राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद ज़मीन विवाद से जुड़े  घटनाक्रम

1528 -  ऐसा माना जाता है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट बाबर के गर्वनर मीर तकी ने करवाया था। इस कारण इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था।
1859   बाद में ब्रिटिश शासकों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी  थी और परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिन्दुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दे दी।
1885  - निर्मोही अखाड़े के महंत रघुबर दास ने राम चबूतरे पर मंदिर निर्माण की अनुमति के लिए मुक़दमा किया था और अदालत से मांग की थी कि चबूतरे पर मंदिर बनाने की इजाजत दी जाये। यह मांग खारिज हो गई थी।
1946  -मस्जिद शियाओं की है या सुन्नियों की और इसको लेकर विवाद उठा और बाद में यह फैसला हुआ कि बाबर सुन्नी था, इसलिए मस्जिद सुन्नियों की  है।
1949 -   जुलाई में प्रदेश सरकार ने मस्जिद के बाहर राम चबूतरे पर राम मंदिर बनाने की कवायद शुरू की, लेकिन यह भी नाकाम रही। 22-23 दिसम्बर 1949 की मध्य रात्रि को मस्जिद में राम सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां रख दी गईं। उसके बाद  29 दिसम्बर को यह विवादित संपत्ति कुर्क कर ली गई और वहां रिसीवर बिठा दिया गया।
1950 - गोपाल दास विशारत ने 16 जनवरी को अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। उनकी दलील थी कि मूर्तियां वहां से न हटें और पूजा बेरोकटोक हो। निचली अदालत ने कहा   कि  मूर्तियां नहीं हटेंगी, लेकिन ताला बंद रहेगा और पूजा केवल पुजारी करेगा। जनता बाहर से दर्शन करेगी।
1959  -निर्मोही अखाड़ा अदालत पहुंचा और सेवादार के नाते विवादित जमीन पर अपना दावा पेश किया।
1961 - और बाद में सुन्नी सैंट्रल वक्फ बोर्ड ने अदालत में मस्जिद पर दावा पेश किया।
1986 - फैजाबाद में 1 फरवरी को ज़िला जज ने जन्मभूमि का ताला खुलवाकर पूजा की अनुमति दे दी।
1986 - कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाने का फैसला हुआ।
1990- भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता  लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा शुरू की। इससे अयोध्या में राम मंदिर बनवाने को लेकर एक जुनून पैदा किया गया, जिसके परिणाम स्वरूप गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गये। कई इलाके कर्फ्यू की चपेट में आ गए, लेकिन श्री आडवाणी को 23 अक्टूबर को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने गिरफ्तार करवा दिया।
1990 -अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के लिए पहली कारसेवा हुई थी। कारसेवकों ने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया था, इसके बाद दंगे भड़क गये।
1991   जून में आम चुनाव हुए और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई।
1992 -  30-31 अक्तूबर को धर्म संसद में कारसेवा की घोषणा हुई।
1992  -  नवम्बर में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया।
6 दिसम्बर 1992 -  लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद ढहा दी। कारसेवक 11 बजकर 50 मिनट पर मस्जिद के गुम्बद पर चढ़े। करीब 4.30 बजे मस्जिद का तीसरा गुम्बद भी गिर गया जिसकी वजह से देश भर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे।
2002  -  अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अयोध्या समिति का गठन किया। वरिष्ठ अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को हिन्दू और मुसलमान नेताओं के साथ बातचीत के लिए नियुक्त किया गया। विश्व हिन्दू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी।
2003  इलाहाबाद उच्च न्यायालय  ने 2003 में झगड़े वाली जगह पर खुदाई करवाई ताकि पता चल सके कि क्या वहां पर कोई राम मंदिर था। जून महीने तक खुदाई चलने के बाद आई रिपोर्ट में कहा गया है कि उसमें मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष मिले हैं।
2004  -  अडवाणी ने अयोध्या में अस्थायी राम मंदिर में पूजा की और कहा कि मंदिर का निर्माण ज़रूर किया जाएगा।
2017  -  राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की पेशकश की।  तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने कहा था कि अगर दोनों पक्ष राजी हो तो वह कोर्ट के बाहर मध्यस्थता करने को तैयार हैं।
2019 -   सुप्रीम कोर्ट ने अपने सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफएम आई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में मध्यस्थता समिति गठित की, जिसमें आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और मध्यस्थता मामलों के जाने माने वकील  श्रीराम पंचू भी सदस्य थे।
2019 -   मध्यस्थता समिति ने रिपोर्ट सौंपी और कहा कि मध्यस्थता बेनतीजा रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त से रोज़मर्रा के आधार पर मामले की सुनवाई का निर्णय लिया।