प्रकृति की शक्ति का प्रतीक...‘न्यागरा फाल्ज़’

नाव जब पानी के झरने के बहुत ही निकट जाकर रुकी तो मैं 187 फुट ऊंचे विशाल झरने के बिल्कुल सामने थी। मेरी ठंडी उंगलियों ने नाव के जंगले को ज़ोर से पकड़ लिया। मैं भय के कारण मौन थी या फिर इसे देख कर अचम्भे के साथ  चुप थी, यह मैं भी नहीं जानती। बस, यही पता था कि मेरे सामने धरती के सम्पूर्ण पानी का पांचवां हिस्सा एक विशाल झरने के रूप में गिर रहा था। इसका प्रवाह इतना तेज़ था कि पानी की दहाड़ के कारण मेरे कान बहरे-से होने लगे थे। ठंडे पानी की ज़ोरदार बौछार के साथ मेरा मुंह गीला हो गया था। दिल ही दिल मैं प्रकृति के इस करिश्मे को देख कर अचम्भित तो थी ही, साथ ही प्रकृति की शक्ति की प्रशंसा और उसे सिजदा भी कर रही थी। सदियों से विश्व के प्रत्येक कोने से लाखों लोग प्रकृति के इस शानदार करिश्मे न्यागरा फाल्ज़ को देखने आते हैं और  हृदय को छू जाने वाले पानी के इस झरने के जादू की अमिट छाप अपने ज़ेहन में ले कर जाते हैं। ‘न्यागरा फाल्ज़’ एक भूगौलिक करिश्मा है। यह विश्व का सर्वाधिक प्रसिद्ध पानी का झरना भी कहलाता है। सबसे पहले इसकी खोज फ्रांसीसी मिशनरी एवं खोजी फादर लुइस हैनीपिन ने 1678 में की थी, जिन्होंने इसका नाम एक स्थानीय आदिवासी कबीले के नाम पर रखा। ‘न्यागरा फाल्ज़’ पानी के तीन झरनों का समूह है—अमरीकन फाल्ज़, ब्राइडल व्हेल फाल्ज़ और सबसे बड़ा हॉर्स शू कैनेडियन फाल्ज़। अमरीकन फाल्ज़ एवं ब्राइडल व्हेल फाल्ज़ अमरीका में हैं परन्तु हॉर्स शू फाल्ज़ अमरीका एवं कैनेडा की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित है। लगभग 12,000 वर्ष पूर्व हिमकाल (आईस एज) के अंत में ग्लेशियरों के पिघलने से जब अमरीका एवं कैनेडा की पांच प्रसिद्ध झीलें (लेक सुपीरियर, लेक इरी, लेक मिशीगन, लेक ओंटारियो एवं लेक हरौन) बनीं, तब लेक इरी से लेक ओंटारियो तक पिघलती हुई बर्फ ने अपना पथ एक नदी के रूप में बनाया, जो आज ‘न्यागरा नदी’ के नाम से प्रसिद्ध है। लेक इरी से लगभग 222 किलोमीटर प्रवाह के बाद न्यागरा नदी का पानी ऊंचाई से एकदम नीचे की ओर गिरता है जो कहलाता है ‘न्यागरा फाल्ज़’। पिछले 12,000 वर्षों से न्यागरा फाल्ज़ अपने वास्तविक स्थान से लगभग 11 किलोमीटर दक्षिण की ओर हो गया है। न्यागरा नदी में पूरी धरती का 20 प्रतिशत ताज़ा पानी मौजूद है तथा इसका प्रवाह 65 किलोमीटर प्रति घंटा है। इतने अथाह पानी के इतने तेज़ प्रवाह से कठोर से कठोर पत्थर भी टूट कर बिखर जाता है। इंजीनियरिंग के कारनामों एवं मानव मस्तिष्क ने क्षरण की इस प्रक्रिया को 10 फुट प्रति वर्ष से घटा कर 30 सैंटीमीटर प्रति वर्ष अर्थात् एक फुट 10 वर्ष में कर दिया है। न्यागरा फाल्ज़ के सबसे निकटवर्ती शहर, अमरीका में ब़फलो है जो यहां से 26 किलोमीटर की दूरी पर है। कैनेडा की ओर से टोरांटो लगभग 67 किलोमीटर दूर है। न्यागरा फाल्ज़ को अमरीका की तरफ से भी और कैनेडा की ओर से भी देखा जा सकता है परन्तु इसका बेहतरीन एवं बढ़िया नज़ारा कैनेडा की ओर से ही है। यदि इन दोनों देशों का वीज़ा हो तो दोनों तरफ से ही इस दृश्य का आनन्द लिया जा सकता है। बस, रेनबो ब्रिज नामक एक पुल को पार करना पड़ता है। इस पुल को पार, पैदल चल कर, कार में अथवा फिर साइकिल पर किया जा सकता है। न्यागरा फाल्ज़ के साथ सटे क्षेत्र को दोनों देशों की सरकारों ने पर्यटकों के मनोरंजन हेतु और भी आकर्षक बना दिया है। यहां के ‘बोटैनिकल गार्डन्ज़’ में फूलों,   पेड़-पौधों की भिन्न-भिन्न किस्में हैं। इसके अतिरिक्त बच्चों के लिए झूले, चिड़िया घर, एक्यूएरियम (जल-जीवशाला) भी बनाए गए हैं। कैनेडा की ओर विशेष आकर्षण के केन्द्र ‘बटरफ्लाई कंज़रवेटरी’  (तितली संरक्षण गृह) तथा ‘फ्लोरल क्लॉक’ (फूलों की घड़ी) हैं। बटरफ्लाई कंज़रवेटरी मेें तितलियों की  लगभग 200 किस्में हैं। यहां लगाए गए फलों, फूलों वाले पौधों के ऊपर मंडराती हुई तितलियों के झुण्डों में घिरे हुए इस प्रकार महसूस होता है जैसे हम स्वर्ग में आ गए हों।‘फ्लोरल क्लॉक’ अपने आप में एक विलक्षण किस्म की घड़ी है। यह ज़मीन पर बनाई गई समय बताने वाली घड़ी है, जो अपने-आप में सबसे बड़ी है। इसे फूलों के लगभग 16,000 पौधों से बनाया गया है। वर्ष में दो बार इसकी सजावट को बदला जाता है। प्रत्येक शाम न्यागरा फाल्ज़ एक अभूतपूर्व बहुरंग  कलाकृति में परिवर्तित हो जाते हैं। जब गिरते हुए पानी पर भिन्न-भिन्न रंगों की रौशनियों से इसे रौशन किया जाता है, तो ये सतरंगी रौशनियां न्यागरा फाल्ज़ को एक नए आकर्षक रूप में परिवर्तित कर देती हैं।न्यागरा फाल्ज़ विगत 300 वर्षों से सैलानियों के लिए केवल आकर्षण का केन्द्र ही नहीं, अपितु अमरीका एवं कैनेडा के लिए हाइड्रो इलैक्ट्रिक पावर (पन-बिजली) उत्पन्न किए जाने का भी एक बड़ा साधन है। मौजूदा समय में इससे लगभग 2.4 मिलियन किलोवाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। *

लेखिका और तस्वीरें : सरविंदर कौर
चीफ एग्ज़ीक्यूटिव ‘अजीत प्रकाशन समूह’
E-mail  : sarvinder_ajit@yahoo.co.in 
Blog : sarvinderkaur.wordpress.com