़गरीब और वंचित वर्ग के लिए वरदान बनी शहरी आवास योजना 

केंद्रीय शहरी आवास मंत्रालय गरीब और वंचित वर्ग के लोगों को अपना घर मुहैया करवाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए लगातार कार्यरत है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की मियाद बढ़ाने से अपने घर के सपने देखने वालों को दिसम्बर 2024 तक अपनी छत मिल जाएगी, ऐसे अनुमान लगाए जा रहे हैं। इस योजना की अवधि बढ़ने से और लोग इस योजना के अंतर्गत दिसम्बर 2024 तक अपने घर के लिए आवेदन कर सकेंगे। 
 केंद्र सरकार में इस मंत्रालय का जिम्मा हरदीप सिंह पुरी के पास है। सरकार ने देश के नागरिकों के लिए ‘हाउसिंग फॉर ऑल या सबके लिए आवास’ अभियान चलाया था। इसी अभियान के अंतर्गत पीएम शहरी आवास योजना चलाई गई। अभी 31 मार्च, 2022 तक केंद्रीय सहायता या सब्सिडी के तौर पर 1,18,020.46 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इसके बाद 31 दिसम्बर, 2024 तक 85,406 करोड़ रुपये लाभार्थियों के खाते में जारी किए जाएंगे। 
सरकार के मुताबिक 31 मार्च, 2022 तक जिन घरों के आवेदन स्वीकार किए गए हैं, उन्हें सरकार की तरफ  से वित्तीय मदद मुहैया कराई जाएगी। पीएम शहरी आवास योजना में 122.69 लाख घरों के आवेदन मंजूर हुए हैं जिनके लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है। साल 2017 में स्कीम के अंतर्गत असली प्रोजेक्टेड डिमांड 100 लाख घरों की थी। इस योजना के अंतर्गत विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित प्रदेश भी लाभ उठा रहे हैं। पंजाब में इस समय आम आदमी पार्टी की सरकार चल रही है और 2022 से पहले कांग्रेस की सरकार थी लेकिन पंजाब में भी केंद्र सरकार ने 115791 घरों को मंजूरी दी। इसी प्रकार राजस्थान में कांग्रेसी सरकार के चलते 278436 घर, दिल्ली में केजरीवाल सरकार के चलते  30286, जम्मू कश्मीर में 49086 घर बनाने की मंजूरी केंद्र सरकार की ओर से दी गई। 
योजना के अंतर्गत चार हिस्सों में केंद्रीय सहायता या सब्सिडी जारी की जाती है। केंद्र सरकार पीएम शहरी आवास योजना के लिए वित्तीय सहायता देती है जबकि राज्यों का काम इस स्कीम को लागू करना और लाभार्थियों की पहचान कर उनका चयन करना होता है। राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों के आधार पर 31 मार्च, 2022 तक 1.22 करोड़ घरों के निर्माण की मंजूरी दी गई है। इनमें से 64 लाख घर पूर्ण हो चुके हैं या लाभार्थियों के सुपुर्द कर दिए गए हैं। 1.23 करोड़ स्वीकृत घरों में से 41 लाख घरों को पिछले दो वर्षों में मंजूरी दी गई है। 
यह केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इसकी शुरुआत 25 जून, 2015 को की गई थी। इस मिशन के तहत झुग्गी-झोंपड़ी वासियों के साथ-साथ ज़रूरतमंदों को पक्का घर उपलब्ध करवाना है। ऐसे सभी घरों में शौचालय, पानी की आपूर्ति, बिजली और रसोई घर जैसी बुनियादी सुविधाएं हैं। मिशन महिला सदस्य के नाम पर या संयुक्त नाम से घरों का स्वामित्व प्रदान करके महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है। दिव्यांगों, वरिष्ठ नागरिकों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक समाज के कमज़ोर वर्गों को प्राथमिकता दी जाती है। स्मार्ट सिटीज़ मिशन भी भारत सरकार की एक प्राथमिकता है जिसका उद्देश्य अच्छे तरीकों, सूचना एवं डिजिटल टेक्नोलॉजी और अधिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी के ज़रिए शहरों तथा कस्बों में लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना है। स्मार्ट सिटी मिशन को भी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था। मिशन को लागू करने की जिम्मेदारी केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की है।  मिशन को सफल बनाने हेतु 7,20,000 करोड़ रुपये की फंडिंग दी गई। पांच चरणों में देश भर में 100 शहरों का चयन किया। इन शहरों को क्षेत्र विकास योजना के तहत अपग्रेड किया जाएगा।
स्मार्ट सिटीज़ मिशन का लक्ष्य भीड़भाड़ को कम करना, सुरक्षा सुनिश्चित करना, वायु प्रदूषण को कम करना और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। हादसों को कम करने के लिए पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों के लिए नए रास्ते बनाए गए हैं। खेल के मैदान, पार्क खुले जिम और अन्य मनोरंजक स्थल बनाए जाएंगे। ऐसा भारतीय नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए किया जाता है।
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