दुखद रेल दुर्घटना

 

ओडिशा के बालासोर ज़िले में घटित रेल दुर्घटना बेहद भयावह तथा रौंगटे खड़े करने वाली है। एकाएक सैकड़ों का इस तरह मारा जाना बेहद दुखदायी है। समाचारों के अनुसार एक हज़ार के लगभग घायलों में ज्यादातर की हालत गम्भीर है। चाहे हर पक्ष से बचाव कार्य तेज़ किये गये हैं तथा प्रधानमंत्री ने भी यहां का दौरा किया है परन्तु ऐसी दुखद दुर्घटना आने वाले लम्बे समय तक भूलने वाली नहीं है। यह दुर्घटना पिछले दशकों में घटित भयावह दुर्घटनाओं में से एक है। इससे पहले वर्ष 1981 में बिहार में  एक रेलगाड़ी पुल से नीचे गिर गई थी, जिस कारण 750 के लगभग लोग मारे गये थे। वर्ष 1995 में फिरोज़ाबाद के निकट हुई रेल दुर्घटना में 300 से अधिक मौतें हो गई थीं। इसी तरह खन्ना में घटित दुर्घटना में भी 200 से अधिक मौतें हुई थीं।
चाहे मौजूदा दुर्घटना की पूरी जांच होना शेष है, परन्तु तीन गाड़ियों के आपस में टकराने ने एक बार फिर रेलवे मंत्रालय की कारगुज़ारी पर प्रश्न-चिन्ह लगा दिया है। पिछली दुर्घटनाओं संबंधी उच्च स्तर की जांच टीमें बनाई जाती रही हैं, परन्तु बाद में उनसे कोई परिणाम निकाल कर भविष्य के लिए व्यापक प्रबन्ध नहीं किये जाते रहे तथा न ही कभी यह बात सामने आई है कि दुर्घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार लोगों के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई है। आज भारतीय रेलवे का काम इतना व्यापक हो चुका है तथा रेलवे लाइनों का जाल इस सीमा तक फैल गया है, जिसे देखते हुए सबसे पहली ज़रूरत हर पक्ष से सुरक्षा प्रबन्धों को मज़बूत करने की होनी चाहिए। प्रतिदिन बड़ी संख्या में रेलगाड़ियां लाखों किलोमीटर का स़फर तय करती हैं तथा लाखों ही लोग इनमें स़फर करते हैं। आज जन-साधारण के लिए स़फर का सबसे बड़ा ज़रिया रेलगाड़ियां ही हैं। दुर्घटनाओं के अनेक कारण बनते हैं। गाड़ियों का आपस में टकराना, एक खड़ी गाड़ी के पीछे दूसरी गाड़ी का टकराना, उनका पटरी से उतर जाना, आग लगना अथवा धमाके होने से भी बड़ी दुर्घटनाएं घटित होती हैं। ज्यादातर पुलों के खस्ता होने के कारण भी दुर्घटनाएं होती हैं। आज कम्प्यूटर का युग है। इसके साथ-साथ रेलवे में बड़ा नवीनीकरण भी हुआ है। बहुत-से देशों में बुलेट ट्रेन भी चलना शुरू हो गई हैं। भारत में मैट्रो रेलगाड़ियों के साथ-साथ तीव्रगामी रेलगाड़ियों का चलन भी शुरू हो गया है। इस क्षेत्र में बहुत-से प्रोजैक्ट पूर्ण हो रहे हैं, परन्तु इस दौर में ही यह प्रतीत होता है कि अभी सुरक्षा के पक्ष से रेलवे को और कुशल एवं मज़बूत बनाने की ज़रूरत है। आज जबकि मनुष्य ने एक तरह से आकाश छू लिया है, नई से नई टैक्नालोजी सामने आ रही है, उस समय रेल दुर्घटनाओं को हर पक्ष से रोका जाना भी सम्भव हो सकता है।
इसके अलावा हवाई कम्पनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को दिये जाते कड़े प्रशिक्षण जैसी व्यवस्था भी रेलवे व्यवस्था का एक हिस्सा बनना ज़रूरी है। इस क्षेत्र में जहां कहीं भी कमी दिखाई देती है, उसके प्रति संबंधित विभाग या व्यक्तियों की ज़िम्मेदारी तय किया जाना ज़रूरी है। इस बेहद भयावह दुर्घटना की जांच को अधर में नहीं छोड़ना चाहिए। इसकी तह तक पहुंच कर भविष्य के लिए भी सुखद तथा पुख्ता प्रबन्ध किये जाने ज़रूरी हैं, जिससे लोगों के मन में रेलवे के प्रति विश्वास भी बढ़ सके तथा वे इस सुविधा का पूरा लाभ भी ले सकें।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द