घोषणाओं की नहीं—गम्भीर योजनाबंदी की आवश्यकता

चुनावों के बाद प्रदेश में बनने वाली सरकार को जहां बड़ी ज़िम्मेदारियां प्रतीक्षा कर रही हैं, वहीं क्रियात्मक रूप में किये जाने वाले अनेकानेक कार्य भी समक्ष हैं। जिस स्थान पर आज प्रदेश आ खड़ा हुआ है, वहां से अगला स़फर करने के लिए प्रत्येक पक्ष से भारी योजनाबंदी करने एवं दृढ़ इरादे के साथ फैसले लेने की आवश्यकता होगी। इसकी गिरती हुई आर्थिकता को ऊपर उठाने एवं उसके बाद इसे विकास के पथ पर डालना किसी प्रकार से सहल कार्य नहीं होगा परन्तु चुनाव प्रचार के दौरान अधिकतर राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर से निरन्तर जिस प्रकार के बयान दिये जा रहे हैं, वे प्रदेश की वास्तविकताओं के सन्दर्भ में विश्वास बंधाने वाले प्रतीत नहीं होते। 
इन पार्टियों की सोच में प्रदेश के लिए भविष्य का क्या मानचित्र है, इसका कुछ न कुछ आभास तो इनकी ओर से जारी किये जाने वाले चुनाव घोषणा-पत्रों से मिल जाता है, परन्तु चुनाव घोषणा-पत्र चुनाव अभियान के अंतिम दिनों में जारी करने से ही इन पार्टियों की इस सोच का भी पता चल जाता है कि वे स्वयं इन्हें कितनी गम्भीरता से लेती हैं। चुनाव मैदान में उतरी एक बड़ी पार्टी ने तो अभी तक भी अपना चुनाव घोषणा-पत्र जारी नहीं किया। कुछ दिन पूर्व आम आदमी पार्टी की ओर से एक संक्षिप्त-सा घोषणा-पत्र जारी किया गया था जिसमें मुफ्त बिजली देने, महिलाओं को एक हज़ार रुपये प्रति माह जारी करने तथा नागरिकों के लिए मुफ्त उपचार करवाने की बात की गई थी परन्तु इसके साथ-साथ यह सोचना भी बहुत ज़रूरी होगा कि ऐसे बयानों की पूर्ति के लिए समुचित साधन कैसे प्राप्त किये जाएंगे। हमें नशों पर काबू पाने की बात तो समझ में आती है, प्रदूषण रहित वातावरण के लिए यत्न करने एवं महिलाओं की सुरक्षा के लिए लामबंदी करने को भी प्रशासनिक प्रबन्धों के साथ जोड़ा सकता है परन्तु जिन मामलों को पूरा करने के लिए भारी धन-राशि की ज़रूरत है, उनकी पूर्ति नया प्रशासन कैसे कर सकेगा। भाजपा एवं उसकी भागीदार पार्टियों की ओर से आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की बात की गई है तथा इसके लिए पांच वर्षों में एक लाख करोड़ रुपये खर्च करने का दावा भी प्रकट किया गया है। इस बड़ी राशि के लिए साधन जुटा पाना भी इतना आसान नहीं हो सकेगा। इसके साथ ही अन्य दलों की ओर से अलापे जा रहे मुफ्तखोरी के राग को दृष्टिगत रखते हुये इस गठबंधन ने भी 300 यूनिट मुफ्त देने की बात की है। 
हम इस बात से अवश्य सहमत हैं कि मध्यम एवं छोटे उद्योगों को विशेष प्रयत्न के साथ प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है। इसके लिए मजबूत एवं बड़ी योजनाओं पर क्रियान्वयन किया जाना चाहिए परन्तु इसी पथ पर चलते हुये अकाली दल (ब) की ओर से 400 यूनिट बिजली मुफ्त देने की बात एवं एक लाख नौकरियां जुटाने की घोषणा भी क्रियात्मक धरातल पर ठोस प्रतीत नहीं होती। इसके साथ ही पांच लाख ़गरीबों के लिए मकान बनाने के लिए भी भारी यत्न किये जाने आवश्यक होंगे। जहां तक शराब एवं रेत के लिए निगम बनाने की बात है, ऐसा विचार अकाली दल को अपने 10 वर्ष के शासन के समय पहले भी आना चाहिए था। हम भिन्न-भिन्न राजनीतिक दलों के इन घोषणा-पत्रों में शामिल अधिकतर बातों को काल्पनिक पुलाव ही समझते हैं। बाद में इन पर क्रियान्वयन न होने के कारण राजनीतिज्ञों की विश्वसनीयता खत्म होना शुरू हो जाती है। लोगों में भी इस कारण रोष उत्पन्न होता है। क्रियात्मक धरातल पर बेहतर योजनाबन्दी के साथ उठाये गये ठोस पग ही प्रदेश के विकास की साक्षी बन सकते हैं तथा लोगों में भरोसा पैदा कर सकते हैं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द