बजट की गतिशीलता


केन्द्रीय वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा वर्ष 2023-24 का पेश किया गया बजट कई पक्षों से बड़ी राहत देने वाला माना जा सकता है। वित्त मंत्री सीतारमण ने पांचवीं बार लोकसभा में बजट पेश किया है। उनका यह दावा है कि देश की अर्थ-व्यवस्था इस प्रकार मज़बूत हुई है कि यह पिछले 9 वर्ष की अवधि में वैश्विक स्तर पर 10वें स्थान से ऊपर उठ कर अब 5वें स्थान पर पहुंच गई है। पिछले समय के दौरान कई बार देश को बड़ी समस्याओं में से गुज़रना पड़ा है। दो वर्ष तक कोविड महामारी ने हर पक्ष से बड़ा प्रभाव डाला था। इस दौरान विश्व के ज्यादातर देशों की अर्थ-व्यवस्था पूरी तरह डगमगा गई थी, परन्तु इस समय भी यह देश बड़े यत्नों के साथ खड़ा रहा। उस समय सबसे बड़ी उपलब्धि देश भर के 130 करोड़ लोगों में से ज्यादातर को दो बार टीके लगाने की रही। परन्तु उस समय सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ कि करोड़ों लोग रोज़गार गंवा बैठे। इस व्यापक घाटे की पूर्ति अब तक नहीं हो सकी। इसलिए प्रत्येक क्षेत्र में नौकरियों का अधिक से अधिक प्रबन्ध किया जाना आवश्यक है।
सीतारमण ने देश में मूलभूत ढांचे के निर्माण पर ज़ोर दिया है। प्रधानमंत्री आवास योजना में 79 हज़ार करोड़ रुपये की राशि में 66 प्रतिशत वृद्धि करने की घोषणा के साथ रोज़गार के बड़े अवसर पैदा हो सकेंगे। इसी तरह रेलवे के क्षेत्र में एक लाख करोड़ अधिक राशि जुटाने से भी रोज़गार में वृद्धि हो सकेगी। गांवों में मनरेगा योजना ज़रूरतमंदों का सहारा बन रही है। शहरों में भी अधिक से अधिक मूलभूत ढांचे के निर्माण की योजनाओं को लागू करके रोज़गार के साधन पैदा किए जाने सम्भव हैं। इस संबंध में पहले ही रखी गई 10 लाख करोड़ की राशि में 33 प्रतिशत वृद्धि किये जाने से भी रोज़गार के क्षेत्र में स्थिति को कुछ बेहतर बनाया जा सकता है। चाहे निर्माण क्षेत्र में निजी कम्पनियों को भी उत्साहित किये जाने के संकेत दिये गये हैं परन्तु इस संबंध में ज्यादा विस्तार सामने नहीं आया। इसी तरह एकलव्य स्कूलों के लिए भी व्यापक स्तर पर स्टाफ भर्ती किये जाने का ज़िक्र किया गया है।
शहरी विकास हेतु 10 हज़ार करोड़ की आरक्षित राशि के साथ भी ऐसी सक्रियता के बढ़ने की आशा की जा सकती है। वित्त मंत्री ने आयकर की पुरानी व्यवस्था के अनुसार निजी आय पर कर की छूट 5 लाख रुपये से बढ़ा कर 7 लाख रुपये तक कर दी है परन्तु जो व्यक्ति नए आयकर व्यवस्था के अनुसार कर देना चाहेगा उसके लिए 5 स्लैबों की घोषणा की गई है। 3 लाख रुपये तक कोई कर नहीं, 3 लाख 1 रुपये से 6 लाख रुपये तक 5 प्रतिशत, 6 लाख 1 रुपये से 9 लाख रुपये तक 10 प्रतिशत, 9 लाख 1 रुपये से 12 लाख रुपये तक 15 प्रतिशत, 12 लाख 1 रुपये से 15 लाख रुपये तक 20 प्रतिशत तथा 15 लाख रुपये से ऊपर 30 प्रतिशत कर लगेगा। माना जा रहा है कि इससे देश भर के करोड़ों लोगों को राहत मिलेगी।  पिछले काफी वर्षों से मध्यम वर्ग के लोग सरकार से ऐेसी घोषणा का इंतजार कर रहे थे। चाहे पिछले समय में भारत के आत्म-निर्भर बनने की बात लगातार की जाती रही है। इस दिशा में वित्त मंत्री ने खिलौने, साइकिल तथा ऑटो मोबाइल के क्षेत्र में राहत की जो घोषणा की है, उससे अपने देश में ही उत्पादन किये जाने को उत्साह ज़रूर मिलेगा, परन्तु अभी तक भी देश में निर्यात तथा आयात में बड़ा अंतर देखा जा सकता है। विदेशों से बड़ी मात्रा में तेल खरीदने ने भी देश की अर्थ व्यवस्था पर प्रभाव डाला है। यह भी एक बड़ा कारण है कि भारतीय रुपये की कीमत आज अमरीकी डॉलर के मुकाबले में कहीं कम है। इसलिए आगामी समय में सरकार को हर तरह का घरेलू उत्पादन बढ़ाने हेतु यत्नशील रहना पड़ेगा।
कृषि क्षेत्र में प्राकृतिक कृषि के लिए आरक्षित राशि रखने के साथ-साथ किसानों के लिए ऋण की राशि 20 लाख करोड़ तक बढ़ा दी गई है। परन्तु कृषि को लाभदायक बनाने या कृषि आधारित उद्योगों को उत्साहित करने के लिए ऐसी किसी योजना की झलक बजट में नहीं मिलती। परन्तु मुफ़्त अनाज योजना एक वर्ष के लिए और बढ़ा दी गई है तथा किसान सम्मान निधि योजना के तहत 2 लाख करोड़ का खर्च किया गया है। यह योजना आगे भी जारी रहेगी। पेश किए गए इस घाटे वाले बजट हेतु सरकार को 15.4 लाख करोड़ का ऋण लेना पड़ेगा, जिसका आगामी समय में उसे प्रबंध करना होगा। भविष्य में लोगों की सरकार से आशा रहेगी कि उसकी योजनाओं एवं नीतियों द्वारा अधिक से अधिक रोज़गार पैदा हों। नि:सन्देह निम्न वर्ग के करोड़ों लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने की सफलता को ही सरकार की उपलब्धि माना जाएगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द