मौत का जाल बन गया है चटपट लोन का चक्र-व्यूह

तेंलंगाना के 24-वर्षीय हेमंत एक कूरियर कम्पनी में काम करते हैं। लॉकडाउन लगा तो पैसे की तंगी होने लगी। तभी उनकी नज़र नेट पर इंस्टेंट लोन (त्वरित ऋण) उपलब्ध कराने वाले एक एप्प पर पड़ी, जिसका नॉन-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों से टाईअप (बल्कि सांठ-गांठ) होता है। हेमंत ने आधार कार्ड की जानकारियां संबंधित एप्प पर अपलोड कर दीं और तुरंत ही उन्हें 5000 रुपये का ऋण मिल गया। यह ऋण अमूमन 91 से 360 दिनों के लिए दिया जाता है, लेकिन ऋण जारी किये जाने के सात दिन बाद ही हेमंत के पास ब्याज सहित कज़र् लौटने के लिए कॉल्स आने लगीं। हेमंत इतनी जल्दी पैसे लौटने की स्थिति में नहीं थे, खासकर इसलिए कि उन्हें मालूम ही नहीं था कि प्रोसेसिंग फीस, जीएसटी आदि मिलाकर उन्हें लगभग 30 प्रतिशत प्रति सप्ताह ब्याज के हिसाब से ऋण दिया गया था।
अब हेमंत जाल में फंस चुके थे। उन्हें एक ऋण चुकाने के लिए दूसरा ऋण लेना पड़ा, विशेषकर इसलिए कि टेली-कॉलर्स न सिर्फ  उन्हें गालियां दे रहे थे बल्कि उनकी फोन कांटेक्ट लिस्ट के लोगों को कॉल व टेक्स्ट करके हेमंत को शर्मसार व बदनाम कर रहे थे। हेमंत के पास कोई विकल्प नहीं था सिवाय इसके कि अपनी पत्नी का मंगलसूत्र आदि गिरवी रख दें। छोटा सा ऋण निरंतर बढ़ता रहा और अब उन पर लगभग चार लाख रुपये का कर्ज है। हेमंत बताते हैं, ‘जब रिकवरी स्टाफ  मेरी कांटेक्ट लिस्ट में लोगों को कॉल करके परेशान करने लगा तो मेरे ससुर मेरी पत्नी को अपने साथ ले गये। मैं ब्रोकर से मंगलसूत्र छुड़ाकर लाऊंगा, तभी मेरी पत्नी लौटकर आयेगी लेकिन मेरे पास तो पैसे हैं ही नहीं।’ 
दरअसल, इंस्टेंट लोन एप्पस के रूप में ब्रिटिश काल के सूदखोर महाजन लौट आये हैं, जिनके मौत के फंदे में मासूम गरीब निरंतर फंसते जा रहे हैं। हालांकि हेमंत ने तो तमामतर विपरीत स्थितियों के बावजूद अभी हार नहीं मानी है, लेकिन कुछ अन्य हैं जो लोन एप्पस के प्रतिनिधियों द्वारा अपमान व उत्पीड़न बर्दाश्त न कर पाने की वजह से अपनी जान गंवा बैठे हैं। तेलंगाना में त्वरित ऋण के चक्र में फंसे छह व्यक्तियों ने आत्महत्या की है। इस संख्या के अधिक होने की आशंका है, लेकिन फिलहाल इतने ही मामलों की पुष्टि हुई है। सिद्दिपेट में कृषि विस्तार अधिकारी 28 वर्षीय मोनिका का 5000 रुपये (कटौती के बाद 3500 रूपये) का ऋण बढ़कर जब 2.5 लाख रुपये हो गया तो उन्होंने खुदकुशी कर ली। हैदराबाद में राजेंद्रनगर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने 70,000 रुपये का ऋण लिया था और जब वह बढ़ते ब्याज के कारण पैसा न लौटा पाए व एप्पस एजेंट्स की गालियां भद्दी होती गईं तो उन्होंने आत्महत्या कर ली। ऋण, ब्याज, एक कर्ज को उतारने के लिए दूसरा कर्ज, गालियां, अपमान और फिर आत्महत्या की अन्य कहानियां भी इससे भिन्न नहीं हैं।
त्वरित ऋण की समस्या जब तेलंगाना में बद से बदतर होती नज़र आयी तो राज्य पुलिस हरकत में आयी और उसने 30 व्यक्तियों को हिरासत में लिया, जिनमें तीन चीनी नागरिक भी हैं। इससे यह मालूम होता है कि यह जाल बहुत दूर तक फैला हुआ है। अब तक पुलिस ने पाया है कि लगभग 1000 करोड़ रुपया बतौर ऋण वितरित किया गया है और चार अलग-अलग चीनी कम्पनियों ने 21,000 करोड़ रुपये का लेन-देन किया है, जिसमें बिटकॉइन लेन-देन भी शामिल है।
इस डेथ-ट्रैप लोन घोटाले पर विराम लगाने के लिए तेलंगाना पुलिस ने गूगल से आग्रह किया है कि वह 158 एप्पस को अपने प्ले स्टोर से हटा दे। पुलिस का कहना है, ‘बड़ी संख्या में फाइनेंसिंग एप्पस एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कम्पनीज़) से टाईअप किये बिना ऋण देते हैं। विभिन्न एप्पस के बीच सांठगांठ भी संदिग्ध है क्योंकि यह पाया गया है कि वे ग्राहकों का डाटा आपस में शेयर करते हैं। 
गौरतलब है कि एप्पस के जरिये ऋण देने की प्रथा 2019 में शुरू हुई थी, लेकिन इसका अधिक प्रयोग अप्रैल 2020 से ही किया गया जब लॉकडाउन के कारण बहुत से लोगों के जॉब्स छूट गये और वे कर्ज लेने के लिए मजबूर हुए। हालांकि एप-आधारित ऋण लेने के मामले में जो घोटाले अब सामने आ रहे हैं, उनसे डिजिटल प्लेटफार्म पर कज़र् लेने के संदर्भ में डर बैठ गया है, लेकिन सवाल यह है कि धोखा देने वाले एप्प को कैसे स्पॉट किया जाये? यह प्रश्न इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि अब तो बैंक भी मोबाइल एप्प पर छोटे लोन देने लगे हैं। इस प्रश्न का उत्तर विस्तृत चर्चा मांगता है। फिलहाल के लिए इतना कहना पर्याप्त होगा कि एप्प जिन बैंक या फाइनेंस कंपनी से ऋण दिलाने का दावा कर रहे हैं, उनसे इस सिलसिले में पुष्टि कर ली जाये और तब ही आगे बढ़ा जाये।  
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर