ग्रीन जॉब्स में तेज़ी से उभर रहा रोज़गार क्षेत्र!

ग्रीन बिल्डिंग, ग्रीन एनर्जी की ही तरह अब ग्रीन कॉलर जॉब भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा शब्द है। जी हां, ग्रीन कॉलर जॉब रोज़गार का एक ऐसा क्षेत्र है, जो पर्यावरण और संरक्षणीय परंपराओं व प्रौद्योगिकी को इंसान के अनुकूल बनाने या उसके इस्तेमाल में मदद करता है। ग्रीन कॉलर जॉब वास्तव में कई दूसरे कलर जॉब से भिन्नता स्थापित करने के लिए भी विकसित हुआ शब्द है। मसलन व्हाईट कॉलर जॉब और ब्लू कॉलर जॉब। ग्रीन कॉलर जॉब में कॅरियर बनाने के लिए छात्रों को बीएससी/बीई/बीटेक तथा एनवायरमेंटल साइंस के विभिन्न पाठ्यक्रमों में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, पीजी डिप्लोमा या कई तरह के सर्टिफिकेट कोर्स मददगार हैं। कई यूनिवर्सिटियों में विभिन्न तरह के ग्रीन कॉलर जॉब्स के लिए डिग्री और डिप्लोमा कोर्स कराते हैं। 
हालांकि ग्रीन कॉलर जॉब अचानक चलन में आया शब्द नहीं है, पिछले एक डेढ़ दशक से इस शब्द को लेकर कम से कम रोज़गार के क्षेत्र में घूम फिर रहे लोग परिचित हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से ग्रीन कॉलर जॉब शब्द इसलिए खूब चर्चा में आ गया है, क्योंकि 15 अगस्त, 2024 को प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र को किए गए अपने संबोधन में न सिर्फ ग्रीन जॉब शब्द का दो तीन बार इस्तेमाल किया बल्कि उन्होंने आने वाले दिनों में इस सेक्टर में जबरदस्त रोज़गार संभावनाओं की बात भी कही। प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को लेकर भारत ग्लोबल हब बनने के लिए तैयार है। उनके मुताबिक युवा इस क्षेत्र में आगे बढ़ें, अगले पांच सालों में इस क्षेत्र में बहुत सारी नौकरियां आने वाली हैं।
इंटरनेशनल रिन्यूबल एनर्जी एजेंसी और इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2020-21 में कुल 8,63,000 लोगों को ग्रीन जॉब सेक्टर में नौकरी मिली। इनमें 2,17,000 सौर फोटो वर्टिकल में और 4,14,000 नौकरियां जलविद्युत सेक्टर में मिली थीं। साल 2021 में भी इस क्षेत्र में नौकरियां बढ़ीं और एक अनुमान के मुताबिक साल 2030 तक सबसे ज्यादा रोज़गार पैदा करने वाले क्षेत्रों में एक ग्रीन जॉब्स क्षेत्र भी होगा। अगर भविष्य के रोज़गारों पर नज़र रखने वाली एजेंसियों के अनुमानों की मानें तो आने वाले दिनों में सबसे ज्यादा जिन कुछ पेशेवरों की मांग होने वाली है, उनमें शामिल हैं- नवीकरणीय ऊर्जा इंजीनियर, पर्यावरण नीति विश्लेषक, वायु गुणवत्ता इंजीनियर, कृषि उपकरण तकनीशियन, निर्माण निरीक्षक, हरित भवन आर्किटेक्ट, पर्यावरण संरक्षण वैज्ञानिक, पर्यावरण सलाहकार। ये वो सारे क्षेत्र हैं, जिन्हें ग्रीन जॉब्स के दायरे में माना जाता है। इन सभी क्षेत्रों में आने वाले कुछ सालों में कई लाख नौकरियां पैदा होने वाली हैं।
दरअसल दुनियाभर में पर्यावरण संबंधी मुद्दा लगातार न सिर्फ गहरे विमर्श का विषय है बल्कि लगातार इस क्षेत्र में नये-नये नीतिगत निर्णय होने के कारण यह बहुत सारी गतिविधियों के केंद्र में भी है। मसलन पूरी दुनिया में जीवाश्म ऊर्जा की जगह रिन्यूबल एनर्जी पर जोर दिया जा रहा है, इस कारण बड़े पैमाने पर रिन्यूबल एनर्जी इंजीनियरों की ज़रूरत दुनिया को है। कृषि क्षेत्र का भी नई तरह से तकनीकीकरण हो रहा है और भवन निर्माण से लेकर अपशिष्ट प्रबंधन तक ग्रीन जॉब्स के दायरे में आये ऐसे क्षेत्र हैं, जहां विशेषज्ञों को शुरुआती 8 से 10 लाख रुपये वार्षिक पैकेज से शुरु होकर, अगले कुछ ही सालों में 40 लाख रुपये तक वार्षिक पैकेज के जॉब्स उपलब्ध हैं। ग्रीन जॉब्स न सिर्फ सीधे पर्यावरण व पारिस्थितिकी से संबंधित विभिन्न प्रौद्योगिकी संबंधी जॉब है बल्कि इनके साथ ही, इन क्षेत्रों के सहायक जॉब भी तेज़ी उभर रहे हैं मसलन कृषि उपकरण तकनीशियन, सौर पैनल इंस्टॉलर, हरित आईटी तकनीशियन, पवन टरबाइन तकनीशियन, जल संसाधन इंजीनियर और टिकाऊ सॉफ्टवेयर डेवलपर की भी मांग काफी बढ़ी है। 
अगर आंकड़ों के आईने में देखें तो ग्रीन स्किल्स की मांग में साल 2022 में जहां 12.3 प्रतिशत थी, वहीं 2023 में यह 22.4 प्रतिशत हो गई। वास्तव ग्रीन स्किल्स में हाल के सालों में बहुत सारे क्षेत्र शामिल हो गये हैं जैसे- क्लाइमेट एक्सन प्लानिंग, सस्टेनबिल्टी एजुकेशन, कॉर्बन एमिशन, कॉर्बन एकाउंटिंग, हाइड्रोजन स्टोरेज, हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स, कॉर्बन कैपचर, ग्रीन आईटी, सोलर सिस्टम डिजाइन, इको सिस्टम मैनेजमेंट, इंपैक्ट एसेसमेंट, सस्टनेबल ट्रांसपोर्ट, सोलर इंडस्ट्री, बायो गैस, सस्टेनेबल प्रोक्योरमेंट, स्वॉयल सैम्पलिंग, परमा कल्चर। ये सब क्षेत्र हाल के दिनों में तेजी से विकसित हुए ग्रीन जॉब्स के क्षेत्र हैं और एक आंकलन के मुताबिक ग्रीन टैंलेंट पूल में पूरी दुनिया में वर्तमान में 66 प्रतिशत से ज्यादा स्किल्ड एक्सपर्ट की कमी है।
लब्बोलुआब यह कि आने वाले सालों में ग्रीन जॉब्स एक बहुत बड़े रोज़गार के क्षेत्र में उभरने वाला है। पहले हम सिर्फ पर्यावरण इंजीनियरिंग या मौसम विज्ञान जैसे कुछ खास क्षेत्रों को ही इस क्षेत्र के जॉब में गिनती करते थे। आज की तारीख में ग्रीन जॉब्स के पांच दर्जन से ज्यादा क्षेत्र तो ऐसे उभरकर सामने आ चुके हैं, जहां लाखों की तादाद में कुल लोग काम कर रहे हैं। जबकि आने वाले दिनों में विशेषज्ञों का अनुमान है कि कम से कम 100 ऐसे क्षेत्र और सामने आएंगे, जहां ग्रीन स्किल्स में दक्ष लोगों की मांग होगी। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर