एयर इंडिया की महिला पायलटों की टीम  जिन्होंने नार्थ पोल में रचा इतिहास

आधुनिक समय में देखा जाए तो महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी जीत का परचम लहरा रही हैं, लेकिन दुनिया का एक ऐसा भी क्षेत्र है जहां सिर्फ पहले पुरुषों का ही आगमन था। वह क्षेत्र है एयर इंडिया यानि विमान चलाने वाला क्षेत्र जिसको पायलट का दर्जा दिया जाता है। पायलटों की इस दुनिया में अब महिलाओं का भी आगमन हो गया है। इस शृंखला में एक नहीं बल्कि कई महिलाएं शामिल हैं। पहला नाम कैप्टन जोया अग्रवाल का आता है जिनके नेतृत्व में पांच अन्य महिला पायलटों ने इतिहास रचा है। यह महिला पायलटों की एक ऐसी टीम थी जिन्होंने दुनिया के उत्तरी ध्रुव के सबसे लम्बे एयर रुट पर उड़ान भरी। इन महिला पायलटों ने लगभग 16000 किलोमीटर की उड़ान भरी। इस शृंखला में सबसे प्रथम स्थान कैप्टन जोया अग्रवाल का आता है।
कैप्टन जोया अग्रवाल के नेतृत्व में एयर इंडिया की महिला पायलटों ने एक टीम के तौर पर इतिहास रचा है। जोया का कहना है कि, ‘जब वह 12 वर्ष की थी तो उनके पास अपना टैलीस्कोप था। लेकिन जब मैंने (जोया) अपने माता-पिता को इस लाइन में यानि कैप्टन बनने के सपने के बारे में बताया तो मेरी मां की आंखों में आंसू थे और वह मुझे कहने लगी कि यह नहीं हो सकता। यह असम्भव है। लेकिन जोया ने कैप्टन बनने के सपने को निर्धारित कर लिया था।’
जोया के अनुसार, हर साधारण वास्तविकता की शुरुआत एक सपने से होती है। बस कठिन मेहनत और उसी काम पर ध्यान केन्द्रित करने की ज़रूरत होती है फिर असंभव-सा कार्य सम्भव हो जाएगा। कैप्टन जोया ने एक सीनियर पायलट के तौर पर 8000 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव हासिल किया है। बतौर कमांडर बी-177 विमान उड़ाने का उनके पास 10 वर्ष से ज्यादा और 25000 घंटे से अधिक का अनुभव है।
कैप्टन शिवानी मन्हास
दुनिया के सबसे लम्बे हवाई मार्ग नार्थ पोल पर उड़ान भरने की द्वितीय शृंखला में नाम कैप्टन शिवानी मन्हास का आता है। 29 वर्षीय शिवानी ने 2009 में इंदौर भोपाल में एम.पी. फ्लाइंग क्लब ज्वाइन किया। 2016 में एयर फोर्स में कार्य करने लगीं। जम्मू-कश्मीर से संबंध रखने वाली शिवानी के माता-पिता का मानना है कि, ज़रूरी नहीं है कि एक बेटा ही पायलट बन सकता है बेटी भी इसमें अपना अच्छा करियर बना सकती है। छोटे से परिवार की इस लड़की ने इतिहास रच दिया। अपने चार वर्षीय अनुभव के तौर पर शिवानी ने कहा, ‘भले ही इतिहास रचने वाली वह प्रदेश की पहली बेटी है लेकिन आखिरी नहीं।’
शिवानी का कहना है कि उड़ान के दौरान ऐसा लगता है कि जैसे ‘ध्रुव पर गहरा अंधेरा हो। आकाश एक एकदम साफ लगता है और लाखों तारें आसमान में दिखाई देते हैं। विमान का तापमान भी एकदम विद्युतीयकृत अर्थात चमकदार लगता है।’ 
कैप्टन थनमई पापागरी  : मुम्बई की रहने वाली 5’2’’ कद की कैप्टन थनमई पापागरी भी इसी शृंखला की तीसरी महिला कैप्टन है जिन्होंने 17 घंटे की समय अवधि से लगभग 14,000 किलोमीटर की दूरी तय की है। एक बार थनमई पापागरी से पूछा गया कि, ‘आप हवाई जहाज़ कैसे उड़ाएंगी? क्योंकि आप बहुत छोटे कद की हैं’ तो उन्होंने कहा कि मुझे इसे आगे बढ़ाने की ज़रूरत नहीं है। हमें यहां सिर्फ पायलट की ज़रूरत है। थनमई कहती है ‘कि जब वह हैदराबाद में रहती थी तो हमेशा ही अपने घर के ऊपर से दो सीटों वाला सेना का 152 विमान उड़ता देखा करती थी क्योंकि उनका घर वहां उड़ान भरने वाले एयर फोर्स क्लब के पास था। फिर मैंने भी पायलट बनने का फैसला किया। शुरुआत में उनके परिवार वालों को उनके (थनमई) फैसले पर सन्देह था लेकिन अब वह उसका समर्थन करते हैं। 1998 में जब मैंने उड़ान भरने का प्रशिक्षण शुरू किया तो वहां मेरे साथ बहुत-सी महिलाएं थीं।
कैप्टन आकांक्षा सोनवने : आकांक्षा सोनवने भी एयरफोर्स की पहली अधिकारी हैं और इस लेख में शृंखला की चौथी महिला है जिन्होंने कई रिकार्ड तोड़े हैं। उनका कहना है कि , ‘एयर इंडिया में महिला पायलटों की संख्या सबसे अधिक है।’ एयर इंडिया में दस प्रतिशत पायलट महिलाएं हैं जोकि विश्व में सबसे अधिक संख्या है। आकांक्षा ने 2010 में एयर फोर्स को ज्वाइन किया, अपनी बड़ी बहन से प्रेरित होकर जोकि खुद कमांडर है। एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर बोइंग 787 में। आकांक्षा के अनुसार, ‘हमारे पास इस मार्ग के लिए कोई मिसाल नहीं थी। हमें पहले से ही उत्तरी ध्रुव के चुम्बकीय अविश्वसनीय क्षेत्र पर उड़ान भरने के बारे बताया गया था।’
कैप्टन निवेदिता भसीन : कैप्टन निवेदिता जेट विमान की कमान सम्भालने के लिए विश्व नागरिक उड़ान  इतिहास में सबसे कम उम्र की महिला पायलट बनीं। भसीन ने बाम्बे औरंगाबाद-उदयपुर सैक्टर पर आई.सी.-492 का संचालन किया। वह एफ.-27 पर पहली महिला चालक दल की पायलट थी। 26 वर्षीय की निवेदिता सन् 1990 में दुनिया की सबसे कम उम्र की कमांडर बनीं।