भिखमंगी के क़गार पर खड़े पाकिस्तान के विदेश मंत्री का विवादित बयान


16दिसम्बर को देश में विजय दिवस के रूप में मनाया जा रहा था। वहीं, पड़ोसी देश पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भारत के प्रधानमंत्री को लेकर विवादित टिप्पणी की। बिलावल भुट्टो ने न्यूयॉर्क में प्रैस मीट के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘गुजरात का कसाई’ बताया। बिलावल भुट्टो ने कहा कि ओसामा बिन लादेन मर गया है, लेकिन गुजरात का कसाई नरेन्द्र मोदी अभी भी जिंदा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सरकार गांधी की विचार धारा में नहीं बल्कि उनके हत्यारों की विचारधारा में विश्वास करती है। बिलावल ने कहा कि भारत हिटलर की विचार धारा से प्रभावित है। बिलावल ने भारत पर ब्लूचिस्तान में आतंकवाद फैलाने का भी बेबुनियाद आरोप लगाया। दर असल, बिलावल का यह बयान हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की तरफ से पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर  घेरने को लेकर आया था। जयशंकर ने पाकिस्तान को आतंकवाद और ओसामा बिन लादेन को पनाह देने के मुद्दे पर  घेरा था।
पाकिस्तान को आज से 51 साल पहले संयुक्त राष्ट्र में शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी। बिलावल के नाना और  पाकिस्तान के मौजूदा विदेश मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने संयुक्त राष्ट्र में भाषण के दौरान संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव फाड़ दिया था। पाकिस्तान ने भारत की जीत के बाद बौखलाहट में संयुक्त राष्ट्र को खूब खरी-खोटी सुनाई थी। इससे पाकिस्तान की अंतराष्ट्रीय मंच पर खूब बेइज्जती हुई थी। 15 दिसम्बर 1971 को जुल्फिकार ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के साथ पक्षपात का आरोप लगाया था। इसके बाद उन्होंने प्रस्ताव के पन्ने फाड़ दिए और  तिलमिला कर अपनी टीम के साथ उठ कर चले गए थे। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में दिए गए विवादित बयान पर  भारत ने करारा पलट वार किया। भारत ने शुक्रवार को कहा कि यह उस देश (पाकिस्तान) के लिए भी एक ‘नया निम्न स्तर’ है यानी कि उसके लेवल से भी गिरा हुआ है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पाकिस्तान के नेता बिलावल भुट्टो द्वारा न्यूयॉर्क में की गई टिप्पणी पर कड़ी निंदा करते हुए कहा कि अच्छा होता कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री अपनी ‘कुंठा’ अपने देश में आतंकवादी संगठनों के मास्टर माइंड्स पर  निकालते, जिन्होंने आतंकवाद को देश की नीति का एक हिस्सा बना दिया है।
जयशंकर  ने बिलावल को जवाब देते हुए कहा था, ‘यूएन की सार्थकता इस बात पर है कि हमारे वक्त की सबसे बड़ी चुनौतियों जैसे महामारी, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद पर इसका रवैया असर दार दिखे। हम इस समस्याओं का समाधान अभी भी तलाश कर रहे हैं, लेकिन इन समस्याओं को सामान्य मान लेना बिल्कुल स्वाकीर नहीं किया जा सकता। दुनिया जिसे बर्दाश्त करने लायक नहीं मानती उसके पक्ष में दलीलें देने का सवाल ही नहीं उठता। ये बात आतंकवाद को सरकारों के समर्थन पर भी लागू होती है। ओसामा बिन लादेन को मेहमान बनाकर रखने वाले और दूसरे देश की संसद पर आतंकी हमला कर ने वाले इस परिषद् को उपदेश देने का अधिकार नहीं रखते।’
जयशंकर ने बिलावल को यही तक नहीं छोड़ा, कल भी उन्होंने बिलावल भुट्टो पर जोरदार हमला किया था। जयशंकर  ने कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर सारी दुनिया को मूर्ख नहीं बना सकता। अमरीका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के पुराने बयान की याद दिलाई और कहा कि अगर पाकिस्तान अपने घर  में सांप पालेगा तो ये सांप उसे भी डंसेगा। 
गौरतलब है कि पाकिस्तान इस समय भिखमंगी की कगार पर है। उसे पड़ोसियों से अच्छे संबंध रखने चाहिए। ऐसे वक्त पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो बेवजह भारत से बचे-खुचे संबंध भी खराब करना चाहता हैं। आपको बता दें पाकिस्तान में आर्थिक के साथ-साथ राजनीतिक संकट भी जारी है। अंतराष्ट्रीय मुद्राकोष यानि आईएमएफ  उसे नए कर्ज की किश्त देने को तैयार नहीं है। पाकिस्तान को अब भी उम्मीद है कि चीन और  सऊदी अरब मिलकर उसे दिवालिया होने से बचा लेंगे। पाकिस्तान 75 साल में 28वीं बार दिवालिया होने की कगार पर है। पड़ोसी देश को इस हालत में पहुंचाने के जिम्मेदार उसके हुक्मरान हैं।  उधार लेकर घी पीना और विदेशी मदद का इस्तेमाल आतंकवाद की खेती के लिए करना उसकी राष्ट्रीय नीति का अंग बन चुका है। एक तरफ तो वो अपना विदेशी मुद्रा भंडार  खाली नहीं कर सकता, दूसरी तरफ दूसरे देशों से उसे मदद भी नहीं मिल रही। ऐसे में अब जनवरी से मार्च के पहले तीन महीने में विदेशी कर्ज चुकाने और आयात के लिए फंड कहां से आएंगे, इस पर  बहुत बड़ा सवालिया निशान लग गया है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री भले ही सऊदी अरब और चीन से नए लोन मिलने का दावा कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। नवम्बर की शुरूआत में दोनों देशों से बातचीत हुई थी, लेकिन इनकी तरफ से अब तक कोई पैसा नहीं मिला है। लोगों को कब तक आप भारत के खिलाफ  भड़का कर  रखेंगे। समय आएगा, जब इनको बगावत के जरिये इनको समझ आएगा। बातचीत के जरिए ही हल निकलेगा। (युवराज)