कोरोना के नये स्ट्रेन से ब्रिटेन में मचा हाहाकार

हालांकि भारत में नया कोरोना वायरस के चरम पर पहुंचने के बाद पिछले छह सप्ताह से संक्रमण व मौतों की संख्या में निरंतर गिरावट देखने को मिल रही है, लेकिन अभी एहतियात व सतर्कता को बनाये रखने कि सख्त ज़रूरत है, क्योंकि ब्रिटेन में कोविड-19 का नया स्ट्रेन ‘नियंत्रण से बाहर’ यानी बेकाबू हो गया है। इसलिए लंदन व दक्षिण पूर्व इंग्लैंड में सख्त लॉकडाउन लागू किया गया है। घर में रहने के आदेश दिए गये हैं और क्रिसमस पर परिवारों के एकत्र होने को कड़ाई से प्रतिबंधित कर दिया गया है। ब्रिटेन ने सभी विदेशी हवाई उड़ानें रोक दी हैं और आंतरिक उड़ानों को भी सख्ती से बहुत ज़रूरी उड़ानों तक सीमित कर दिया है। कोविड-19 का नया स्ट्रेन दक्षिण अफ्रीका व डेनमार्क में भी पाया गया है। इसलिए मोराक्को, अल साल्वाडोर, रोमानिया, फ्रांस, जर्मनी, इटली, बेल्जियम, हॉलैंड आदि देशों ने ब्रिटेन आने-जाने वाली फ्लाइट्स पर रोक लगा दी है। सऊदी अरब ने सभी के लिए अपनी सीमाएं बंद कर दी हैं। जर्मनी में पहले ही दस जनवरी तक लॉकडाउन लगा हुआ है। इस सबसे नये स्ट्रेन के बढ़ते हुए खतरे का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि भारत भी यूरोप व दक्षिण अफ्रीका आने जाने वाली उड़ानों को रोक दे या सीमित कर दे या हर आने वाली उड़ानों के यात्रियों को क्वारंटाइन करे। भारत में पिछले सप्ताह कोविड-19 के 170,807 ताज़ा केस रिकॉर्ड किये गये। यह संख्या 18 जून के बाद से सबसे कम है और पिछले सप्ताह की तुलना में लगभग 36,000 कम है। केसों की गिरावट के संदर्भ में यह सीधा छठा सप्ताह है। संक्रमण सितम्बर के मध्य में अपने चरम पर पहुंचा था। गौरतलब है कि विश्व में जिन दस देशों में कोविड-19 की सबसे बुरी मार पड़ी है, उनमें अर्जेंटीना के अतिरिक्त भारत एकमात्र देश है, जिसने पिछले दो माह में संक्रमण मामलों में कोई चिंताजनक वृद्धि नहीं देखी है। संक्रमण के अतिरिक्त कोविड मौतों की गिनती में भी निरन्तर कमी देखने को मिली है। 13-20 दिसम्बर सप्ताह में 2,450 व्यक्तियों की मौत रिकॉर्ड की गई, जोकि इससे पिछले सप्ताह की तुलना में 12 प्रतिशत कम है। तीन माह पहले (13-20 सितम्बर) भारत ने 8,175 साप्ताहिक मौतें रिकॉर्ड की थीं। अब इसका मात्र 30 प्रतिशत रह गया है। 13-20 दिसम्बर सप्ताह में रोजाना औसतन 351 मौतें रिपोर्ट की गईं, जबकि 13-20 सितम्बर सप्ताह में दैनिक औसत 1,168 मौतों का था। इसी तरह 28 जून-5 जुलाई सप्ताह के बाद से 13-20 दिसम्बर सप्ताह में पहली बार हुआ जब संक्रमण के नये औसत दैनिक मामले 25,000 से कम यानी 24,400 आये। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि भारत कोविड मुक्त होने की दिशा में बढ़ रहा है। स्थिति अब भी पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं है और नये स्ट्रेन के आने का खतरा भी बराबर बना हुआ है। इसलिए एहतियात व सतर्कता की ज़रूरत है। ध्यान रहे कि भारत में कोविड-19 के विरुद्ध वैक्सीन शॉट्स देने का सिलसिला, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के अनुसार, जनवरी से शुरू होगा और सरकार की प्राथमिकता वैक्सीन की सुरक्षा व प्रभाव के संदर्भ में रहेगी। हर्षवर्धन के मुताबिक, ‘मैं व्यक्तिगत तौरपर महसूस करता हूं कि शायद जनवरी में हम किसी भी सप्ताह में भारत के लोगों को पहले कोविड वैक्सीन शॉट्स देने की स्थिति में होंगे।’ अन्य देशों की तरह भारत के वैज्ञानिकों व स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी कोविड वैक्सीन विकसित करने के प्रयास किये हैं। देशज वैक्सीन जीनोम सीक्वेंसिंग और कोरोना वायरस आइसोलेशन से विकसित की गई है। भारत में छह कोविड-19 वैक्सीन प्रार्थी हैं, जिनके प्रयास क्लिनिकल ट्रायल स्टेज के विभिन्न चरणों में हैं। डॉ. हर्षवर्धन का कहना है कि भारत अगले 6-7 माह में लगभग 30 करोड़ व्यक्तियों को वैक्सीन देने की स्थिति में होगा। भारत की जनसंख्या लगभग 130 करोड़ है यानी 100 करोड़ का नंबर इससे भी बाद में आयेगा। इसलिए लापरवाही के लिए कोई गुंजाइश नहीं है, खासकर इसलिए कि इस समय हर देश की कोशिश यह है कि दक्षिण इंग्लैंड में नया कोरोना वायरस का जो नया स्ट्रेन बेकाबू हो गया है, उसे अपने यहां पैर पसारने का अवसर प्रदान न किया जाये। यही वजह है कि इंग्लैंड में जो लॉकडाउन जैसे सख्त कदम उठाये गये हैं, वे उसके स्वास्थ्य मंत्री मैट हेनकॉक के अनुसार, उस समय तक जारी रहेंगे जब तक कि कोविड वैक्सीन शॉट्स ब्रिटेन के हर व्यक्ति को न दे दिए जायें। हालांकि इंग्लैंड ने बहुत जल्दी व निर्णायक कदम उठाये, लेकिन फिर भी नया स्ट्रेन अनियंत्रित हो गया। स्थिति इतनी गंभीर है कि बहुत से देशों ने उड़ानें ही नहीं बल्कि ब्रिटेन के लिए ट्रेन सम्पर्क भी बंद कर दिए हैं। बेल्जियम ने तो यूरोस्टार को भी बंद कर दिया है। चेक रिपब्लिक इंग्लैंड से आने वाले लोगों को सख्त क्वारंटाइन में रख रहा है। कोविड का नया स्ट्रेन सामान्य स्ट्रेन की तुलना में लोगों को 70 प्रतिशत अधिक तेजी से संक्रमित कर रहा है। हालांकि अभी इसके साक्ष्य नहीं हैं कि नया स्ट्रेन अधिक घातक या अधिक गंभीर बीमार करने वाला है या नहीं, लेकिन फैल यह बहुत तेजी से रहा है। यह सब बताने का उद्देश्य लोगों को डराना नहीं है बल्कि सावधान करना है कि आप मास्क लगायें, सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखें और पानी व साबुन से नियमित हाथ धोते रहें।

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