देश की इज्ज़त और सम्मान के लिए खेलें खिलाड़ी

कोई भी महिला या पुरुष खिलाड़ी जब खेल जगत में संघर्ष कर रहा होता है तो मन में बड़ी इच्छा यही होती है कि एक दिन वह देश के राष्ट्रीय खेल में अपनी शमूलियत करे, मीडिया में उसकी चर्चा हो कि वह भारत की टीम में अपना स्थान बना कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर चुका है। हम महसूस करते हैं कि यह ठीक है कि राष्ट्रीय टीम में किसी लम्बे संघर्ष के बाद पहुंचना उस खेल हस्ती की अहम प्राप्ति है। देश प्रेम का जज़बा पैदा करने के लिए उस खेल हस्ती को बचपन से तैयार करने की आवश्यकता है। अपने प्राइमरी स्कूल की इज्ज़त एवं सम्मान के लिए खेलने से लेकर कालेज, यूनिवर्सिटी, खेल अकादमी, खेल क्लब की प्रतिष्ठा के लिए जूझने की जज़बा उस में पैदा करने की आवश्यकता है। राष्ट्र भावना का जज़बा एवं अहसास रातो-रात पैदा होने की वस्तु नहीं है। इस तरफ प्रेरित करने के लिए हमें छोटी आयु में खिलाड़ियों में खेल तथा शैक्षणिक संस्थानों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का अहसास पैदा करने की ज़रूरत है, जो आज के खिलाड़ियों में नहीं है। खेलों के आधार पर शैक्षणिक संस्थानों द्वारा विशेष सुविधाएं प्राप्त करना, मुफ्त पढ़ाई करना ही हमारे विद्यार्थियों का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। छोटी आयु में जो खिलाड़ी अपने शैक्षणिक संस्थान के लिए सच्चे मन से मेहनत करने के लिए उत्साहित नहीं, वह बड़ा होकर देश के सम्मान तथा प्रतिष्ठा के लिए राष्ट्रीय जज़बे से क्या जुझेगा? वह तो सिर्फ पैसे और नौकरी के लिए ही खेल जंगें लड़ेगा। उसे याद रहना चाहिए कि जिस बड़े स्तर के खेल मंच पर उसे अपनी खेल कला दिखाने का अवसर मिल रहा है, उसमें समूचे देश का कितना बड़ा योगदान है। 
देश की राष्ट्रीय टीम में स्थान बना लेना ही काफी नहीं, बल्कि देश की झोली को ईनामों, सम्मानों से भरना खिलाड़ी के मन की इच्छा होनी चाहिए क्योंकि वह खेल हस्ती समूचे देश का प्रतिनिधित्व कर रही होती है। पूरे देश के लोगों की भावनाएं उस खेल या खिलाड़ी से जुड़ी होती हैं। अंतर्राष्ट्रीय मैदानों में हमारा तिरंगा पूरी  शानोशौकत से झूले तो ही देश वासियों को खुशी होती है। खेल भी इस पक्ष से राष्ट्रीय सम्मान तथा शान का कारण बन सकते हैं। खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत और तपस्या से तिरंगे की लाज रखने की कोशिश खिलाड़ियों में सच्चे मन से होनी चाहिए। भारतीयों को अपने पड़ोसी देश चीन जो दुनिया की बड़ी खेल शक्ति है, से सबक लेने की आवश्यकता है। जहां तक देश के लिए राष्ट्रीय जज़बे का संबंध है, चीनी खिलाड़ियों में देश भक्ति का जज़बा कूट-कूट कर भरा हुआ है। खेलों के क्षेत्र में वे अपने देश का नाम ऊंचा रखने के लिए सदा तैयार रहते हैं। हकीकत यह है कि हम खेल सुविधाओं की कमी के शोर में राष्ट्रीय खेल जज़बे की कमी की बात कभी नहीं करते। 

 

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