, लाओस और सिंगापुर शामिल हैं, में से एक सदस्य है और इस मामले के उपरांत भारत का बड़ा भागीदार भी रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में दोनों नेताओं की मुलाकात के समय यह कहा था कि दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय कानून अनुसार हिंद प्रशांत क्षेत्र में यातायात को प्राथमिकता देते हैं, जबकि चीन ने इस संबंधी आक्रामक रुख धारण किया हुआ है, जिसके लिए यह ज़रूरी है कि अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करते हुए समुद्री कानूनों पर क्रियान्वयन सुनिश्चित बनाया जाए। दोनों देशों की बड़ी भागीदारी इस बात से भी ज़ाहिर है कि इस दौरे के दौरान दोनों देशों में 450 मिलियन डॉलर (3889 करोड़ रुपये) के समझौते हुए हैं। इसके अतिरिक्त इंडोनेशिया ने भारत से क्रूज़ मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ को खरीदने का समझौता भी किया है। भारत के लिए यह बात इस कारण भी महत्वपूर्ण है कि इससे पहले ‘ब्रह्मोस’ मिसाइलों को फिलीपींस ने भी खरीदा था। इसके साथ-साथ ही इंडोनेशिया भारत के साथ ‘ध्रुव हैलिकॉप्टर’ तथा ‘आकाश एयर डिफैंस सिस्टम’ संबंधी भी समझौता कर रहा है। इसके साथ-साथ दोनों देशों में स्वास्थ्य, संस्कृति, शिक्षा तथा समुद्री सुरक्षा प्रबंधों के संबंध में भी समझौते हुए हैं।
भारत के गणतंत्र दिवस की परेड में लगभग साढ़े तीन सौ इंडोनेशिया के सैनिकों की विशेष टुकड़ी ने भाग लिया है। भारत की विदेश नीति का यह अहम पहलू रहा है कि इसने अपने क्षेत्र के तथा अपने पड़ोसी देशों के साथ सहयोग तथा मित्रता का हाथ बढ़ाया है। चाहे आज बांग्लादेश, श्रीलंका तथा मालदीव अपने-अपने देशों की आंतरिक राजनीतिक परिस्थितियों के कारण इसके साथ दूरी पर खड़े दिखाई दे रहे हैं। पाकिस्तान के साथ भारत की उसके जन्म से ही दुश्मनी वाली वार्ता बनी रही है, परन्तु आज विदेश नीति के क्षेत्र में जिस प्रकार भारत संतुलन बना कर चलने का प्रयास कर रहा है, उसे अनुकरणीय अवश्य कहा जा सकता है। इस पक्ष से गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति का दौरा बड़ा ऐतिहासिक महत्व रखता है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द