बजट अधिवेशन से आशाएं

कुछ दिनों से देश की राजधानी नई दिल्ली में राजनीतिक गतिविधियां तीव्र हुई दिखाई दे रही हैं। विगत शनिवार अर्थात् 15 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नीति आयोग की गवर्निंग कौंसिल की बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री ने वर्ष 2024 तक भारतीय अर्थ-व्यवस्था को अत्यधिक मजबूत बनाए जाने की बात की। उन्होंने देश की अर्थ-व्यवस्था को 350 लाख करोड़ रुपए करने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए कहा कि समूचे देशवासियों के ठोस यत्नों के साथ यह उपलब्धि हासिल किया जाना सम्भव है। इसके लिए विशेष तौर पर उन्होंने देश के सभी राज्यों को प्रोत्साहित करते हुए अपनी पूरी सामर्थ्य के साथ कार्य करने का परामर्श दिया। इसी प्रकार उन्होंने देश को दरपेश कुछ प्रमुख समस्याओं का भी ज़िक्र किया, जिनसे निपटना बहुत ज़रूरी समझा जा रहा है। इनमें गरीबी, बेरोज़गारी, सूखा, बाढ़, प्रदूषण, भ्रष्टाचार एवं हिंसा आदि शामिल हैं।नि:संदेह ये ऐसी समस्याएं हैं, जिन्होंने देश के समूचे ढांचे को कमज़ोर किया है। इनसे निजात पाना किसी भी सरकार एवं समाज का लक्ष्य होना चाहिए। इसके साथ-साथ प्रधानमंत्री ने कुछ अन्य गम्भीर प्रश्नों को भी उठाया। इनमें जहां पानी को लेकर गम्भीर चिन्ता की अभिव्यक्ति थी, वहीं कृषि में नए सुधार लाने की प्रतिबद्धता भी थी। देश में पानी के संबंध में एक नए जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया है, जिसमें पानी की सम्भाल एवं उसके प्रबंधन को अधिमान दिया जायेगा। नरेन्द्र मोदी ने इस बैठक में एक बार फिर इस बात को दोहराया है कि 2022 तक किसानों की आय को दोगुणा करने का लक्ष्य हर सम्भव ढंग से पूरा किया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने सहायक धंधों जैसे मछलीपालन, पशुपालन, बागवानी एवं सब्ज़ियों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने एवं इनके मंडीकरण तथा सार-सम्भाल के लिए योजनाबंदी किए जाने की बात कही है। हम इन लक्ष्यों को अत्यधिक महत्वपूर्ण एवं ज़रूरी समझते हैं। क्रियात्मक रूप में इन्हें पूरा करने के लिए सरकार को व्यापक एवं भरसक प्रयासों की ज़रूरत होगी। इसके लिए समूचे समाज का सहयोग भी लिया जाना चाहिए। ऐसी बातें प्रधानमंत्री ने संसद का अधिवेशन शुरू होने से पहले सर्वदलीय बैठक में भी की हैं। उन्होंने यह अपील भी की है कि संसद को अच्छे ढंग के साथ चलाया जाना चाहिए, ताकि इससे देश के निर्माण हेतु अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकें। चाहे इस बार लोकसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का बहुमत है तथा दूसरी बड़ी पार्टी कांग्रेस केवल 52 सीटों पर ही सिमट गई है, परन्तु पिछले कई वर्षों से यह प्राय: देखा एवं महसूस किया जा रहा है कि संसद के दोनों सदनों में गम्भीर विचार-विमर्श की अपेक्षा आपसी आरोप-प्रत्यारोप ही लगाए जाते रहे हैं तथा बात हंगामों तक पहुंच जाती रही है। कई पार्टियां ऐसा रवैया नियोजित ढंग से धारण करती हैं, जिसके कारण प्रस्तुत किए जाने वाले अधिकतर महत्वपूर्ण बिल दोनों सदनों में पारित नहीं होते रहे। इस कारण देश के अधिकतर वर्गों पर भारी असर पड़ता रहा है। इसका उदाहरण मुस्लिम महिलाओं संबंधी तीन तलाक वाले बिल को लेकर दिया जा सकता है, जो तत्कालीन सरकार के अनेक यत्नों के बावजूद पारित नहीं किया जा सका, जबकि देश की बहुसंख्यक मुस्लिम महिलाएं इस कानून के पक्ष में हैं। नि:संदेह यह मुस्लिम महिलाओं के साथ किया गया एक बड़ा अन्याय है। इस बार लोकसभा में संख्या के दृष्टिकोण से सरकार का पलड़ा भारी है। राज्यसभा के प्रतिनिधित्व में भी आगामी समय में बड़े परिवर्तन सम्भव हैं। इस कारण सरकार के लिए महत्वपूर्ण बिलों को पास कराना कठिन नहीं होगा। 39 दिनों तक चलने वाले संसद के इस अधिवेशन की सबसे महत्वपूर्ण बात 5 जुलाई को नई सरकार की ओर से आम बजट पेश करना होगा, जिसे देश में पहली बार एक महिला वित्त मंत्री पेश कर रही है। हम आशा करते हैं कि बजट अधिवेशन अच्छे परिणामों का धारणी सिद्ध होगा, जिससे देश के भावी विकास की सम्भावना उजागर हो सकेगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द