ट्रैफिक के नियम जानती हैं चींटियां

बेशक चींटियां सड़क के नियमों के अनुसार नहीं चलती। ज़मीन पर अक्सर लाईन बनाकर चलती चीटियों को आपने ज़रूर देखा होगा। यह भी देखा होगा कि लाईन में चलती चींटियां, पूरे अनुशासन में रहती हैं। सोचकर बहुत हैरानी होती है कि चींटियां एक दूसरे से टकराती भी नहीं। 
छोटी चींटियां यह सारी योजनाबंदी कैसे बना लेतीं हैं? चींटियों को चलते समय उन परेशानियों का समाना करना पड़ता है, जो सड़क पर यातायात का प्रबंध करने समय इंजीनियरों को करना पड़ता है। 
आओ हम इस बारे में कुछ जानने का प्रयास करें। वैज्ञानिकों द्वारा किये एक अध्ययन से हमें चींटियों के स्वभाव और जुगत के बारे में ज्यादा जानकारी मिलती है। जब चींटियां अपनी बिल (खुड) से दूर भोजन की तलाश में निकलती हैं, तो घर लौटने समय प्रत्येक चींटी ने अपने साथ कोई न कोई खाद्य सामग्री का भार उठाया होता है। आने जाने के समय चींटियां टै्रफिक नियमों को बहुत सलीके से पालन करती हैं। क्या आपको पता है कि चींटियां आपस में संवाद कैसे करती हैं? चलने के समय जब इकट्ठी हो जाती हैं तो रास्ते का कैसे चयन करती हैं? रास्तों की योजनाबंदी कैसे बनाती हैं?
भोजन की तलाश में घर से निकलने के समय से लेकर भोजन को बिल (खुड) तक उठाकर लाने तक, चींटियां ट्रैफिक नियमों का पालन कैसे करती हैं? हो सकता है चींटियों से सिखकर हमें भी लाईनों में चलना आ जाए।
रसायन छोड़ती हैं चींटियां : चलने के समय कतार में अग्रणी चींटियां धीरे-धीरे एक रयायन छोड़ती जाती हैं। यह रसायन होता है-फेरोमन। बाकी चींटियां इस सांकेतिक रसायन को सूंघ कर आगे की चींटियों के पीछे-पीछे लाईन में चलती जाती हैं। आते-जाते रास्ते में यदि कहीं ट्रैफिक ज्यादा हो जाए तो चींटियां अपने चलने की रफ्तार धीमी कर लेती हैं परन्तु कभी-कभी चलना बंद भी कर देती हैं।
चींटियां रफ्तार बदलती रहती हैं : चलते हुए चींटियां कई बार तो बहुत धीरे चलती हैं। एक सैकेंड में अपने शरीर की लम्बाई से दोगुनी दूरी तय करती है। कई चींटियां तेज़ चलती हैं। एक सैकेंड में अपने शरीर की लम्बाई से छ: गुणा दूरी तय कर जाती हैं। 
सैनिक चींटियों पर प्रयोग : एक प्रयोग सैनिक चींटियों पर भी किया गया। यह देखा गया कि जब ट्रैफिक बढ़ गया तो चींटियां दो की जगह तीन लाईनें बनाकर चलने लगी। बिल से बाहर जाने वाली चींटियां बाहर की तरफ दो लाईनों में चल रही थीं। वैज्ञानिक मानते हैं कि बीच की लाईन में चलने से घर वापिस आती चींटियां ज्यादा सुरक्षित होती हैं। दूसरा बाहर आ रही चींटियों के भिड़ने के मौके खत्म हो जाते हैं।
चींटियों में अपने से ज्यादा सामूहिक भलाई करने की प्रवृत्ति है। हर चींटी कुछ न कुछ ऐसा करती है, जिससे समूचे चींटियों के समाज को लाभ होता है। चींटियां परस्पर परोपकार करती हैं। हमें यह व्यवहार चींटियों से सीखना चाहिए।
चींटी के अलावा पक्षियों और हाथियों में भी ऐसा व्यवहार देखने को मिल जाता है।