बहुत बड़ा खतरा है 16 अरब डेटा लीक होना
आप किसी काम में लगे होते हैं, तभी आपके वॉट्सऐप पर एक ऑनलाइन गेम का लिंक आता है या आपके मोबाइल पर किसी रियल इस्टेट कंपनी का घर खरीदने के लिए मैसेज आता है। आम तौर पर आप उसे इग्नोर कर देते हैं, लेकिन ऐसे मैसेज और वॉट्सऐप अगर बंद नहीं होते और लगातार बढ़ते जाते हैं तो ऐसा हो सकता है कि आप भी ऐसे सोशल मीडिया यूजर्स में शामिल हों, जिनका डेटा लीक हुआ है। आज से चार वर्ष पहले दुनिया के 106 देशों में रहने वाले फेसबुक के 53.3 करोड़ यूजर्स का डेटा लीक हो गया था। अब बार फिर डेटा लीक होने का महाप्रकरण सामने आ रहा है। इस बार यह संख्या 16 अरब पर पहुंच गई है। चौकाने वाली बात यह कि आम आदमी की निजता, सुरक्षा के लिए खतरनाक डेटा लीक प्रकरण को लेकर सम्बंधित कम्पनियों पर कोई संख्त कार्रवाई अब तक किसी देश की सरकार द्वारा नही की गई। पहले लीक हुए डेटा के मुकाबले इस बार लीक डेटा इसलिए खतरनाक है क्योंकि इसमें यूजर्स के नाम, ईमेल आईडी, फेसबुक आईडी के साथ ही मोबाइल नंबर, घर का पता, जन्मतिथि, कार्यस्थल की जानकारी और अकाउंट बनाने की तारीख जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां भी डेटा चोरों को मिल गई हैं।
जानकारी के अनुसार यह डेटा बॉट (एक कंप्यूटराइज्ड रोबोट) की मदद से लीक किया गया। डेटा लीक का सबसे ज्यादा विवादित मामला 2018 में हुआ कैंब्रिज एनालिटिका स्कैंडल था, जिसमें राजनीतिक पार्टियों को सुझाव देने और उनके लिए रणनीति बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक पर एक पर्सनालिटी क्विज ऐप के जरिए करीब 8.7 करोड़ लोगों की निजी जानकारी हासिल कर ली थी। उस समय डेव वॉकर ने कहा था, इस मामले में भी फेसबुक को माफ करना इसलिए मुश्किल है क्योंकि इस गड़बड़ी के बारे में 2017 में ही फेसबुक को आगाह किया गया था। तब फेसबुक ने इसे नकार दिया था। इस घटना के दो साल बाद ही किसी ने 53.3 करोड़ लोगों का डेटा चुरा लिया यानी करीब 20 प्रतिशत फेसबुक यूजर्स का डेटा चोरी हुआ। बता दें कि 31 दिसम्बर, 2020 तक दुनिया भर में फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे लोगों की संख्या 280 करोड़ थी। यह केवल एक सोशल मीडिया साइड का मामला था।
यानि यह कहने में कोई गुरेज नहीं होनी चाहिए कि गूगल, फेसबुक और एप्पल सहित तमाम कंपनियों ने अपनी लापरवाही से आपकी सारी निजी जानकारी गलत हाथों में पड़ जाने का खतरा पैदा कर दिया है। अपराधी इसका कैसा इस्तेमाल करेंगे और उसका आपके जीवन पर कैसा असर होगा यह सोच कर ही रूह कांप जाती है। कल तक जो आशंका मात्र थी वह अब भयावह सच में बदलने जा रही है। साइबर विशेंषज्ञों के अनुसार अरबों की संख्या में ‘लॉग इन क्रेडें़शियल लीक होने के बाद ऑनलाइन डेटासेट में संकलित हो गए है, जिससे अपराधियों को उपयोगकर्ताओं के खातों तक पहुंच मिल गई है। इससे न बैंक खाते सुरक्षित रहेंगे और न आपकी अन्य निजी जानकारियां जैसे चिकित्सकीय इत्यादि का ब्यौरा। हर वह खाता खतरे में है जिसे आप कंप्यूटर या मोबाइल पर किसी काम के लिए बनाते हैं। आपके ईमेल के जरिए किए गए संवाद व पत्र व्यवहार अपराधियों की जद में होंगे। आपकी ऑनलाइन खरीदी, रुचियां और अन्य कार्य अपराधियों की जानकारी में होंगे। वे आपको धमका सकते है। ब्लैकमेल कर सकते है। वैसे भी इस तरह के अपराध पिछले कुछ समय से तेज़ी से सामने आए है। यहां तक कि आपको आत्मघाती कदम उठाने पर भी मजबूर कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने फिलहाल 30 डेटासेट का पता लगा है। जिनमें से प्रत्येक में बड़़ी संख्या में लॉग इन जानकारी दी गई है। कुल मिला कर 16 अरब से अधिक लॉग इन जानकारियां लीक हुई है। जिनमें गूगल, फेसबुक और एप्पल समेत कई लोकप्रिय प्लेटफॉर्म के उपयोगकर्ताओं के पासवर्ड शामिल हैं। इतनी लाग इन जानकारियां लीक हो चुकी हैं जो दुनिया की आबादी के दो गुने से भी ज्यादा हैं। इसका मतलब हुआ कि प्रभावित उपभोक्ताओं के एक से अधिक खातों की जानकारी लीक हुई है। चौंकाने वाली बात यह है कि लॉगइन जानकारी लीक होने की सूचना किसी एक स्रोत से नहीं आई है यानी ऐसा नहीं है कि किसी एक कंपनी को निशाना बना कर जानकारी लीक गई हो। लगता है कि अलग-अलग समय पर डेटा चुराया गया और इकट्ठा लीक किया गया। इसके लिए कई तरह के इंफोस्टीलर्स इसके लिए सबसे अधिक ज़िम्मेदार हैं। ‘इंफोस्टीलर ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो पीड़़ित के डिवाइस या सिस्टम में सेंध लगा कर संवेदनशील जानकारी चुरा लेता है। लीक हुए डेटा का इस्तेमाल करके कई अपराध किए जा सकते हैं। लोगों के फोन नंबर और तमाम जानकारियां आम होने से करोड़ों लोगों की निजता खत्म हो गई है। विशेषज्ञ कहते हैं कि लीक हुए डेटा का इस्तेमाल लोगों को झांसा देने, मैसेज में स्पैम भेजने, मार्केटिंग से जुड़े फोन और टारगेटेड एडवरटाइजिंग के लिए किया जा सकता है। इससे भी ज्यादा खतरनाक बात है कि इन फोन नंबर का इस्तेमाल किसी व्यक्ति की निशानदेही के लिए किया जा सकता है। ऑनलाइन पेमेंट के साथ ज्यादातर डिजिटल सर्विस के लिए अब फोन नंबर की ज़रूरत होती है, जिस पर वेरिफिकेशन कोड भेजा जाता है।
विशेषज्ञों के अुनसार सबसे ज्यादा नुकसान राजनीतिज्ञों को, सेलिब्रिटीज को, लॉ इन्फोर्समेंट अधिकारियों को, जजों को और उन्हें होगा, जिनका पार्टनर उनका शोषण करता रहा है। अब तक ज्यादातर लीक के मामलों में यह देखा गया है कि हैकर डेटा को मार्केटिंग की सहूलियत के हिसाब से अलग-अलग भाग में बांट लेते हैं। जैसे चोरी किए गए डेटा को शहरों, उम्र, लिंग और खर्च करने की क्षमता के हिसाब से बांट लिया जाता है और इसके बाद इन्हें कंपनियों या राजनीतिक दलों को बेच दिया जाता है। उन्होंने बताया, ‘साइबर अपराधी अक्सर हिट एंड रन प्रोफाइल का इस्तेमाल भी करते हैं यानी वे मोबाइल नंबर का इस्तेमाल यूजर आईडी या पासवर्ड के तौर पर करके किसी की प्रोफाइल हैक कर लेते हैं और फिर इसे छुड़ाने के लिए फिरौती की मांग करते हैं।