शिक्षा-क्षेत्र की एक लज्जाजनक और दुखद घटना

पंजाब के मोहाली में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में कथित अश्लील वीडियो लीक मामले ने समूचे राष्ट्र को एकबारगी हिला कर रख दिया। कई छात्राओं का आपत्तिजनक वीडियो बनाने और उसे अन्य लोगों को भेजने की जो एक शर्मनाक एवं चिन्ताजनक घटना सामने आई, वह कई स्तर पर दुखी और हैरान करने के साथ-साथ ऊच्च शिक्षण संस्थानों की अराजक एवं असुरक्षित होती स्थितियाें का खुलासा करती है। यह खौफनाक हरकत पीड़ित लड़कियों के सम्मान और उनकी जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसी भी है। इन शिक्षा मन्दिरों में संस्कार, ज्ञान एवं आदर्शों की जगह आज की युवा पीढ़ी का मस्तिष्क किस हद तक प्रदूषित हो गया है, अश्लील वीडियो प्रकरण उसकी भयावह प्रस्तुति है। यह एक गंभीर मसला है जिस पर मंथन किया जाना अपेक्षित है। 
अब तक जैसी खबरें आई हैं, उस संदर्भ में यह समझना मुश्किल है कि वहां पढ़ने वाली एक लड़की ने ही कई अन्य लड़कियों के नहाने के कमरे में चुपके से वीडियो बनाया तो उसके पीछे उसकी कौन-सी मंशा काम कर रही थी। अगर उसने अपने किसी दोस्त के कहने पर ऐसा किया तो उसका अपना विवेक क्या कर रहा था! इस प्रकरण को लेकर यूनिवर्सिटी की छात्राओं में आक्रोश होना स्वाभाविक है। उनके अभिभावक चिंतित हैं। कई दिन तक जमकर बवाल मचा रहा। हजारों छात्राएं इन्साफ  की मांग को लेकर प्रदर्शन करती रहीं। यूनिवर्सिटी को एक हफ्ते के लिए बंद कर दिया गया। यद्यपि पंजाब पुलिस ने कथित अश्लील वीडियो बनाने वाली छात्रा, उसके ब्वाय फ्रैंड और उसके एक अन्य साथी के साथ एक सैन्य कर्मी को भी गिरफ्तार किया है। होस्टल के सभी वार्डनों का तबादला कर दिया गया है। घटना की गंभीरता को देखते हुए ये उपाय ज्यादा कारगर नहीं कहे जा सकते। इसीलिये छात्राओं और उनके अभिभावकों की चिंता और गुस्सा शांत होता दिखाई नहीं दे रहा। 
हमारे उच्च शिक्षण संस्थान हिंसा, ड्रग्स, नशा, अश्लीलता एवं अराष्ट्रीयता को पोषण देने के केन्द्र बनते जा रहे हैं। मोहाली में जो भी हुआ, वह शिक्षा के क्षेत्र में काफी शर्मनाक और दुखद है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में जिस तरह का वातावरण बन रहा है, वह न केवल हमारी युवा पीढ़ी के लिए बल्कि समाज के लिए भी घातक साबित हो रहा है। कौन नहीं जानता कि पंजाब के विश्वविद्यालय में और कॉलेज कैंपस में न केवल ड्रग्स उपलब्ध हैं बल्कि युवा पीढ़ी कई तरह के व्यसनों की शिकार है। इन परिसरों में छात्राओं के साथ अश्लील एवं आपत्तिजनक उत्तेजक दृश्य आम बात है। जहां एक ओर तकनीकी क्षेत्र में हमारा उत्थान हुआ है, वहीं दूसरी ओर हमारा नैतिक रूप से पतन भी हुआ है।
देश के मासूम, नवजवान विशेषत: छात्राएं रोज अपने जीवन एवं जीवन के उद्देश्यों को स्वाह कर रहे हैं।  कॉलेज कैंपस में अश्लीलता, कामुकता, हिंसा एवं नशे की घटनाएं केवल धुआं नहीं बल्कि ज्वालामुखी का रूप ले रही हैं। देश की भावी आशा जब किन्हीं मौज-मस्ती, संकीर्ण एवं अराष्ट्रीय स्वार्थों के लिये अपने जीवन को समाप्त करने के लिए आमादा हो जाए तो सचमुच पूरे राष्ट्र की आत्मा स्वतंत्रता के पचहत्तर वर्षों की लम्बी यात्रा के बाद भी इन स्थितियों की दयनीयता देखकर चीत्कार कर उठती है। छात्र जीवन की इन घटनाओं ने देश के अधिकांश विद्यार्थियों और बुद्धिजीवियों को इतना अधिक उद्वेलित किया है जितना कि आज तक कोई भी अन्य मसला नहीं कर पाया था। क्यों अश्लीलता एवं अराजकता पर उतर रहा है देश का युवा वर्ग? शिक्षा के माध्यम से केवल भौतिक संपन्नता एवं उच्च डिग्रियां प्राप्त करना ही पर्याप्त नहीं होता। शिक्षा द्वारा हमें एक अच्छे इन्सान और बेहतर नागरिक भी बनने चाहिएं। इसके लिए अपनी शालीन परम्परा, आदर्शों व जीवन मूल्यों से जुड़ना आवश्यक हो जाता है। मानसिक विकास के बिना भौतिक विकास सार्थक नहीं हो सकता है। 
अक्सर ऐसे मामलों में पुलिस एवं कालेज प्रशासन सत्य को छिपाने एवं दबाने के प्रयास करते हैं। यही मोहाली में देखने को मिला, जिसके कारण छात्राओं का भरोसा पुलिस और यूनिवर्सिटी प्रशासन से उठ गया है और वे होस्टल छोड़कर घरों को वापिस लौटने लगी हैं। छात्राओं का दावा है कि कम से कम 60 छात्राओं के वीडियो बनाए गए हैं। तरह-तरह की कहानियां सामने आ रही हैं। जितने मुंह उतनी बातें। सच सामने आना ही चाहिए लेकिन सच तभी सामने आएगा जब इस केस की जांच निष्पक्ष एवं ईमानदार ढंग से होगी। अर्ध सत्य कभी-कभी पूर्ण सत्य से भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है। 
मोहाली प्रकरण में प्याज के छिल्कों की तरह अब सच धीरे-धीरे सामने आने लगा है और कहानी के कई कोण उभरने लगे हैं। क्या यह सारा प्रकरण लड़कियों को ब्लैकमेल करने के लिए किया गया? अब एक और लड़की का वीडियो मिलने से यह सच भी सामने आ रहा है कि पुलिस किस तरह सच को झूठ ठहरा रही है। अगर इसके पीछे कोई और व्यक्ति या समूह है तो उसे भी कानून के कठघरे में लाया जाना चाहिए। 
छात्राओं की अस्मिता एवं इज्जत का ख्याल रखते हुए ही समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। अगर इस तरह की असुरक्षित और लापरवाही भरी परिस्थिति में छात्राओं को रहना पड़ता है तो इसकी जिम्मेदारी किस पर आती है? इस तरह की व्यवस्था से जुड़े प्रश्नों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, खासतौर पर जब ऐसी घटना होने की खबर आ चुकी है। यह छिपा नहीं है कि हमारे सामाजिक परिवेश में आजकल बहुत सारे लोगों के हाथ में कैमरे से लैस स्मार्टफोन तो आ गए हैं, लेकिन इसके इस्तेमाल और इसके जोखिम को लेकर बहुत कम लोग जागरूक हैं। फिर युवाओं के भीतर उम्र या अन्य वजहों से जो मानसिक-शारीरिक उथल-पुथल होती है, उससे संतुलित तरीके से निपटने और खुद को दिमागी रूप से स्वस्थ और संवेदनशील बनाए रखने में इस तरह की आधुनिक तकनीक बाधा बन रही है। अगर ऐसी प्रवृत्तियां कभी किसी अपराध के रूप में सामने आती हैं तो निश्चित रूप से कानूनी तरीके से निपटना ही चाहिए, लेकिन इसके दीर्घकालिक निदान के लिए इन आधुनिक तकनीकों या संसाधनों के इस्तेमाल को लेकर विवेक और संवेदना का खयाल रखने के साथ-साथ सामाजिक प्रशिक्षण भी जरूरी है। 
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