दिमाग के दौरे से रहें सावधान

आज तक हम सब ने साइलेंट दिल के दौरों के बारे में सुना है लेकिन यह बहुत कम लोग जानते हैं कि इंसान को कभी-कभी साइलेंट दिमाग के दौरे भी होते हैं। ये दौरे अक्सर बड़े-बूढ़े लोगों को ज्यादा होते हैं।यह साइलेंट दिमाग का दौरा केवल एक बार नहीं, कई बार हो सकता है। ऐसे दौरों की सबसे खतरनाक बात यह है कि इसमें कोई ऐसे लक्षण नहीं दिखाई देते जैसे सिरदर्द, जी घबराना, चक्कर आना इत्यादि जो साइलेंट दिल के दौरे के समय आ सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यदि ऐसे दौरों को ठीक समय पर न रोका गया तो वे दिमाग पर एक गहरी छाप डाल देते हैं जिससे आपके दिमाग को बहुत नुकसान हो सकता है। प्रसिद्ध मस्तिष्क रोग विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी अक्सर 40 वर्ष से ऊपर के लोगों में ज्यादा पाई गई है और इसका एक लक्षण हो सकता है याददाश्त खोना या कम होना। यदि आपको याददाश्त खोने या कम होने के ज्यादा दौरे आ रहे हैं तो आपको इसकी जांच करवा लेनी चाहिए।  इसके होने के कारण लगभग वही हैं जो दिल के दौरे के होने के कारण हैं जैसे अधिक तेलयुक्त भोजन, ज्यादा मांसाहारी भोजन, शरीर को सुस्त रखने की आदत, सिगरेट अधिक पीना, ज्यादा शराब पीना आदि। अफसोस की बात तो यह है कि भारत में यह साइलेंट दिमाग के दौरे ज्यादा कम उम्र वाले लोगों में भी होने लगे हैं और ऐसे दौरों में धीरे-धीरे आपकी बुद्धि कम होती जाती है। बढ़ता तनाव भी इस बीमारी के बढ़ने का कारण है।  यदि इस बीमारी के बारे में जल्द पता लग जाए तो दिमाग को ज्यादा नुकसान पहुंचने से रोका जा सकता है। यदि 40-50 वर्ष की उम्र के लोगों में ज्यादा तनाव नजर आए और वे गुमसुम, अकेले और अवसाद के शिकार हों तो उन्हें केवल मानसिक तौर से बीमार न समझें। उनकी सही जांच करवाएं, जिससे पता चले कि कहीं उन्हें दिमाग का दौरा तो नहीं पड़ा?कभी-कभी साइलेंट दिमाग के दौरे डायबिटिज और ज्यादा मोटापे की वजह से हो सकते हैं। इन कारणों से शरीर में क्लाट बन जाते हैं और यदि इनमें से एक भी दिमाग में चला गया तो दिमाग के रक्त के बहाव में रूकावट आ सकती है और इससे न केवल साइलेंट दिमाग का दौरा बल्कि और कई खतरनाक बीमारियां जैसे अधरंग आदि भी पैदा हो सकती हैं। इसलिये डॉक्टरों ने सभी को सावधानी बरतने को कहा है।  जिन बातों का ध्यान आप अपना दिल स्वस्थ रखने के लिए रखते हैं, उन्हीं बातों का ध्यान आपको इसके लिए भी रखना चाहिए जैसे ज्यादा वजन न बढ़ाना, कम तेलयुक्त भोजन लेना, नित्य हल्का व्यायाम करना या सैर पर जाना, रात को हल्का भोजन लेना, तनाव कम करना सिगरेट व शराब कम करना आदि। तनाव ही एक ऐसा कारण है जो इस बीमारी के लिए काफी जिम्मेदार है, अत: इन परिस्थितियों से सावधान रहें। 

-अम्बिका