भारत-अमरीका के मध्य बेका समझौते का महत्त्व

भारत और अमरीका के बीच चार क्षेत्रों में द्विपक्षीय सम्बन्धों को सशक्त और सघन बनाने के उद्देश्य से टू प्लस टू वार्ता का तीसरा चरण पूरा हो चुका है, जिसमें महत्वपूर्ण बेसिक एक्सचेंज एण्ड कोओपरेशन एग्रीमेन्ट (बेका) समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। पूर्व की टू प्लस टू वार्ताओं में चार में से तीन क्षेत्रों में समझौते पहले ही हस्ताक्षरित हो चुके हैं। मंगलवार को सम्पन्न वार्ता में बेका से सम्बन्धित जो अनुबंध दोनों राष्ट्रों के मध्य सम्पन्न हुआ है, उसके तहत दोनों देशों की सेनाओं के मध्य अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, गोपनीय उपग्रहमूलक आंकड़ों और महत्वपूर्ण सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाएगा। बेका समझौता होने के बाद भारत अमरीका के सहयोग से हिन्द प्रशान्त क्षेत्र के समुद्री क्षेत्रों सहित सम्पूर्ण दक्षिण एशिया की प्रकट व गुप्त दोनों तरह की भौगोलिक गतिविधियों का अवलोकन कर सकेगा।  दुनिया के दो बड़े राष्ट्रों के मध्य हुआ बेका समझौता चीन के साथ भारत की सीमांत तनातनी के क्रम में विचारणीय कूटनीतिक समझौता है। समयांतराल में भारत को इसका सामरिक और कूटनीतिक लाभ अवश्य मिलेगा। नवीन बेका (बेसिक एक्सचेंज एंड कोओपरेशन एग्रीमेन्ट) समझौता सहित रक्षा-सुरक्षा और सूचना-संचार के क्षेत्र में जो अन्य तीन समझौते अब तक दोनों राष्ट्रों के मध्य सम्पन्न हुए हैं, उनमें सैन्य सूचना सामान्य सुरक्षा अनुबंध (जनरल सिक्योरिटी फॉर मिलिटरी इन्फॉर्मेशन एग्रीमेन्ट) 2002 में हुआ था। रक्षा समझौता होने के बाद रक्षा प्रौद्योगिकी साझा करने से सम्बन्धित महत्वपूर्ण कार्य नीति के तहत अमरीका ने 2016 में भारत को प्रमुख रक्षा सहयोगी की पदवी दी थी। इसी परिप्रेक्ष्य में दोनों राष्ट्रों के मध्य अनुबंधमूलक सैन्य संचालन विनिमय पत्रक (लॉजिस्टिक्स एक्सचेन्ज मेमोरेण्डम ऑफ एग्रीमेन्ट) समझौता हुआ। 2018 में दोनों राष्ट्रों के मध्य संचार अनुकूलता एवं सुरक्षा व्यवस्था (द कम्यूनिकेशन्स कम्पेटिबिलिटी एण्ड सिक्योरिटी अरेन्जमेन्ट, कोमकासा) पर हस्ताक्षर हुए। इस प्रकार 2016 के उपरान्त मोदी और ट्रम्प ने दक्षिण एशिया व हिन्द प्रशान्त में भारत की सम्प्रभुता के रक्षार्थ जो रक्षा एवं विदेश नीति अंगीकार की थी, उसके कार्यन्वयन का रेखांकन बेका समझौता के उपरान्त स्पष्ट परिलक्षित होने लगेगा। भारत-अमरीका के मध्य बेका समझौता ऐसे समय पर सम्पन्न हुआ है, जब चीन हिन्द प्रशान्त, दक्षिण एशिया और विशेषकर भारत के सीमान्त क्षेत्रों में से एक पूर्वी लद्दाख में अपनी अतिक्रामक सैन्य-व्यापारिक गतिविधियों के साथ सक्त्रिय है। मंगलवार को दोनों राष्ट्रों की मंत्री स्तरीय उच्च स्तर की बैठक में हिन्द प्रशान्त क्षेत्र में सुरक्षा सम्बन्ध और रणनीतिक सहयोग में वृद्धि करने का निर्णय भी किया गया है। भारत-अमरीकी टू प्लस टू वार्ता के तीसरे चरण में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमरीकी विदेशी मंत्री माइक पोम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर के साथ विस्तृत चर्चा की। चर्चा में अमरीका पक्ष की ओर से आश्वस्त किया गया कि अमरीका भारत की सम्प्रभुता और स्वतंत्रता पर उभरने वाले हर संकट से निपटने में उसके साथ है। इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने बेका को महत्वपूर्ण समझौता बताते हुए कहा कि सेना से सेना के स्तर पर अमरीका के साथ हमारा सहयोग समुचित तरीके से आगे बढ़ रहा है। उनके अनुसार अमरीका के साथ चर्चा में रक्षा उपकरणों के संयुक्त विकास के लिए परियोजनाओं को चिन्हित किया गया है। एस.जयशंकर ने भी दोनों देशों के सम्बन्धों में बढ़ रही निकटता और तालमेल को लाभदायी बताया। इससे पूर्व सोमवार को टू प्लस टू वार्ता की प्रक्रिया में दोनों राष्ट्रों के विदेश और रक्षा मन्त्रियों के मध्य अनुबंधों की आवश्यकताओं के संदर्भ में उभरी वैश्विक व दक्षिण एशिया की भौगोलिक-सामरिक स्थितियों पर व्यापक चर्चा हुयी। अक्टूबर के पहले हफ्ते में जापानी राजधानी टोक्यो में सम्पन्न हुयी चॉड राष्ट्रों की बैठक में जिन प्रमुख कार्यकारी बिंदुओं पर चर्चा हुयी थी, उनमें से भारत-अमरीका के बीच प्रस्तावित चार में से अन्तिम बेका अनुबंध पर दोनों राष्ट्रों का हस्ताक्षर करना और आस्ट्रेलिया का चॉड कार्यनीति के अन्तर्गत मालाबार सैन्याभ्यास में सम्मिलित होना भी अहम् था। ये दोनों कार्य भारत-अमरीका की इस टू प्लस टू  वार्ता की समयावधि में सम्पन्न हो चुके हैं। इस सन्दर्भ में अमरीकी रक्षामंत्री ने बंगाल की खाड़ी में होने वाले मालाबार सैन्य अभ्यास में अमरीका, भारत व जापान के साथ आस्ट्रेलिया के सम्मिलित होने का स्वागत किया है। इस टू प्लस टू वार्ता के अन्तिम निर्णयों से पूर्व दोनों पक्षों ने रक्षा अनुबन्धों, सैन्य सहयोग, सुरक्षित संचार प्रणाली और सूचना साझीदारी व रक्षा व्यापार की समीक्षा की। इससे अलग रक्षा मन्त्रियों के बीच सम्पन्न वार्ता में, दोनों राष्ट्रों के मध्य सैन्य सहयोग बढ़ाने हेतु पहले ही गठित सैन्य सहयोग समूह (एमसीजी) की संस्तुतियों के अनुसार कार्य करने और दोनों देशों में समूह से सम्बन्धित अधिकारियों की नियुक्ति पर सहमति बनी। रक्षा मन्त्रियों की वार्ता में आयुध निर्माण के क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा हुयी थी।  भारत-अमरीका के मध्य हुए बेका समझौते और इस अवसर पर माइक पोम्पियो की टिप्पणी पर चीन बौखला गया। पोम्पियो ने राष्ट्रीय समर स्मारक में शहीद भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए गलवान संघर्ष का उल्लेख किया और चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की आलोचना की। इस पर चीन के विदेश मन्त्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि उनके विरुद्ध पोम्पियों के आरोप नए नहीं हैं। वांग ने कहा कि पोम्पियो शीत युद्ध न भड़काएं और उनके दक्षिण एशियायी सहयोगियों के बीच शत्रुता का बीजारोपण न करें।  भारत और अमरीका के मध्य हुए बेका सहित अन्य तीन रक्षा, सुरक्षा, संचार व सूचना पर आधारित समझौतों के सटीक क्त्रियान्वयन हेतु भी दोनों राष्ट्रों को सदैव जागरूक एवं सक्रिय रहना होगा। यदि आगामी चुनाव परिणामों के बाद अमरीका में सत्तारूढ़ होनेवाला दल रिपब्लिकन नहीं होगा तो भी उक्त समझौतों की गम्भीरता के प्रति भारत को नव अमरीकी शासन को अवगत कराते रहना होगा। अभी तो विश्व की दृष्टि अमरीकी चुनाव और चुनाव परिणामों पर लगी है।