लोकसभा व विधानसभा चुनावों के लिए अभी से सक्रिय हुए राजनीतिक दल

अगले साल प्रदेश में होने वाले लोकसभा व विधानसभा चुनावों के लिए सभी राजनीतिक दल अभी से सक्रिय हो गए हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश के सभी ज़िलों में 3-3 दिन के कार्यक्रम आयोजित कर ग्रामीण क्षेत्रों में जन संवाद कार्यक्रम शुरू किया है ताकि चुनाव से पहले लोगों के साथ न सिर्फ सम्पर्क कायम किया जा सके बल्कि सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाया जा सके। अब तक मुख्यमंत्री भिवानी, पलवल, कुरुक्षेत्र सहित कई ज़िलों में कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं और आगे भी उनके कार्यक्रम तय किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री के अलावा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओ.पी. धनखड़ भी पार्टी की गतिविधियों को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं और भाजपा पिछले कुछ समय से बेहद सक्रिय नज़र आ रही है। दूसरी तरफ जजपा ने भी न सिर्फ संगठन को मज़बूती देने के लिए पार्टी के नए ज़िलाध्यक्ष और प्रदेश और राष्ट्रीय पदाधिकारी नियुक्त कर दिए हैं बल्कि उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला द्वारा प्रदेश के अलग-अलग ज़िलों में जाकर लोगों से व्यक्तिगत सम्पर्क व आए दिन दर्जनों कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं जिसके चलते सत्तारूढ़ गठबंधन भाजपा और जजपा के नेता आजकल फील्ड में काफी सक्रिय नज़र आ रहे हैं। 
विपक्षी दल भी हुए सक्रिय
सत्तारूढ़ दल के साथ-साथ हरियाणा में विपक्षी पार्टियां भी काफी सक्रिय हो गई हैं। एक तरफ जहां पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी इन दिनों काफी सक्रिय है और किसानों व पहलवानों के मुद्दों पर आए दिन सरकार को घेर रही है, वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव कुमारी शैलजा भी काफी सक्रिय हो गई हैं। कभी वह सिरसा, फतेहाबाद और हिसार में सक्रिय नज़र आती हैं तो कभी यमुनानगर, अम्बाला और करनाल में पहुंच जाती हैं और कभी दिल्ली में धरना दे रहे पहलवानों के बीच जाकर सरकार को घेरते हुए नज़र आती हैं। इधर इनेलो विधायक अभय चौटाला ने भी पिछले करीब दो महीने से प्रदेश में पदयात्रा शुरू कर रखी है। उनकी पदयात्रा 25 सितम्बर तक चलेगी और स्व. चौधरी देवीलाल के जन्मदिन पर आयोजित होने वाली सम्मान दिवस रैली के मौके पर सम्पन्न होगी। वह इनेलो को फिर से ताकत देने और अगले चुनाव में पार्टी को सत्ता के लिए मज़बूत दावेदार बनाने के लिए प्रदेश के सभी ज़िलों और विधानसभा हल्कों का दौरा कर रहे हैं। वह आए दिन सरकार पर तीखे हमले कर रहे हैं। उनकी पदयात्रा का इनेलो को कितना लाभ मिलेगा, यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन फिलहाल वह प्रदेश की राजनीति में बेहद कमज़ोर हो चुकी और मात्र एक सीट पर सिमट चुकी इनेलो को ताकत देने के प्रयास ज़रूर कर रहे हैं। 
अभी भी सक्रिय हैं ओम प्रकाश चौटाला
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला की उम्र चाहे 88 वर्ष से ज्यादा हो गई है, इसके बावजूद अभी तक वह न सिर्फ राजनीति में सक्रिय हैं बल्कि उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि वह हार मानने वालों में से नहीं हैं। उनमें अभी भी पूरे हरियाणा को मापने की क्षमता है। उन्होंने अभय चौटाला के नेतृत्व में चल रही पदयात्रा के दौरान भी कई विधानसभा हलकों का दौरा किया और अब भी पूरे प्रदेश में ज़िला स्तर पर इनेलो कार्यकर्त्ताओं की बैठकें आयोजित कर उन्हें सक्रिय करने और इनेलो को मज़बूती देने के प्रयासों में लगे हुए हैं। प्रदेश में करीब 4 दशकों तक ऐसा समय रहा था कि जब चौधरी देवीलाल व ओम प्रकाश चौटाला के परिवार की पार्टी चाहे वह इनेलो अथवा किसी अन्य नाम से रही हो, हमेशा या तो सत्ता पक्ष में रही या मुख्य विपक्षी दल के तौर पर रही थी। 2018 में परिवार और पार्टी में टूट होने के बाद ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे डॉ. अजय चौटाला और ओम प्रकाश चौटाला के पौत्र दुष्यंत चौटाला को जब इनेलो से निकाल दिया गया तो उन्होंने अलग होकर जन नायक जनता पार्टी के नाम से अपनी नई पार्टी का गठन कर लिया था। जजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीतीं और भाजपा के साथ गठबंधन सरकार में शामिल है। दुष्यंत चौटाला इस समय जजपा की ओर से सरकार में उप-मुख्यमंत्री हैं और देवेंद्र बबली व अनूप धानक भी जजपा कोटे से मंत्री हैं। इनके अलावा जजपा कोटे से कई नेता प्रदेश स्तर के बोर्ड एवं निगमों के चेयरमैन भी हैं। दूसरी तरफ पिछले विधानसभा चुनाव में इनेलो को ऐलनाबाद की मात्र एक सीट हासिल हुई थी। अब पूर्व मुख्यमंत्री इनेलो को फिर से प्रदेश की राजनीति की मुख्य धारा में लाने के लिए प्रयासरत हैं। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को कितनी सफलता मिल पाएगी, यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन एक बात साफ है कि उम्र के इस पड़ाव पर भी पूर्व मुख्यमंत्री ने हार नहीं मानी है और वह प्रदेश में लगातार अपने आपको सक्रिय रखे हुए हैं। 
महिला पहलवानों का मुद्दा
भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला खिलाड़ियाें का यौन शोषण करने का आरोप लगाये जाने और बृजभूषण पर मामला दर्ज होने के बाद उन्हें गिरफ्तार करने की मांग को लेकर हरियाणा की कई नामी महिला व पुरुष पहलवान दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं। पहलवानों की मांग है कि बृजभूषण के खिलाफ दर्ज एफआईआर को देखते हुए उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए और सभी पदों से बर्खास्त किया जाए। महिला पहलवानों के धरने को हरियाणा के विभिन्न संगठनों और राजनीतिक दलों के अलावा प्रदेश की खापों और विभिन्न किसान संगठनों ने भी खुला समर्थन दे दिया है। विभिन्न राजनीतिक दलों, खापों और किसान संगठनों के समर्थन के बाद यह मामला अपने आप में लगातार सुर्खियां बना हुआ है। पहलवानों के इस धरने से सत्तारूढ़ भाजपा की परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। बृजभूषण सिंह भाजपा के सांसद हैं अत: उनके खिलाफ हरियाणा भाजपा के नेता ज्यादा खुलकर बोल भी नहीं सकते। दूसरी तरफ धरने पर बैठे खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश व हरियाणा के नाम को कई बार रोशन कर चुके हैं और लोगों में उनके प्रति काफी सम्मान है इसलिए वे खिलाड़ियों का भी विरोध करने की स्थिति में नहीं हैं। पहलवानों के धरने के साथ ही एक बार फिर हरियाणा के राज्यमंत्री संदीप सिंह का मामला भी सुर्खियां बन रहा है। राज्यमंत्री संदीप सिंह के खिलाफ एक जूनियर महिला कोच द्वारा यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज करवाया गया था। मामला चंडीगढ़ पुलिस के पास दर्ज होने के बावजूद अभी तक पुलिस ने संदीप सिंह को गिरफ्तार नहीं किया है। इसी मुद्दे पर विपक्षी दल बृजभूषण वाले मुद्दे के साथ संदीप सिंह का मुद्दा भी जोड़कर सरकार को घेरने में लगे हुए हैं। 
एक अफसर की बढ़ीं मुश्किलें
हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी विजय दहिया की मुश्किलें बढ़ गई हैं। विजय दहिया की अग्रिम ज़मानत याचिका को हाईकोर्ट रद्द कर चुका है। हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो आजकल आए दिन अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज करने और गिरफ्तार करने में लगा हुआ है। विजीलैंस की सक्रियता से कई अधिकारी जेल की सलाखों के पीछे जा चुके हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो ने रोज़गार कौशल निगम में एक व्यक्ति का 50 लाख रुपए का बिल पास करवाने के एवज में आईएएस अफसर के नाम पर रिश्वत मांगने के आरोप में एक महिला को गिरफ्तार किया था। उस महिला को जब एंटी करप्शन ब्यूरो ने पकड़ा तो महिला ने आईएएस अधिकारी का नाम ले दिया और फोन पर आईएएस अधिकारी से बात भी करवा दी। इससे आईएएस अधिकारी भी मामले की चपेट में आ गया। इसी के चलते आईएएस अधिकारी का विदेश दौरा भी खटाई में पड़ गया और अब अग्रिम ज़मानत याचिका रद्द होने के चलते आईएएस अधिकारी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। 


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