" कोरोना वायरस का बढ़ता दायरा " पुख़्ता योजनाबंदी की ज़रूरत

पंजाब में कोरोना वायरस के मरीज़ों की संख्या बढ़ने से भारी चिन्ता उत्पन्न हुई है। प्रदेश में 24 मार्च को कर्फ्यू लागू किया गया था। अब तक इस समूचे समय के दौरान जहां डाक्टरों एवं स्वास्थ्य विभाग के दलों ने पूरी तत्परता प्रदर्शित की है, वहीं प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों ने भी अपनी ज़िम्मेदारी निभाने में कोई कसर शेष नहीं छोड़ी। डाक्टरों नर्सों एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मियाें के लिए आवश्यक सुरक्षा किटें, 95-मास्कों एवं बुनियादी ढांचे की कमी अवश्य खटकती रही है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य एवं उपचार से संबंधित अन्य सामग्री की कमी भी बनी रही है तथा इसकी कमी अब भी बनी हुई दिखाई देती है।जिस प्रकार प्रदेश में इस बीमारी ने अपने पंख फैलाने शुरू किये हैं, उसके अनुसार डाक्टरी सुविधाओं के पक्ष से तैयारियां कमज़ोर दिखाई देती हैं। उदाहरण के लिए इस समय प्रतिदिन प्रदेश में इस बीमारी के लिए 1200 टैस्ट ही किये जा सकते हैं, क्योंकि इस समय इनके लिए 25 हज़ार टैस्ट किटें ही मौजूद हैं। इस प्रकार इनसे 25 हज़ार टैस्ट ही किये जा सकते हैं। कल यदि यह बीमारी और बढ़ती है तो मैडीकल सुविधाओं की बड़ी कमी और भी खटकने लगेगी। नीति आयोग की ओर से किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार पंजाब में सरकारी अस्पतालों में बिस्तराें की भारी कमी है। इस समय नाज़ुक मामलों के लिए आई.सी.यू में केवल 9 सौ के करीब मरीज़ों को ही रखा जा सकता है। यदि यह रोग बढ़ता है तो इसके लिए 4 हज़ार के करीब ऐसे नाज़ुक मामलों से निपटने के लिए अधिक बिस्तराें की आवश्यकता होगी। यह बात भी स्पष्ट हो चुकी है कि पूरे यत्नों के बावजूद शारीरिक दूरी बनाये रखने एवं बीमारी से बचने के लिए और सुरक्षा अपनाये जाने के संबंध में बड़ी संख्या में लोगाें की ओर से अक्सर अवज्ञा की जाती है। ऐसी स्थिति बीमारी में और वृद्धि कर सकती है। इसी प्रकार तालाबंदी के दौरान दूसरे प्रदेशों में किसी न किसी  कारण फंसे हुए लोगाें को प्रदेश में लाते समय भी बहुत सुरक्षा बरते जाने की आवश्यकता है। उदाहरण के तौर पर हुज़ूर साहिब से लाये गये श्रद्धालुआें के संबंध में पूरी निगरानी की कमी के दृष्टिगत उनके भिन्न-भिन्न स्थानों पर जाने के कारण कोरोना वायरस के प्रसार में भारी वृद्धि हुई है। बाहर से आने वाले ऐसे व्यक्तियों के स्वास्थ्य की जांच-पड़ताल किया जाना बहुत ज़रूरी है। इसके साथ ही उन्हें एकांतवास में रखने की भी समुचित व्यवस्था होनी चाहिए तथा यह भी कि ऐसा करते समय उन्हें कोई परेशानी पेश न आए। अनेक स्थानों पर पाई गई त्रुटिपूर्ण कारगुज़ारी के संबंध में स्वास्थ्य विभाग एवं स्वास्थ्य मंत्री पर भी उंगलियां उठना शुरू हो गई हैं। इसके साथ-साथ प्रशासनिक पग उठाते हुए भी पूरी तैयारी किये जाने की आवश्यकता है। यह बात हमारी समझ से बाहर है कि तालाबंदी एवं कर्फ्यू को 15 दिन और बढ़ाने की घोषणा मुख्यमंत्री की ओर से 29 अप्रैल को क्यों कर दी गई, जबकि 30 अप्रैल को पंजाब के मंत्रिमंडल की बैठक इसी विषय पर विस्तृत रूप में विचार-विमर्श करने के लिए रखी गई थी। इसके अतिरिक्त पहले कर्फ्यू की अवधि 3 मई को पूर्ण होनी थी। मुख्यमंत्री की ओर से शीघ्रता में यह घोषणा करने के साथ-साथ अगले ही दिन लघु एवं स्थानीय दुकानें सवेरे 7 बजे से 11 बजे तक खोलने की घोषणा भी कर दी गई, परंतु निचले स्तर पर डिप्टी कमिश्नरों एवं प्रशासनिक अधिकारियों को इस संबंध में समुचित रणनीति बनाने के लिए समय ही नहीं दिया गया। इसलिए मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद अधिकतर पुलिस कमिश्नरों एवं डिप्टी कमिश्नरों को तालाबंदी के संबंध में यह छूट न दिये जाने के आदेश जारी करने पड़े। इन प्रशासनिक अधिकारियों की बात इसलिए समझ आती है कि वे पिछले लम्बे समय से ज़मीनी वास्तविकताओं से दो-चार हो रहे हैं। लोगाें को अनुशासन में रखने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। अनेक स्थानों पर लोगाें की ओर से शारीरिक दूरी न रखने के चिन्ताजनक समाचार भी मिलते रहे हैं, जो स्थिति को विस्फोटक रूप देने की सामर्थ्य रखते हैं। तलवार की धार पर चलने वाली प्रशासनिक मशीनरी को एकाएक उल्टा चक्कर नहीं दिया जा सकता। ऐसी व्यवस्था लोगों के भीतर बेचैनी को और बढ़ाने में सहायक हो सकती है। आगामी समय में इस अत्यधिक पेचीदा मामले के साथ निपटते हुए प्रत्येक स्तर पर बहुत पुख़्ता योजनाबंदी किये जाने की आवश्यकता होगी, तभी अनुशासन के साथ स्थिति में कोई कारगर सुधार लाया जा सकता है।

             -बरजिन्दर सिंह हमदर्द