कोविशील्ड ने बढ़ाईं जीवन की आशाएं

सरकार द्वारा नियुक्त सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ   इंडिया (एसआईआई) की कोवीशील्ड के आपात प्रयोग प्राधिकार (ईयूए) को सशर्त मंजूरी दी है। कोविड-19 संक्रमण को नियंत्रित करने के संदर्भ में भारत के लिए यह निर्णायक पल है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन का कोवीशील्ड भारतीय संस्करण है, जिसे 30 दिसम्बर, 2020 को ब्रिटेन ने अपने यहां प्रयोग करने हेतु हरी झंडी दिखा दी थी। उम्मीद यह है कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ  इंडिया (डीसीजीआई) कोवीशील्ड को मार्किट करने की जल्द अनुमति प्रदान कर देगी और साथ ही वैक्सीन विआल के लेबल को भी मंजूरी दे देगी, जिसके बाद आवश्यक शर्तों के साथ लेबल प्रिंट करके विआल पर चिपका दिए जायेंगे और उन्हें डिस्पैच कर दिया जायेगा। इसलिए 2 जनवरी, 2021 को टीकाकरण प्रक्रिया की जमीनी तैयारी का मूल्यांकन करने हेतु राष्ट्रव्यापी ड्राई रन का आयोजन किया गया।ड्राई रन सभी राज्यों की राजधानियों में कम से कम तीन सत्र साइट्स पर आयोजित किया गया। कुछ राज्यों में ड्राई रन उनके उन जिलों में भी किया गया जो कठिन भूगौलिक क्षेत्रों में स्थित हैं या जिनमें लॉजिस्टिकल सपोर्ट स्तरीय नहीं है। ड्राई रन में तैयारी तो पूरे जोश में दिखायी दी। कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के लिए लगभग 96,000 वैक्सीनेटर्स को ट्रेन किया गया है। अब प्रतीक्षा केवल इस बात की है कि सरकार वैक्सीन निर्माता को सप्लाई कार्यक्रम व स्थान के साथ औपचारिक सप्लाई आर्डर दे। एसआईआई ने भारत में प्रयोग करने के लिए फिलहाल 50 मिलियन खुराक तैयार की हैं। शुरुआती महीनों में सरकार वैक्सीन हासिल करेगी और टीकाकरण प्रक्रिया की निगरानी भी करेगी।
अनुमान यह है कि अगले 7-10 दिन में वैक्सीन के पहले शॉट्स दे दिए जायेंगे,  इस तरह लगभग 30 करोड़ लोगों के लिए ‘वरीयता जनसंख्या’ के आधार पर टीकाकरण का विशाल प्रयास आरंभ हो जायेगा जो जुलाई 2021 में पूर्ण हो पायेगा। सरकार ‘वरीयता जनसंख्या’ में सफाई कर्मचारियों व दवा विक्रेताओं को भी शामिल कर सकती है। सरकार का पहला आर्डर 10 करोड़ खुराक का हो सकता है, जिसे पीएम केयर्स से फंड किया जा सकता है। एसआईआई ने 225-250 रुपये प्रति खुराक का दाम ऑफर किया है, जबकि भारत बायोटेक का ऑफर 350 रुपये प्रति खुराक का है। यह ऑफर पहली खेप के लिए है यानि अगली खेपों के लिए दाम इससे अलग हो सकते हैं। स्वतंत्र विशेषज्ञों वाली एसईसी अभी बायोटेक और फाइजर एप्लीकेशन का मूल्यांकन कर रही है। अनुमान यह है कि भारत उन्हीं दिशा-निर्देशों का पालन करेगा जो ब्रिटेन में अपनाये जा रहे हैं।अनेक संक्रमण रोगों को खत्म करने या नियंत्रित करने में वैक्सीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसलिए कोवीशील्ड को लेकर उम्मीदें बहुत अधिक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 दिसम्बर को कहा था कि जिन लोगों को जल्द ज़रूरत है उन तक वैक्सीन पहुंचाना सुनिश्चित करने के प्रयास किये जा रहे हैं और 2021 इस आशा के साथ आया है कि कोविड का उपचार निकट ही है। कोवीशील्ड के में 60-70 प्रतिशत प्रभावी होने का दावा किया गया है, जोकि कम से कम 50 प्रतिशत प्रभावी होने के पैमाने से अधिक है, जिसे डब्ल्यूएचओ, डीसीजीआई और एफडीआई सहित विभिन्न नियमक एजेंसियों ने संक्रमण या रोग को रोकने के लिए ‘व्यापक स्तर पर प्रयोग’ होने वाली वैक्सीन के लिए निर्धारित किया है।इसमें शक नहीं कि वैक्सीन की मंजूरी फास्ट-ट्रैक की गई है। अब अगला महत्वपूर्ण कार्य यह है कि टीकाकरण कार्यक्रम को मुस्तैदी से अंजाम दिया जाये। टास्क बलों को ब्लाक पंचायत स्तर तक सक्रिय कर दिया गया है और 2 जनवरी के ड्राई रन से कमजोर कड़ियों का अंदाज़ा भी बखूबी हो गया है। अब इन कमज़ोर कड़ियों को दूर करने की आवश्यकता है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस ड्राई रन की तुलना लोकसभा चुनाव की तैयारी से की है  क्योंकि टीकाकरण भी देशव्यापी स्तर पर ही होना है। कोल्ड चैन इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल आर्किटेक्चर जिसमें टीकाकरण कराने वालों को एसएमएस अलर्ट्स आदि शामिल हैं, और वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स रिपोर्ट करने वाले केन्द्रों को विशेषरूप से मजबूत करने की जरूरत है। सशर्त मंजूरी का अर्थ यह भी है कि फेज 3 में वैक्सीन ट्रायल्स में भी डाटा एकत्र किया जाता रहे और नियमित प्रयोग प्राधिकार के लिए प्रयास जारी रहें, जिससे उनकी विश्वसनीयता को मजबूती मिलेगी। जिन लोगों को वैक्सीन दी जायेगी, उनको मॉनिटर करना बहुत बड़ी लॉजिस्टिकल चुनौती होगी, लेकिन गलत सूचनाओं व अफवाहों को दूर करने के लिए यह अति आवश्यक भी होगा। 2021 निश्चित रूप से नई आशाएं लेकर आया है। अमरीका व यूरोप में टीकाकरण आरंभ हो चुका है। इसराइल अपने सभी नागरिकों का टीकाकरण करने वाला पहला देश हो सकता है और इस मामले में बहरीन भी उससे पीछे नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फाइजर की वैक्सीन को आपात प्रयोग के लिए मंजूरी दे दी है, जिसका अर्थ है कि अब यह गरीब देशों के लिए भी जल्द उपलब्ध हो सकेगी। भारत में टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने के लिए ड्राई रन हो चुका है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि कोविड महामारी पर विराम लग गया है। 

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