अधिक टैक्स होने पर खाली रहता है खज़ाना

जालन्धर, 16 फरवरी (शिव शर्मा): पंजाब में दूसरे राज्यों से सबसे ज्यादा कर होने के बावजूद खज़ाना खाली बताया जा रहा है जबकि हर वर्ष राज्य के लोगों के लिए सेवाएं महंगी की जा रही है जबकि उनके ऊपर सरचार्ज और लगाने की संभावना बनी रहती है। पंजाब में सरकार को जी.एस.टी., पैट्रोल, डीज़ल, अष्टाम ड्यूटी, शराब से ही सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होता है व इसके सहारे ही कामकाज चलाए जाते हैं। पंजाब में उद्योग मंदी के अलावा और भी क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की जा रही है परंतु राज्य के लोग इस सोच में रहते हैं कि उनके ऊपर लम्बे समय से तरह-तरह के कर लगाए जाते हैं। उनमें या तो सेवाएं महंगी की गई है या फिर बिजली के बिलों में और खर्चा शामिल कर दिया जाए, लगातार वृद्धि की जा रही है परंतु इसके बावजूद सरकार का खज़ाना खाली होता है। चंडीगढ़ से भी ज्यादा वैट पर दूसरे राज्यों से भी 50 से 60 पैसे डीज़ल, पैट्रोल महंगा पंजाब में बिकता है। पैट्रोल व वैट पर सरकार को करीब 4000 करोड़ रुपए की प्राप्ति होती है। इस तरह से पंजाब के पड़ोसी राज्यों के मुकाबले पंजाब में सबसे ज्यादा शराब के ऊपर कर वसूल किया जाता है। शराब से सरकार को करीब 5500 करोड़ रुपए की प्राप्ति होती है। पंजाब में देसी शराब पर करीब 2346 रुपए पेटी, अंग्रेजी पर 2700 रुपए व बीयर की पेटी पर 370 रुपए  के करीब कर वसूल किए जाते हैं। अनुमान पड़ोसी राज्यों के मुकाबले पंजाब में 600 से लेकर 700 रुपए पेटी महंगी है। कई मार्का वाली शराब की एक बोतल के पीछे ही 400 से 500 रुपए पीछे पंजाब में महंगी शराब है। शराब की पंजाब में कितनी बिक्री है इस पर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंजाब में सरकारी ठेकों पर शराब बेचने से सरकार को वार्षिक 5500 करोड़ रुपए राजस्व मिलता है जबकि चंडीगढ़ के अलावा और भी राज्यों पर सस्ती शराब पंजाब में बिक्री की जाती है। पंजाब सरकार को जी.एस.टी. विभाग  पर ही हर वर्ष 12000 करोड़ से ज्यादा का राजस्व आता है। पंजाब में ड्राइविंग लाइसैंस बनाने भी कितने महंगे है कि पेशगी समय लेने की लर्निंग ड्राइविंग लाइसैंस की अपाइंटमैंट लेने की फीस सहित करीब 1000 रुपए पर पक्के लाइसैंस के लिए 2000 रुपए की फीस वसूल की जाती है। बाकी फीसों की दूसरे राज्यों पर महंगी है। सरकार ने अब अपना बजट पेश करना है तो लोगों का कहना था कि पंजाब में सबसे ज्यादा कर वसूल किए जाते हैं व इसके बावजूद खज़ाना खाली होने की बात कही जाती है। खाली खज़ाने की बात से ही कई बार करों में वृद्धि कर दी जाती है। खाली खज़ाने के नाम पर लोगों के ऊपर कितनी देर तक भार डाला जाता रहेगा, इस करके लोगों में नाराज़गी बनी हुई है। लोगों का कहना था कि अब तक सीधे कर न लगा कर कई सेवाओं में ही छुपे सरचार्ज लगाए जा रहे हैं। लोगों ने बिजली, सीमैंट, शराब, पैट्रोल, डीज़ल, मैरिज पैलेसों से ही करोड़ों रुपए के गऊ कर वसूल किया जाता है परंतु इसके बावजूद राज्य में लाखों आवारा पशुओं की किसी तरह की कोई संभाल नहीं हो रही है। गऊ कर पर इकट्ठा किया जाता राजस्व भी और कामों में ही खर्च किया जा रहा है।