पंजाब में बेरोज़गारी की समस्या

बेरोज़गारी सदैव से देश और समाज के लिए एक ऐसा मुद्दा रही है जिसका प्रत्यक्ष संबंध देश की युवा शक्ति को प्रभावित करता है। यह समस्या हालांकि राष्ट्र-व्यापी है और कि केन्द्र और राज्यों के धरातल पर इसकी मौजूदगी भिन्न-भिन्न धरातलों पर रही है, किन्तु देश के पंजाब राज्य में रोज़गार की यह समस्या हमेशा यहां की सरकारों और समाज के लिए सिरदर्द बनने वाली सीमा तक जाती रही है। पंजाब में रोज़गार की समस्या का आलम यह है कि बेरोज़गार युवा एक ओर तो भारी-भरकम राशि खर्च करके विदेशों की ओर भाग रहे हैं अथवा दूसरी ओर कोई काम-धंधा न मिलने पर आत्महत्याएं करने के निराशाजनक माहौल की ओर बढ़ने लगते हैं। ऐसी ही स्थिति प्रदेश के युवा वर्ग में नशे की प्रवृत्तियों को बढ़ाने में भी सहायक बनती है। इसका दुष्प्रभाव प्रदेश की कृषि और इससे सम्बद्ध में अन्य कई क्षेत्रों पर भी पड़ता है। नि:संदेह इस का बड़ा असर कालान्तर में प्रदेश की उन्नति एवं समृद्धि के सभी पक्षों पर पड़ने की आशंका बनती है। पंजाब में बेरोज़गारी के धरातल पर आज आलम यह है कि विगत तीन वर्षों में बेरोज़गारी का प्रतिशत निरन्तर बढ़ते हुए 9 प्रतिशत तक पहुंच गया है। यह प्रतिशत पड़ोसी प्रांत हरियाणा से भी ऊंचा है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 6.8 प्रतिशत के आसपास है। इस चरण पर यह आंकड़ा पुरुषों एवं महिलाओं में भी भिन्नता प्रकट करता है, अर्थात बेरोज़गारी का संताप एक ओर महिलाओं पर अधिक भारी पड़ता है जबकि ग्रमीण धरातल पर भी इसे अधिक महसूस किया जाता है। प्रदेश सरकार की ओर से बेशक युवाओं के नौकरियों को नियुक्ति पत्र देने के दावे निरन्तर किये जाते हैं, किन्तु प्रदेश की युवा पीढ़ी को नौकरी अथवा रोज़गार के समुचित अवसर प्रदान करना आज भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। 
प्रदेश की मौजूदा भगवंत मान सरकार के काल में भी स्थिति यह है कि विभिन्न क्षेत्रों एवं विभागों में पूर्व निर्धारित संख्या के विपरीत पदों की संख्या बढ़ाये जाने की अपेक्षा कम की जा रही है। इसका एक प्रमाण प्रदेश में पटवारियों के पद 4716 से घटा कर 3660 कर दिया जाना भी है। इस प्रकार राजस्व के क्षेत्र में युवाओं को नई नौकरियां दिये जाने की अपेक्षा उनसे 1056 पद छीन लिये गये हैं। प्रदेश के एक बड़े कर्मचारी संगठन राजस्व पटवार यूनियन के अनुसार पटवारियों की ओर से सरकार के साथ की गई विस्तृत बातचीत के बाद उन्हें दिया गया यह एक उपहार है। प्रदेश के वित्त मंत्री और राजस्व मंत्री से कर्मचारियों की बातचीत  का परिणाम यह निकला है, कि सरकार ने अपनी तमामतर पूर्व घोषणाओं के विपरीत आचरण किया है। स्थितियों की त्रासदी यह भी है कि इस वार्तालाप के दौरान भी सरकार ने यह आश्वासन दिया था कि पटवारियों के पदों की छंटनी नहीं की जाएगी, किन्तु एकाएक कर्मचारियों के सिर पर यह तलवार लटका दी गई।
नि:संदेह सरकार का यह फैसला प्रशासनिक धरातल पर जन-साधारण के दैनन्दिन क्रिया-कलापों को प्रभावित करेगा। देश और प्रदेश की जनसंख्या में निरन्तर होती वृद्धि और पंजाब में उपजी समृद्धि के दृष्टिगत भूमि की खरीदो-़फरोख्त और सम्पत्तियों के आदान-प्रदान के कार्यों में इज़ाफा हुआ है किन्तु पटवारी पदों की संख्या में कटौती से तहसील स्तर पर होने वाले सभी कार्य प्रभावित होंगे। इस स्थिति का प्रभाव ज़िलाधीश कार्यालयों से सम्पन्न होने वाले आधार-पत्र, आटा-दाल वितरण योजना, बुढ़ापा पैन्शन, विधवा पैन्शन, प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित कार्य, राष्ट्रीय सड़क परियोजनाओं से जुड़े कार्य भी अवश्य प्रभावित होंगे। प्रदेश की पिछली सरकार की ओर से बनाई गई एक नई सब-डिवीज़न को लेकर भी, पटवारियों के पद कम किया जाना समस्या बन सकता है।
हम समझते हैं कि एक तो वैसे ही देश और प्रदेश में सामूहिक रूप से रोज़गार के धरातल पर स्थितियां निराशाजनक हैं। केन्द्र सरकार और विशेषकर प्रधानमंत्री की घोषणाओं एवं योजनाओं के ज़रिये देश में बेरोज़गारी के धरातल पर इस बड़ी दरार को पाटने की कोशिशें अवश्य की जा रही हैं। अत: पंजाब में भी रोज़गार के नये अवसरों के सृजन की बड़ी आवश्यकता है। इसके विपरीत हो यह रहा है कि पंजाब में पुराने मौजूद पदों पर भी कैंची चलाई जा रही है। वास्तविक धरातल पर स्थितियां सरकार और समाज को मुंह चिढ़ाते प्रतीत होती हैं। यह भी बड़ी गम्भीर स्थिति है कि प्रदेश में ़गरीबी रेखा को पाटने और सरकारी योजनाओं के कारण समाज में उपजी समृद्धि के बड़े-बड़े दावे तो अवश्य किये जा रहे हैं, किन्तु क्रियात्मक धरातल पर स्थितियां शर्मसार करती प्रतीत होती हैं। हम समझते हैं कि नि:संदेह प्रदेश में ऐसी योजनाएं बनाये जाने की बड़ी आवश्यकता है जिनसे भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में नई नौकरियां और रोज़गार के नये अवसर उपजें और युवाओं को काम-धंधा मिल सके। इससे युवाओं में एक ओर निराशा की भावना समाप्त होगी, वहीं विदेशों की ओर युवाओं के पलायन की प्रवृत्ति पर भी अंकुश लगेगा। इससे प्रदेश की सर्वाधिक कुख्यात नशे की समस्या को रोकने में भी मदद मिलेगी। हम यह भी समझते हैं कि सरकार जितना शीघ्र इस पथ पर अग्रसर होगी, उतना ही प्रदेश के आम समाज और विशेषकर युवाओं के हक में होगा।