विधानसभा उप-चुनाव नतीजों से भाजपा की चिंता बढ़ी

चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उप-चुनाव के नतीजों से संकेत मिलता है कि भाजपा के लिए चिंता का विषय है, ऐसे समय में जब पार्टी को खुद को मज़बूत करने की सख्त ज़रूरत है। जिन चार राज्यों में उप-चुनाव हुए हैं। 
उनमें गुजरात, केरल, पंजाब और पश्चिम बंगाल हैं। चूंकि केरल में विधानसभा का कार्यकाल 23 मई, 2026 को, पश्चिम बंगाल में 7 मई, 2026 को, पंजाब में 16 मार्च, 2027 को और गुजरात में 19 दिसंबर, 2027 को समाप्त होना है। इसलिए चुनाव के नतीजों का खास महत्व है। 
केरल का नीलांबर उप-चुनाव माकपा समर्थित निर्दलीय विधायक पी.वी. अनवर के इस्तीफे के कारण करवाना पड़ा। इस बार माकपा ने अपना उम्मीदवार एम. स्वराज को मैदान में उतारा था, जो कांग्रेस उम्मीदवार आर्यदान शौकत से 11,077 वोटों से हार गये। कांग्रेस उत्साहित है क्योंकि उसने 77737 वोट हासिल करके सीट जीती है।
केरल भाजपा के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह राज्य में अपनी राजनीतिक पैठ जमाने की पूरी कोशिश कर रही है। भाजपा उम्मीदवार ने 2021 के चुनाव में 8595 वोट हासिल किए थे, लेकिन इस बार उसे 8648 वोट ही मिल सके। इसका मतलब है कि अपने सघन प्रयासों के बावजूद वह केवल 53 वोट ही बढ़ा पायी। राज्य में खुद को मज़बूत करने का भाजपा का सपना टूट गया है।
गुजरात की दो विधानसभा सीटें विसावदर और कादी भाजपा के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि पार्टी 1998 से लगातार राज्य पर शासन कर रही है और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है। दो सीटों में से भाजपा एक सीट पर ‘आप’ से हार गई, जो दर्शाता है कि राज्य में प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा का प्रभाव कम होना शुरू हो गया है। 
सबसे पहले विसावदर सीट की बात करते हैं, जहां ‘आप’ विधायक भूपेंद्र भयानी के सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने के बाद उप-चुनाव हुए। ‘आप’ के उम्मीदवार इटालिया गोपाल ने फिर भी भाजपा के उम्मीदवार किरीट पटेल को हरा कर यह सीट जीत ली। 
‘आप’ उम्मीदवार को 75942 वोट मिले जबकि भाजपा को 58388 वोट मिले। यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है और भाजपा के लिए अधिक चिंताजनक है, क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में उसे मिले 59147 वोट से उसके वोट में गिरावट आयी है। भाजपा के लिए अतिरिक्त चिंता ‘आप’ के वोट में तेज वृद्धि है, जिसने पिछले विधानसभा चुनाव में 66210 वोट हासिल किये थे। 
गुजरात की कादी विधानसभा सीट पर भाजपा ने कांग्रेस उम्मीदवार को 39452 मतों के अंतर से हराया है। भाजपा विधायक करशन सोलंकी के निधन के बाद इस सीट पर उप0चुनाव कराना पड़ा। भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र कुमार दानेश्वरचावड़ा को 99742 वोट मिले जबकि कांग्रेस उम्मीदवार रमेशभाई चावड़ा को 60290 वोट मिले। आप उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा। सभी दलों के वोट में सामान्य गिरावट को मतदान प्रतिशत में सामान्य गिरावट से समझाजा सकता है। फिर भी  ‘इंडिया’ ब्लॉक को यह सबक सीखना चाहिए कि अगर वे एकजुट होते हैं तो वे गुजरात में भी भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकते हैं, जो भाजपा के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।  पंजाब में लुधियाना पश्चिम सीट पर भी जीत हासिल की है। आप के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा ने यहां जीत हासिल की। ‘आप’ विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी के निधन के बाद इस सीट पर उप-चुनाव करवाना पड़ा। आप उम्मीदवार को 35179 वोट मिले जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 24542 वोट मिले। इससे यह संकेत मिलता है कि ‘आप’ अभी भी कांग्रेस से आगे है। भाजपा के उम्मीदवार जीवन गुप्ता को केवल 20323 वोट मिले। इस सीट पर 2022 के चुनाव की तुलना में सभी दलों के वोट में सामान्य गिरावट आयी है, लेकिन कांग्रेस और भाजपा के वोट में गिरावट ‘आप’ के मुकाबले ज्यादा तेज है। 
भाजपा और कांग्रेस के पास पंजाब में अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित होने के कारण हैं। यह शिरोमणि अकाली दल पर भी लागू होता है, जिसे 2022 में 10072 वोटों के मुकाबले इस बार केवल 8203 वोट मिले हैं।
पश्चिम बंगाल में कालीगंज विधानसभा सीट पर उप-चुनाव है। टीएमसी विधायक नसीरुद्दीन अहमद की मृत्यु के बाद इस सीट पर उप0चुनाव हुआ। भाजपा ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी को सत्ता से बेदखल करने की पूरी कोशिश कर रही है जो इस उप-चुनाव के परिणाम को महत्वपूर्ण बनाता है। टीएमसी उम्मीदवार अलीफा अहमद ने 50,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की। चुनाव परिणाम बताते हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी राज्य की राजनीति दबदबा है, भले ही भाजपा सरकार उसे हटाने की बातें कर रही हो।
केरल में अप्रैल/मई 2026 में विधानसभा चुनावों से पहले इस साल के अंत तक पंचायत चुनाव होने हैं, पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले कोई अन्य चुनाव नहीं है। इसलिए टीएमसी की जीत पार्टी नेतृत्व को विधानसभा चुनावों के लिए सकारात्मक अभियान को आगे बढ़ाने में मदद करेगी। (संवाद)

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