उदारवाद के धार्मिक दीप खजुराहो के मंदिर

 मध्य प्रदेश के नगर खजुराहो में 20 से अधिक मंदिर हैं, जिन्हें आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ध्यानपूर्वक संरक्षित किये हुए है। खजुराहो पर बहुत कुछ लिखा व कहा जा चुका है लेकिन अभी तक कुछ सवालों का जवाब नहीं मिल सका है—खजुराहो के रचनाकारों ने अपने मंदिरों को इस तरह से सुशोभित क्यों किया? खजुराहो में धर्म-निरपेक्ष संरचना का कोई खंडहर क्यों नहीं मिला है? मंदिर चबूतरों पर क्यों बने हुए हैं और उन्हें परिसीमा दीवारों से सुरक्षित क्यों नहीं किया गया है? संभावना यह है कि चंदेलों का संबंध मध्य प्रदेश की मूल आदिवासी जातियों भार व गोंड से था। यह अंदाजा इसलिए है कि चंदेलों की श्रेष्ठ कुल देवी मानिया देवी थीं, जोकि भार व गोंड की भी देवी हैं। गौरतलब है कि खजुराहो में सबसे पुराना मंदिर चौंसठ योगिनी है, जिसे देखने बमुश्किल ही कोई जाता है। इस मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुआ। यह बिना छत का, अब खाली पड़ा मंदिर, मां देवी के 64 पहलुओं को समर्पित था और कभी इसमें 64 योगिनियों की प्रतिमाएं थीं, जिनमें से अंतिम तीन को अब म्यूजियम में रख दिया गया है। 875 ईस्वी का यह मंदिर न सिर्फ  खजुराहो में बल्कि पूरे भारत में सबसे पुराना योगिनी मंदिर है। एएसआई के पूर्व महानिदेशक कृष्णा देव ने योगिनी परम्परा के बारे में लिखा है, ‘प्रारम्भिक मध्य युग में खजुराहो इसका महत्वपूर्ण केंद्र था। इसकी पूजा के लिए आवश्यक था कि भक्तगण प्रजनन रीतियों को खुले आसमान में अदा करें।’ तो मंदिरों की बाहरी दीवारों पर स्पष्ट भौतिक रीतियों का उकेरा जाना उचित धार्मिक भावनाओं की प्राकृतिक अभिव्यक्ति थी। अगर खजुराहो बुनियादी तौरपर एक धार्मिक झील-नगर था, तो फिर उसके मंदिरों को सुरक्षा के लिए परिसीमा दीवारों की ज़रूरत ही नहीं थी और मंदिरों में पानी न भरे, इसलिए उन्हें ग्रेनाइट के चबूतरों पर बनाया गया है। विख्यात यात्री इब्न बतूता 14 वीं शताब्दी में भारत आये और उन्होंने लिखा कि खजुराहो में एक मीलभर लम्बी विशाल झील है, जिसमें अनेक मंदिर बने हुए हैं। अब यह झील शिव-सागर तालाब में सिमटकर रह गई है। एक-दो गैर-महत्वपूर्ण तालाब भी हैं जो अक्सर सूखे रहते हैं और एक छोटी सी नदी भी है। स्थानीय परम्परा के अनुसार अपने वैभव के चरम पर खजुराहो में 85 मंदिर थे, जिनमें से अब सिर्फ  25 ही बचे हैं। चंदेलों की महोबा, कलींजर व अजयगढ़ में किलाबंदी अब भी बरकरार है। लेकिन खजुराहो में मंदिरों के अलावा न कोई अन्य इमारत है और न उसका कोई खंडहर। इसका एक ही अर्थ निकलता है कि खजुराहो चंदेलों की धार्मिक राजधानी थी, जिसमें उन्होंने सिर्फ  शानदार मंदिरों का निर्माण कराया।बहरहाल, अगर आपकी दिलचस्पी इस लेख में उठाये गये प्रश्नों व उनके संभावित समीक्षात्मक जवाबों में नहीं है तो इन्हें अनदेखा करें, कैप लगाएं, पानी की बोतल साथ लें और ऐसे जूते पहनें जिन्हें आसानी से उतारा व पहना जा सकता हो क्योंकि मंदिरों में नंगे पैर ही प्रवेश कर सकते हैं, और केवल प्रेम-दर्शन की मूर्तियों में न अटक कर रह जायें बल्कि खजुराहो के आर्किटेक्चर का आनंद लें, विशेषकर कंदरिया महादेव मंदिर का, जोकि वास्तव में पत्थर से तराशा हुआ संगीत है। ..और हां, यह मत भूल जाना कि खजुराहो का निर्माण उदार (लिबरल) भारतीय समाज ने किया था।

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