कब रुकेगा ज़हरीली शराब से मौतों का सिलसिला ?


कुछ दिन पहले बिहार में छपरा के मशरख व इसुआपुर गांवों में ज़हरीली शराब पीने से अब तक 40 से अधिक लोगों की मौत होने का समाचार है। गुजरात में अहमदाबाद, बोताद व सुरेंद्रनगर के गांवों में 25 जुलाई, 2022 को ज़हरीली शराब पीने से 42 लोगों की मौत हो गई थी और 97 गंभीर रूप से बीमार हो गये थे। दोनों बिहार व गुजरात में कानूनन शराब बनाने, बेचने व पीने पर पाबंदी है, लेकिन ऐसी दुखद खबरें इन दोनों राज्यों से आती रहती हैं। 
खबरों के आते ही जहां राज्य सरकारों व विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला आरंभ हो जाता है, वहीं शराबबंदी कानून के औचित्य पर भी तीखी बहस छिड़ जाती है कि कुछ लोग इसे निरस्त करने की मांग करने लगते हैं तो कुछ के अनुसार कश्मीर से कन्याकुमारी तक किसी को भी शराब उपलब्ध नहीं होनी चाहिए यानी पूर्ण शराबबंदी हो। यह बहस इस कारण अधिक होती है क्योंकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीबीआर) के डाटा बताते हैं कि जिन राज्यों में शराब पर प्रतिबंध नहीं है, उनमें ज़हरीली शराब पीने से अधिक मौतें होती हैं। संभवत: यही कारण है कि अब पंजाब सरकार ने 15 दिसम्बर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि लोगों को ज़हरीली शराब से सुरक्षित रखने के लिए वह सस्ती व स्वस्थ शराब उपलब्ध करायेगी। गौरतलब है कि पंजाब के तरनतारण, अमृतसर व गुरदासपुर में 2020 में ज़हरीली शराब पीने से 120 व्यक्तियों की मौत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट इसी त्रासदी के संदर्भ में सुनवायी कर रहा था।
पंजाब में बिहार व गुजरात की तरह शराब पर कानूनन प्रतिबंध नहीं है। फिर भी अवैध शराब की तस्करी व कारोबार होता है, जिससे ज़हरीली शराब से त्रासदियां भी हो जाती हैं, बावजूद इसके कि राज्य में अवैध शराब पकड़वाने वाले व्यक्ति के लिए ईनाम देने की भी व्यवस्था है। पकड़वायी गई शराब की मात्रा के अनुसार ईनाम की राशि प्रदान की जाती है। पंजाब के अतिरिक्त मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड आदि भी ऐसे राज्य हैं, जहां शराब पर कानूनन प्रतिबंध नहीं है। फिर भी इन राज्यों से ज़हरीली शराब के सेवन से मौतों की खबरें मिल जाती हैं। कहने का अर्थ है कि समय-समय पर देश के लगभग हर प्रदेश से इस मानव-निर्मित त्रासदी की खबरें सुनने को मिल जाती हैं। भारत में ज़हरीली शराब की अनेक त्रासदियां हुई हैं, जिनमें सैंकड़ों लोगों की जानें गई हैं। मसलन, 2019 में ही हरिद्वार (उत्तराखंड) की त्रासदी के मात्र दो सप्ताह बाद गोलाघाट व जोरहट (असम) में 114 लोग ज़हरीली शराब के सेवन से मरे। इसी तरह दिल्ली (1991), मुम्बई (1991), गुजरात (2009), पश्चिम बंगाल (2011), मुम्बई (2015), बिहार (2016) आदि कुछ प्रमुख त्रासदियां हैं जिनमें सैंकड़ों घर ज़हरीली शराब के कारण बर्बाद हो गये। इन त्रासदियों के संदर्भ में जांच समितियों का भी गठन हुआ, सियासी हंगामे भी हुए, भविष्य में इनकी पुनरावृत्ति नहीं होगी इसके दावे और वायदे भी किये गये और अदालतों ने दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ाएं भी सुनायी।
फिर भी आज यह प्रश्न प्रासंगिक बना हुआ है कि आखिर कब और कैसे बंद होगा ज़हरीली शराब का अवैध धंधा और उससे होने वाली मौतों का सिलसिला? इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जा सकता कि इन्सानी लालच की वजह से ज़हरीली शराब बनायी, बेची व खरीदी जाती है। खरीद-फरोख्त का यह पूरा अवैध धंधा मानव निर्मित है। इसलिए इस पर विराम लगाना संभव है। अगर ऐसा नहीं हो पा रहा है तो निश्चित रूप से इसके लिए प्रशासनिक कमियां व कमज़ोरियां ज़िम्मेदार हैं। बहरहाल, पहले इस बात को समझ लेते हैं कि शराब ज़हरीली हो कैसे जाती है? अवैध शराब का धंधा करने वाले कभी जानबूझकर ज़हरीली शराब नहीं बनाते, शराब बनाने के लिए वे जो गैर-वैज्ञानिक देसी जुगाड़ इस्तेमाल करते हैं, उससे ऐसा हो जाता है। दरअसल, गैर-बीवरेज इस्तेमाल के लिए व्यापारियों को स्पिरिट बेचने का लाइसेंस दिया जाता है। 
यह स्पिरिट इथाइल अल्कोहल (यानी शुद्ध शराब) होती है, लेकिन इसमें मिथाइल का मिश्रण किया जाता है ताकि व्यापारी इसे शराब के तौर पर न बेच सकें। मिथाइल के मिलने से इथाइल अल्कोहल ज़हरीली हो जाती है। फिर होता यह है कि लालच में आकर कई व्यापारी इस मिथाइल युक्त इथाइल अल्कोहल को शराब का अवैध धंधा करने वालों को बेच देते हैं। यह अवैध धंधा करने वाले अपनी भट्टियों पर इथाइल अल्कोहल में से मिथाइल अलग करने का प्रयास करते हैं, जिसमें वह अक्सर सफल हो जाते हैं, लेकिन कभी-कभार मिथाइल पूरी तरह से अलग नहीं हो पाती। इस चूक को जानने के लिए उनके पास साधन नहीं होते, जिससे ज़हरीली शराब की सप्लाई हो जाती है।
इस अवैध तरीके से तैयार की गई शराब सस्ती मिलती है, जिस कारण उसके अधिकतर ग्राहक गरीब मज़दूर होते हैं। बहुत-से ठेके वाले भी इसे खरीदकर अपनी असल शराब में मिलावट करके एक बोतल की दो बोतल बना लेते हैं। 
देखने वाली बात है कि ऐसी त्रासदियां अक्सर ड्राई डे पर या उन जगहों पर होती हैं, जहां शराब मिलना मुश्किल होता है। उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन में वैध शराब मिलना कठिन हुआ तो ज़हरीली शराब की छह घटनाएं हो गईं। इसी तरह बिहार व गुजरात की घटनाओं को इस दृष्टि से भी देखना चाहिए कि इन राज्यों में शराबबंदी है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर