विज्ञान के दो जादुई ट्रिक्स

बच्चो! आज तुम्हें मैं एक नहीं बल्कि दो प्रयोग करना सिखाऊंगा। यह दोनों ट्रिक्स आपको जादू सी लगेंगी, लेकिन यह कोई जादू नहीं बल्कि विज्ञान है और मैं इनके पीछे का विज्ञान भी बताने जा रहा हूं। इन मज़ेदार प्रयोगों में तुम सीखोगे पानी से भरे बैग में पेंसिल को आर-पार कर दिया जाता है फिर भी पानी लीक होकर बाहर नहीं गिरता। दूसरे प्रयोग में आप एक सुई एक फूले हुए गुब्बारे में घुसा दोगे और वह न फटेगा और न ही हवा उसमें से बाहर निकलेगी। है न मज़ेदार बात। दिलचस्प बात यह है कि यह दोनों प्रयोग घरेलू वस्तुओं से ही हो जायेंगे। 
यह प्रयोग आपको असंभव से लग रहे होंगे। लेकिन यह विज्ञान की दुनिया है, जिसमें दबाव पड़ने पर मटेरियल अलग-अलग तरह से व्यवहार करते हैं। आइये अब बिना देरी किये प्रयोगों की तरफ चलते हैं।
पहले प्रयोग के लिए हमें ज़िपलॉक बैग, पानी व बहुत नुकीली पेंसिलों की ज़रुरत होगी। बैग को आधा पानी से भर लो। अब ध्यानपूर्वक नुकीली पेंसिल को बैग की एक साइड में घुसा दीजिये और उसे दूसरी साइड से बाहर निकाल दीजिये। इस बात का ख्याल रखें कि प्लास्टिक फटे नहीं। 
क्या हो रहा है? प्लास्टिक बैग के मॉलिक्यूल लचीले होते हैं और पेंसिल की चिकनी सतह के इर्दगिर्द टाइट सील बना लेते हैं। इससे पानी लीक नहीं होता है। इसमें जादू प्लास्टिक की संरचना में है, जो कि खिंचकर, बिना फटे पेंसिल के इर्दगिर्द चिपक जाती है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि कोई नुकसान पहुंचाये बिना पेंसिल बैग को पार कर गई है।
दूसरे प्रयोग के लिए हमें गुब्बारे, सुई व स्कॉच टेप की ज़रुरत पड़ेगी। गुब्बारे में हवा भरने के बाद उसके मुंह को बांध दो ताकि हवा बाहर न निकले। अब अंग्रेजी के एक्स की तरह स्कॉच टेप के दो टुकड़े गुब्बारे पर चिपका दो। इसके बाद बहुत आहिस्ता से एक्स के बीच में सुईं को गुब्बारे में घुसा दो। देखो! गुब्बारा जैसा था वैसा ही रहता है, न फटता है और न उसमें से हवा बाहर निकलती है। 
यह क्यों हो रहा है? आमतौर से तो गुब्बारे में सुई चुभाते ही वह तुरंत फट जाता है। लेकिन स्कॉच टेप गुब्बारे के फैलने को धीमा कर देती है और जहां सुई घुसती है वहां लेट्क्स को फटने नहीं देती, जिससे गुब्बारा कुछ समय के लिए जैसा था वैसा ही रहता है। आखिरकार गुब्बारे के अंदर हवा का दबाव टेप पर हावी हो जायेगा और गुब्बारा फट जायेगा, लेकिन उसका देर से फटना जादू सा प्रतीत होता है।
इस जादू के पीछे का विज्ञान क्या है? यह दोनों प्रयोग इस बात की जांच करते हैं कि पंक्चर किये जाने पर मटेरियलों की प्रतिक्रिया किस प्रकार की रहती है। बैग में प्लास्टिक पर्याप्त लचीली थी कि पेंसिल के इर्दगिर्द चिपककर सील बन गई, जिससे पानी बाहर नहीं निकला। स्कॉच टेप ने गुब्बारे की सतह को मज़बूत कर दिया, जिससे पंक्चर होने के बाद उसमें खिंचाव धीरे-धीरे आया और गुब्बारा देर से फटा। दोनों प्रयोग बताते हैं कि मटेरियल के मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर के कारण दबाव पर क्या प्रतिक्रिया रहती है और आश्चर्यजनक नतीजे सामने आते हैं। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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