ट्रम्प की यात्रा से भारत-अमरीका संबंधों को नया आयाम

अगर दिल्ली की भयानक हिंसा नहीं होती तो कुछ समय तक अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की दो दिवसीय यात्रा इस समय सबसे ज्यादा चर्चा में होती। यह अत्यंत ही महत्वपूर्ण दौरा था जिसे अमरीका की तरह विदेशी मीडिया में पूरा कवरेज मिला। भारत से लौटकर अमरीका की धरती पर कदम रखते ही ट्रम्प ने ट्वीट किया कि उनकी यात्रा बेहद सफल रही। भारत एक महान देश है। वास्तव में यह केवल ट्रम्प की दृष्टि से ही नहीं, भारत की दृष्टि से भी शत-प्रतिशत सफल यात्रा रही। इसके आलोचक कह सकते हैं कि अमरीकी राष्ट्रपति जो हथियार बेचने आए थे तथा तीन अरब डॉलर से ज्यादा यानी करीब 21.5 हज़ार करोड़ रुपए का रक्षा सौदा करके तथा भविष्य के सौदों की नींव डालकर चले गए। इस तरह के एकपक्षीय आकलन पर टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं। जो लोग भारत-अमरीका संबंधों पर नजर रख रहे हैं वे जानते हैं कि अमरीका से सी.हॉक हेलिकॉप्टरों को खरीदने की चर्चा लंबे समय से जारी थी। इन सौदों में अमरीका से 2.6 अरब डॉलर का 24 एमएच 60 रोमियो हेलिकॉप्टर तथा 80 करोड़ डॉलर का छह एएच 64 ई अपाचे हेलिकॉप्टर शामिल है। यदि ट्रम्प भारत नहीं आते तब भी यह सौदा होना ही था। यह भी न भूलें कि अमरीका भारत को मिसाइल डिफेंस शील्ड भी बेचने की कोशिश कर रहा है, ताकि वह रूस की एस.400 मिसाइल रक्षा प्रणाली को भारत में आने से रोक सके। भारत ने इसे स्वीकार नहीं किया है। भारत रूस से खरीदे जाने के निर्णय पर कायम है। वास्तव में ट्रम्प की यात्रा में अमरीका-भारत रक्षा साझेदारी महत्वपूर्ण पहलू जरुर था, लेकिन इसका आयाम काफी विस्तृत था। आप साझा घोषणा-पत्र तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उनकी साझा पत्रकार वार्ता तथा उसके बाद मौर्या होटल में ट्रम्प की अकेली पत्रकार वार्ता को याद करिए, आपको आभास हो जाएगा कि भारत और अमरीका के रिश्ते कितने विश्वसनीय और सहज धरातल पर आ गए हैं। उनकी उपस्थिति में दिल्ली हिंसा आरंभ हो चुकी थी। पत्रकार वार्ता में उनसे यह सवाल भी पूछा गया लेकिन उन्होंने बिना हिचक इसे भारत का आंतरिक मामला बता दिया। नागरिकता संशोधन कानून पर भी उनसे सवाल किए गए। उन्होंने उसका जवाब भी यही दिया और कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रधानमंत्री से हमारी बात हुई है। भारत में 20 करोड़ मुसलमान रहते हैं जिनको पूरी धार्मिक स्वतंत्रता है। मोदी स्वयं धार्मिक व्यक्ति हैं और धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता है। ट्रम्प ने कहा कि मैं कहना चाहूंगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी मजबूती से काम कर रहे हैं। अगर आप पीछे मुड़कर देखें तो भारत ने धार्मिक स्वतंत्रता के लिए कड़ी मेहनत की है। उनके भारत आने के पूर्व जिस तरह की टिप्पणियां आ रहीं थीं, उनसे यह निष्कर्ष निकाला जाने लगा था कि वे नागरिकता कानून से लेकर उसके विरोध में हो रहे धरने तथा धार्मिक स्वतंत्रता पर मोदी से खरी-खरी बात करेंगे। ऐसी अपेक्षा करने वाले भारत निंदकों को ट्रंप ने पूरा निराश किया। तभी तो डैमोक्रेट की ओर से राष्ट्रपति के उम्मीदवार बर्नी सेंडर्स सहित कई सीनेटरों ने ट्रम्प की आलोचना की है। आखिर वहां भी भारत सरकार विरोधी लौबी काम कर रही है। सबसे निराशा तो पाकिस्तान को हुई होगी जो नजर लगाए हुए था कि जम्मू-कश्मीर पर ट्रम्प कुछ बोल दें। जैसा विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया ट्रम्प-मोदी वार्ता के दौरान जम्मू-कश्मीर को लेकर चर्चा इस क्षेत्र के सकारात्मक घटनाक्रमों पर केन्द्रित रही। हमने बताया कि वहां चीजें सही दिशा की ओर बढ़ रही हैं। हाल ही में, राजनयिकों के दो समूह जम्मू और कश्मीर की स्थिति देखने के लिए पहुंचे, इनमें भारत में अमरीका के राजदूत केनेथ जस्टर भी शामिल थे। ट्रम्प ने अपनी पत्रकार वार्ता में स्पष्ट किया कि मैंने कश्मीर मामले पर मध्यस्थता को लेकर कुछ नहीं कहा। कश्मीर निश्चित ही भारत और पाकिस्तान के बीच बड़ा मसला है। वे इस पर लंबे समय से काम कर रहे हैं। ट्रंप ने सीमा पार आतंकवाद पर भारत की भावना को समझने की बात की। हालांकि उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ वैसा कड़ा वक्तव्य नहीं दिया जो आम भारतीय चाहते थे।  जैसा विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया वार्ता के दौरान मूलत: पांच मुद्दों सुरक्षा, रक्षा, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और दोनों देशों की जनता के स्तर पर संपर्क पर बातचीत हुई। इसमें वैश्विक परिप्रेक्ष्य और खास कर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संपर्क का विषय भी सामने आया और पाकिस्तान की भी चर्चा हुई। भारत-अमरीका ने नारकोटिक्स पर कार्य समूह बनाने का फैसला किया। एच1बी वीजा का मुद्दा उठाया गया। भारत की दृष्टि से ऐसा कोई मुद्दा नहीं था जो बातचीत में सामने नहीं आया। प्रधानमंत्री मोदी ने पत्रकार वार्ता में कहा भी कि हम दोनों देश कनेक्टिविटी इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर सहमत हैं। यह एक-दूसरे के ही नहीं, बल्कि दुनिया के हित में है। रक्षा, तकनीक, ग्लोबल कनेक्टिविटी, ट्रेड और पीपुल टू पीपुल टाईअप पर दोनों देशों के बीच सकारात्मक चर्चा हुई। होमलैंड में हुए समझौते से इसे बल मिलेगा। हमने आतंकवाद के खिलाफ प्रयासों को और बढ़ाने का भी फैसला किया है। तेल और गैस के लिए भारत के लिए अमरीका के लिए महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है। फ्यूल हो या न्यूक्लियर एनर्जी, हमें नई ऊर्जा मिल रही है। भारत-अमरीका के बीच हुए 6 समझौतों में भारत-अमरीका के बीच नाभिकीय रिएक्टर से जुड़ा समझौता भी अहम है। इसके तहत अमरीका भारत को 6 रिएक्टरों की आपूर्ति करेगा। अमरीका की शिकायत रही है कि नाभिकीय सहयोग समझौता करके उसने भारत को बंदिशों से बाहर निकाला और इसका ज्यादा लाभ दूसरे देश उठा रहे हैं। इसके बाद उसकी शिकायत कम होगी।  साझा बयान में अमरीका की ओर से स्पष्ट कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में वह भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करेगा। न्यूक्लियर सप्लायर गु्रप (एनएसजी) में भी भारत के बिना देरी प्रवेश के लिए अमरीका सहयोग करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साझा बयान में यह कहना काफी महत्वपूर्ण है कि मैंने और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यह फैसला किया है कि साझेदारी को समग्र वैश्विक रणनीतिक साझेदारी में तब्दील किया जाएगा। इस तरह भारत-अमरीका की रणनीति साझेदारी अब वैश्विक स्तर पर रणनीतिक साझेदारी में परिणत हो गई। यह यात्रा की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। 
ट्रम्प ने भारत को कितना महत्व दिया इसका पता इसी से चलता है कि वे अपनी पत्नी के अलावा अपनी बेटी और दामाद के साथ यहां आए जो उनके सलाहकार हैं। ऐसी यात्रा उन्होंने इसके पहले कहीं की नहीं की। नमस्ते कार्यक्रम द्वारा नरेन्द्र मोदी ने भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन कराते हुए अहमदाबाद हवाई अड्डे से जो रोड शो कराया तथा मोटेरा स्टेडियम में सवा लाख लोगों के बीच उनका भाषण हुआ उसका मनोवैज्ञानिक असर व्यापक है। वैसे ही स्वागत आगरा यात्रा के दौरान भी हुआ। इस तरह की कूटनीति का प्रयोग पहले ज्यादा नहीं हुआ है। इसका असर ट्रम्प एवं उनके प्रशासन पर हुआ है। ट्रम्प ने कहा भी कि भारत की यह यात्रा एवं इस दौरान हुए स्वागत को वे कभी नहीं भूल पाएंगे। इस तरह ट्रम्प की यात्रा से भारत अमरीका संबंधों में कई नए आयाम जुड़े हैं जिनको हम आने वाले समय में सम्पूर्ण रुप से फलीभूत होते हुए देखेंगे।