हवा के बाद दिल्ली का पानी हुआ दूषित 

दिल्ली की जहरीली हवा के बाद अब भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने दिल्ली का पानी दूषित होने की जानकारी दी है। दरअसल केंद्र सरकार ने देशभर के 21 शहरों के पानी के नमूने लिए। जांच के बाद खाद्य एवं वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने जानकारी दी कि दिल्ली का पानी सबसे ज्यादा दूषित पाया गया है। पानी की गुणवत्ता परखने के लिए 21 शहरों की रैंकिंग जारी की गई है। इनमें मुंबई, हैदराबाद, भुवनेश्वर, रांची व रायपुर का पानी तो पेयजल की दृष्टि से उत्तम है, लेकिन अमरावती, शिमला, चंडीगढ़, त्रिवेंद्रम, पटना, भोपाल, गुवाहटी, बैंगलुरू, गांधीनगर, लखनऊ, जम्मू, जयपुर, देहरादून, चेन्नई, कोलकाता व दिल्ली का स्थान है। गुणवत्ता के 10 मानकों पर निर्धारित इस जांच में मुंबई का पानी हर स्तर पर खरा पाया है। दरअसल यह जांच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस घोषणा की पूर्ति के लिए कराई गई है, जिसमें 2024 तक हर घर में साफ  पानी पहुंचाने का दावा किया गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में इन दिनों हवा, पानी, अग्नि और धरती का प्रदूषण एक साथ बढ़ रहा है। नतीजतन भू-जल हर स्तर पर दूषित हो रहा है। इस सिलसिले में उच्चतम न्यायालय ने भविष्य की आशंकाओं का अंदाजा लगाते हुए पिछले साल कहा था कि ‘वर्ल्ड वॉर तो छोड़िए, दिल्ली में वाटर वॉर होगा। ‘जल के प्रदूषित होते जाने का एक कारण भू-जल भराव क्षेत्र में कमी आना भी है। केंद्रीय भू-जल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली का भू-जल स्तर प्रत्येक वर्ष 0.5 मीटर से लेकर 2 मीटर से भी ज्यादा की दर से कम हो रहा है। नतीजतन दिल्ली का करीब 90 प्रतिशत क्षेत्र भयावह जलसंकट के मुहाने पर आ खड़ा हुआ है। यदि जल-संग्रह के सार्थक उपाय नहीं किए गए तो तीस साल बाद यहां का भू-जल पीने के लायक ही नहीं रह जाएगा। लेकिन बीआईएस की जो रिपोर्ट आई है, उसने तो वर्तमान पानी की उपलब्धता को भी दूषित माना है। हालांकि पानी की भयावहता की ओर यह पहला संकेत नहीं है। कई मर्तबा उच्चतम न्यायालय पानी की सेहत सुधार के लिए केंद्र एवं दिल्ली सरकार एवं कई सरकारी विभागों को फटकार लगा चुकी है। लेकिन ज़िम्मेदार विभाग और एजेंसी इतने अकर्मण्य व बेशर्म हो गए हैं कि वे हर बार ज़िम्मेवारी एक-दूसरे पर टालकर अपने दायित्व से मुक्ति पा लेते हैं। जबकि समस्या का एकीकृत समाधान निकालने की जरूरत है।
दिल्ली को पानी मुहैया कराने का एकमात्र स्रोत यमुना नदी है। यह नदी दिल्ली वासियों को 40 प्रतिशत जल की आपूर्ति सतही जल से और षेश की आपूर्ति भू-जल भराव क्षेत्र से करती है। आगरा में 60 प्रतिषशत जल की आपूर्ति यमुना जल से होती है। बावजूद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र भीषण जल संकट की ओर बढ़ रहा है, तो इसके लिए दोषी कौन लोग हैं? जमीन के नीचे का जल-भंडार पेयजल और सिंचाई का प्रमुख स्रोत रहा है। पर इसका पुनर्भरण नहीं होने के कारण न केवल दिल्ली, बल्कि पूरे देश में भू-जल स्तर गिर रहा है। इस कारण धरती के नीचे और ऊपर पानी की कमी बनी हुई है। यह कमी नदियों समेत जल के जो भी स्रोत हैं, उन्हें दूषित कर रही है। इस कारण देश की नदियों का जीवनदायी जल अछूत होता जा रहा है। यमुना नदी के पानी की जो ताजा रिपोर्ट आई है, उसके अनुसार नदी जल में अमोनिया की मात्रा इस हद तक बढ़ गई है कि उसे छूना भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इस पानी में अमोनिया की मात्रा खतरे के स्तर को पार कर चुकी है। इस कारण फ रवरी 2016 को दिल्ली के वजीरावाद और चंदावल जल शोधन संयंत्रों को दो दिनों के लिए बंद भी कर दिया गया था। दरअसल दिल्ली क्षेत्र में यमुना में अमोनिया की मात्रा 1.12 पार्टिकल्स पर मिलियन (पीपीएम) तक पहुंच गई थी, जबकि पानी में अमोनिया की मात्रा शून्य होनी चाहिए। जल विशेषज्ञों के मुताबिक अगर पानी में अमोनिया की मात्रा 0.2 पीपीएम भी बढ़ जाती है तो किसी भी शोधन विधि से पानी को पीने लायक नहीं बनाया जा सकता है। बावजूद स्वच्छ भारत अभियान में नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने का आयाम नदारद है।
वर्तमान स्थितियों में प्रदूषण संबंधी तमाम रिपोर्टों के बावजूद यमुना दिल्ली में 25 किलोमीटर और आगरा में 10 किमी लंबे नालों में तब्दील हो चुकी है। अकेली दिल्ली में अनेक चेतावनियों के बावजूद प्रतिदिन 3296 मिलियन गैलन लीटर गंदा पानी और औद्योगिक अवशेष विभिन्न नालों से यमुना में उड़ेले जा रहे हैं। करीब 5600 किमी लंबी सीवर लाइनों से मल-मूत्र बहाया जा रहा है। हालांकि 17 स्थलों पर 30 सीवर ट्रीटमेंट प्लांट क्रियाशील हैं, लेकिन उनकी गंदे मल को स्वच्छ जल में परिवर्तित करने की दक्षता संदिग्ध है। जबकि पानी स्वच्छ करके ही यमुना में छोड़े जाने की पहली शर्त होनी चाहिए ? इस स्थिति में भी कई संयंत्र, कई-कई दिन तक बंद पड़े रहते हैं। हालांकि यमुना को प्रदूषण मुक्त और शुद्ध किए जाने के लिए करीब 15000 करोड़ रुपए अब तक खर्च किए जा चुके हैं। बावजूद नतीजा शून्य ही रहा है।