एक युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध भी लड़ना होगा

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी दिल्ली में  ‘रैड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ ’ अभियान शुरू कर दिया है। यह ‘युद्ध’ प्रदूषण के विरुद्ध अभियान का एक हिस्सा है। हम सभी रेड लाइट पर अपने वाहन बंद करने का संकल्प लें। हर एक व्यक्ति का प्रयास प्रदूषण को कम करने में योगदान देगा। दिल्ली में 13 हॉटस्पॉट की पहचान की गई है। हर हॉटस्पॉट के लिए अलग योजना बनाई जाएगी। 
हर साल दिवाली में आतिशबाजी से दिल्ली में धुंध फैल जाती है, जो वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य जोखिमों विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और अंतर्निहित बीमारियों वाले लोगों को चेतवानी देती है। इस वर्ष अंतर यह है कि कोविड-19 के कारण प्रदूषण  में थोड़ी कमी आई है  लेकिन अब तालाबंदी खुलने से वायु प्रदूषण के बढ़ने के आसार हैं तो दिल्ली प्रशासन ने एक बड़ा प्रदूषण-विरोधी अभियान शुरू किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा संकलित वायु गुणवत्ता के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है।  
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे के अनुसार भारत में  सांस की बीमारियों और अस्थमा से दुनिया की सबसे अधिक मृत्यु दर है।  दिल्ली सरकार ने हाल ही में एक बड़ा प्रदूषण-विरोधी अभियान शुरू किया है। दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता सर्दियों के मौसम में और भी अधिक बिगड़ती है। ऐसा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में थर्मल प्लांटों और ईंट भट्टों के घातक धुएं  के साथ-साथ आस-पास के राज्यों से जलने वाले रासायनिक कचरे से होता है। कोविड-19 से पहले वायु प्रदूषण भीषण था।  बीजिंग ने दोपहिया और तिपहिया वाहन कारों और लॉरी को बंद करके ही ऐसा किया है। बैंकॉक ने उत्सर्जन में कटौती और रख-रखाव को गति दी। इसलिए दिल्ली में  बस बेड़े को बढ़ाने और इसे मेट्रो नेटवर्क के साथ संरेखित करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पूरा करना चाहिए। इसमें ऑड- ईवन नम्बर प्लेट नीति मदद कर सकती है लेकिन सिस्टम को छूट कम करनी चाहिए।2025 तक  वायु प्रदूषण में एक-चौथाई से एक-तिहाई कटौती करने का एजेंडा है। इसमें इलेक्ट्रिक वाहन  ईवी  को बढ़ावा देना भी शामिल है। इसके लिए सब्सिडी और निवेश की आवश्यकता होगी। दिल्ली सरकार की तीन साल की नीति का लक्ष्य 2024 तक राजधानी में पंजीकृत नए वाहनों के एक चौथाई के लिए ईवीएस खाता बनाना है। ईवी को प्रोत्साहन पुराने वाहनों पर लाभ अनुकूल ब्याज पर ऋ ण और सड़क करों की छूट से लाभ होगा।
अब कार्रवाई का समय आ गया है। हर साल आने वाली देशी-विदेशी रिपोर्टें बताती हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा हवा भारत के शहरों की खराब है और यह स्थिति दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। 
सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बावजूद पराली का जलना नहीं रुक रहा है। सिर्फ  अदालती आदेशों के भरोसे हम इस समस्या से नहीं लड़ सकते। तभी तो इस मुद्दे पर हर  साल हो-हल्ला होता है। इसके बावजूद समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। मात्र पराली इस समस्या की जड़ नहीं है। फैक्टरियां, वाहन और उद्योग ज़हरीली हवा के लिए दोषी हैं।  इन सभी को एक फ्रेम में रखकर सभी के लिए सख्त नियम लागू करने होंगे। इसके साथ-साथ सभी को जागरूक होने की ज़रूरत है। तभी हम प्रदूषण के विरुद्ध इस युद्ध को जीत पाएंगे।