प्रवासियों के प्रति सौहार्दपूर्ण होने की ज़रूरत

देश भर में कोरोना वायरस के मरीज़ों की संख्या का बढ़ना लगातार जारी है। गत दिनों से अब तक 150 के लगभग नये मामले सामने आये हैं और दो मौतों का भी समाचार है। अब तक मरीज़ों की संख्या 900 के लगभग है। चाहे इस बीमारी के रुकने या इसके और गम्भीर होने के बारे में तो आज तक कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता, परन्तु अमरीका, स्पेन और इटली के मुकाबले में भारत में अभी इस बीमारी की रफ्तार धीमी है। देश में इसके बारे में अब तक जिस स्तर पर हर पक्ष से तैयारियां की जा रही हैं, उनकी तेजी से यह प्रभाव अवश्य मिलता है कि भारत इसके मुकाबले के लिए अपनी सीमित सेवाओं के बावजूद स्वयं को तैयार कर रहा है। केन्द्र और राज्य सरकारें भी इसका मुकाबला करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगाने के लिए प्रयासरत दिखाई देती है। चाहे यह समस्या बहुत बड़ी है तथा हर तरह की योजनाबंदी तेजी से किये जाने की ज़रूरत है, परन्तु फिर भी बड़ी सीमा तक ज़रूरतमंद तथा आम लोगों को किसी न किसी ढंग से राहत पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी तरह प्रयास जारी रखने से इसकी शिद्धत को कम किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी पहली घोषणाओं में 15 हज़ार करोड़ से भी अधिक धन-राशि प्राथमिक सेवाओं को मजबूत करने के लिए आरक्षित करने का ऐलान किया था। देश के बड़े स्वास्थ्य केन्द्र, स्वास्थ्य वैज्ञानिक और डाक्टर भी अपनी पूरी शक्ति लगाने से पीछे नहीं हट रहे। अब तक इससे संबंधित जो अधिकतर मामले सामने आये हैं, उनमें एक बात साफ दिखाई दी है कि अधिकतर मरीज काफी सीमा तक वहीं हैं, जो विदेशी यात्राओं से वापिस लौटे हैं या विदेशी मूल के हैं। देश में कोरोना वायरस के पहले मरीज़ की 30 जनवरी को पहचान हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संस्था ने भी 30 जनवरी को इसका अन्तर्राष्ट्रीय तौर पर गम्भीर नोटिस लिया था। परन्तु उससे पहले 18 जनवरी को चीन तथा हांगकांग से आने वाले अन्तर्राष्ट्रीय यात्रियों की हवाई अड्डों पर स्वास्थ्य संबंधी जांच-पड़ताल की जाने लगी थी। उसके बाद देश के लगभग सभी हवाई अड्डों पर यह सिलसिला शुरू कर दिया गया था। परन्तु यह लगातार इस सीमा तक फैलता जा रहा था, जिस पर शीघ्र कहीं काबू पाना मुश्किल था। पंजाब में बहुत सारे प्रवासी आते रहते हैं। हमारी सूचना के अनुसार गत दिनों के दौरान पंजाब में 55 हज़ार के लगभग प्रवासी राज्य में आये थे। आम तौर पर बड़ी संख्या में प्रवासी पंजाब में आते रहते हैं। परन्तु इनमें से बड़ी संख्या में लोग अपने संबंधित देशों को लौट चुके हैं। एक सूचना के अनुसार इस समय पंजाब में 40 हज़ार के लगभग लोगों को एकांतवास में रखा गया है। इनमें से 25 हज़ार के लगभग प्रवासी हैं। जालन्धर ज़िले में एक महीने में 13 हज़ार के लगभग प्रवासियों के आने की सूची मिली थी। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने राज्य में ऐसे प्रवासी पंजाबियों की तलाश तेज करने की हिदायत की है, जिनसे अब तक सम्पर्क नहीं किया जा सका। सरकार यह भी प्रयास कर रही है कि उनको ढूंढ कर शीघ्र-अतिशीघ्र घरों में निगरानी में रखा जाए। पंजाब में कुछ लोगों के विदेशों से लौटने के कारण उनके सम्पर्क में आये लोगों के कारण यहां मरीज़ों की संख्या में अवश्य वृद्धि हुई है। परन्तु लम्बे समय से आये प्रवासियों के बारे में ऐसी बात नहीं कही जा सकती। गत दशकों से प्रवासियों ने अपनी इस मूल धरती से अपना स्नेह और प्यार बनाये रखा है। उन्होंने पंजाब की खुशहाली में अनेक ढंग-तरीकों से अपना योगदान भी डाला है। उनके द्वारा ऐसे प्रयास अब तक जारी हैं। कोरोना वायरस के संताप के कारण एकदम यह प्रवासी अजनबी प्रतीत होने लगे हैं। नि:सन्देह उनको इस समय पर्याप्त समय के लिए निगरानी में रखा जा सकता है ताकि उनके स्वस्थ होने संबंधी ठोस सबूत हासिल हो सकें। परन्तु उनके लिए किसी भी हालत में किसी भी स्तर पर अजनबीपन की भावना नहीं दिखाई जा सकती, अपितु इस समय उनको यह एहसास दिलाना आवश्यक है कि ऐसी किसी भी तरह की निगरानी उनकी, उनके परिवार की, उनके रिश्तेदारों की या उनके साथ जान-पहचान रखने वाले लोगों की बेहतरी के लिए की जा रही है। ताकि वह अपने मूल देश में जाने के समय यहां से अच्छी यादें और अच्छा स्वास्थ्य लेकर जाएं। उनको स्वयं ही छिपने की बजाय स्वास्थ्य जांच के लिए आगे आना चाहिए। नि:सन्देह इस बढ़ते हुए संताप में सभी को मिलजुल कर ही अपना बनता योगदान डालना चाहिए। एक-दूसरे को दोष देने से इस महामारी पर काबू पाना सम्भव नहीं होगा। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द