बच्चों को टाइम मैनेजमेंट सिखाता है होमवर्क

पहली कक्षा में पढ़ने वाला बच्चा हो या 10वीं, 12वीं का, या फिर किसी कोचिंग संस्थान में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगा स्टूडेंट, होमवर्क सभी को मिलता है। जिसे एक निश्चित समय पर उसे पूरा करके देना होता है। गर्मी की इन छुट्टियों में बच्चों को दिया जाने वाला होमवर्क भी पैरेंट्स के लिए कई मुश्किलें खड़ी करता है। होमवर्क में दिया गया प्रोजेक्ट वर्क के लिए बच्चों को ही नहीं पैरेंट्स को भी काफी मेहनत करनी पड़ती है। अकसर पैरेंट्स की यह शिकायत होती है कि नर्सरी और केजी के बच्चों को गर्मी की छुट्टियों में इतना ज्यादा होमवर्क दिया जाता है कि बच्चे छुट्टियों को खुलकर एंज्वाय ही नहीं कर पाते। कई पैरेंट्स छुट्टियों में होमवर्क को गैरजरूरी मानते हैं। दरअसल होमवर्क का बहुत महत्व है और छुट्टियों में दिये जाने वाले इस होमवर्क के जरिये बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं। 
ज़िम्मेदारी की भावना
होमवर्क से बच्चों में ज़िम्मेदारी की भावना विकसित होती है। नियमित रूप से होमवर्क करने से वे अनुशासन भी सीखते हैं। बच्चे स्कूल से घर आकर खाना खाने, टीवी देखने और खेलने-सोने के बीच होमवर्क के लिए भी समय निकालना, सीखने लगते हैं। यह टाइम मैनेजमेंट की पहली सीढ़ी है जो जीवन भर काम आती है। होमवर्क के द्वारा बच्चे चीजों को प्राथमिकता देने की स्किल में माहिर होते हैं। 
पढ़ने की रुचि जगाएं
अक्सर बच्चे क्लास में जो कुछ पढ़ाया जाता है, उसे ध्यान से नहीं पढ़ते, यहां तक वह कक्षा में भी टीचर जो पढ़ा रहा है, उसे नहीं सुनते। बच्चों को पढ़ाया गया विषय अच्छी तरह से समझ आए इसलिए उन्हें होमवर्क दिया जाता है ताकि वह अपने टॉपिक को अच्छी तरह से 
समझ सकें। 
माता-पिता की भागीदारी
होमवर्क के लिए जब बच्चे माता-पिता के पास जाते हैं तो उन्हें एहसास हो जाता है कि बच्चे को कितना समझ में आ रहा है और उसे अपनी पढ़ाई में किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 
बच्चे की पढ़ाई के विषय में तभी पैरेंट्स जागरूक बन पाते हैं और पैरेंट्स-टीचर मीटिंग के दौरान उन्हें बच्चे के विषय में अगर बहुत कुछ पता हो तो वे आसानी से उसकी समस्याओं पर बात कर सकते हैं। इसलिए माता-पिता को बच्चे के होमवर्क को बोझ नहीं समझना चाहिए और इससे बच्चों का ही फायदा होता है, इस बात को जहन में रखना चाहिए।
...ताकि बच्चा करे होमवर्क
* बच्चे के होमवर्क को बोझ समझकर मत निपटाइए। जब आपको दृष्टिकोण ऐसा होगा तो बच्चे को भी होमवर्क करने में झुंझलाहट होगी।
*  होमवर्क कराने के लिए एक खास समय निर्धारित कर लें। अगर आप ऑफि स में हैं तो फोन करके बच्चे से होमवर्क के बारे में जानकारी लीजिए। इससे उसे महसूस होगा कि आपको सचमुच उसके होमवर्क की फिक्र है, वह भी इसे गंभीरता से लेगा।
*  अगर उसे होमवर्क करने में बोरियत हो रही है तो उसे बताइए कि वह पढ़ाई के बाद खेलने जा सकता है या फिर अपना मनपसंद कार्टून प्रोग्राम देख सकता है।
* बच्चे को होमवर्क में अच्छे रिमार्क्स मिलते हैं तो खुलकर उसकी प्रशंसा कीजिए, इससे उसका उत्साह बढ़ता है।
*  समय-समय पर बच्चे की क्लास टीचर से मिलती रहें। इस बात को जानने का प्रयास करें कि उनकी बच्चे से क्या उम्मीदें हैं?
*  बच्चे के पढ़ने की टेबल करीने से लगाएं। उसके जरूरत की चीजें शार्पनर, पेंसिल, इरेजर उपलब्ध होनी चाहिए।
* होमवर्क इस तरह का होना चाहिए जो बच्चे को पढ़ने और सीखने के लिए प्रेरित करे, बच्चे की पढ़ाई में रूचि को विकसित करे। 
* जब बच्चा होमवर्क कर रहा हो तब माहौल उसके अनुरूप बनाकर रखें। आप म्यूजिक सुनने, फेसबुक पर एक्टिव रहने या टीवी देखने में मशगूल न हो जाएं।
* छोटे बच्चे लगातार आधे घंटे से ज्यादा नहीं पढ़ सकते। उन्हें बीच-बीच में ब्रेक दें।
* माता-पिता को बच्चों को होम वर्क करवाते समय हमेशा अपने पास बिठाना चाहिए।

—नीलम अरोड़ा