फिल्म में कंटेंट और टीम दोनों का होना ज़रूरी है अभिषेक
वेब सीरीज ’ब्रीद: इन टू द शैडो’ अभिषेक के करियर के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती थीं लेकिन उसमें भी उनके मुकाबले अमित साध मौका मार ले गये। सही अर्थों में मणिरत्नम की ’गुरू’ अभिषेक की इकलौती कामयाब फिल्म कही जा सकती है। मल्टी स्टॉरर ’युवा’ के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड मिला था। दो दशक लंबे करियर में, अभिषेक बच्चन को बेहतरीन अभिनेता मानने वाले सिर्फ गिने चुने लोग ही हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि अभिषेक बच्चन खुद को उपयोगी बनाये रखने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं। उनकी हर कोशिश बस उन्हें एक काम चलाऊ अभिनेता से ज्यादा साबित नहीं होने देती। अब मैं कंटेंट देखकर नहीं बल्कि फिल्म का एडिटर देखने के बाद ही फिल्म साइन किया करूंगा क्योंकि मुझे लगता है कि फिल्म का एडीटर ही होता है जो चाहे तो किसी फिल्म का सत्यानाश कर दे या फिर उसे उबार कर ले जाये। सिर्फ कंटेंट अच्छा होने से कुछ नहीं होता। फिल्म से जुड़ी पूरी टीम अच्छी होनी चाहिए। फिल्म ’दसवीं’ की शूटिंग मैं कंपलीट कर चुका हूं। इसे तुषार जलोटा ने डायरेक्ट किया है। इसमें मेरे अपोजिट यामी गौतम हैं। (अदिति)