गरीबों के राशन को डकार रहे अमीर लोग 

 

केंद्र सरकार देश के लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज और चावल दे रही है। सरकार की यह योजना देश की गरीब जनता के लिए बहुत ही लाभदायक है, क्योंकि इस योजना से ही न जाने कितने गरीब लोगों के घरों के चूल्हे जलते हैं। जिन लोगों के पास रोज़ी-रोटी कमाने के लिए संसाधन मौजूद नहीं हैं, वे इस राशन से अपना पेट भर रहे हैं। कुल मिलाकर इस राशन से गरीब जनता को बहुत लाभ हो रहा है, लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि सरकार द्वारा जो राशन सिर्फ  गरीब लोगों के लिए भेजा जा रहा है, वह उन सभी ज़रूरतमंद लोगों को मिल पा रहा है या नहीं?  कई बार ऐसे समाचर भी सुनने को आते हैं कि इस राशन से गरीब जनता को वंचित किया जा रहा है। 
अगर इमानदारी से बात की जाए तो सिर्फ  और सिर्फ  देश की गरीब जनता ही इस राशन की हकदार है। मुफ्त राशन उन्हें ही मिलना चाहिए जिनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमज़ोर हो। बड़े अफसोस की बात है कि यह राशन वे लोग भी ले रहे हैं, जिनके पास  ज़मीन है, चार पहिया वाहन हैं, अच्छा कारोबार है। ऐसे लोगों को राशन लेने में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन ऐसे लोग भी हैं जो इस राशन के हकदार हैं उनको राशन मिलना तो बहुत दूर की बात उनके पास राशन कार्ड भी नहीं हैं। 
ये गरीब लोग राशन कार्ड बनवाने के लिए अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के दफ्तरों तक चक्कर लगाते रहते हैं, लेकिन राशन कार्ड जारी नहीं हो पाता। इसलिए थक-हार कर ये लोग अपने घर पर ही बैठ जाते हैं। दूसरी ओर कई अमीर लोग अपने प्रभाव से राशन कार्ड जारी करवा लेते हैं और मुफ्त का राशन प्राप्त कर लेते हैं। गरीब जनता के साथ यह बहुत बड़ा अन्याय है। 
चुनाव के समय प्रत्येक पार्टी सत्ता में आने के लिए गरीब लोगों के साथ बड़े-बड़े वायदे करती है, कहती है कि अगर हमारी सरकार आई तो हम सबसे ज्यादा काम देश की गरीब जनता के लिए ही करेंगे, लेकिन ये वायदे चुनाव तक ही सीमित रह जाते हैं। काम तो बहुत दूर की बात है, उनको वह सुविधा भी नहीं दी जाती है, जो सिर्फ  उन्हीं के लिए है।  रसूखदार लोग ही प्रत्येक सुविधा का लाभ लेते हैं। प्रत्येक सरकार को चाहिये कि ऐसे लोगों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करे जो गरीब लोगों के हक को डकार रहे हैं। यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि मुफ्त राशन की सुविधा पूरी ईमानदारी के साथ देश की गरीब जनता तक पहुंचनी चाहिए।

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