पंजाब के कांग्रेस नेताओं की किरकिरी

पंजाब के कांग्रेसी नेताओं का दिल्ली में अपनी हाईकमान के सामने क्या महत्त्व है, इसका एहसास पिछले कुछ समय के घटनाक्रम से ही भली-भांति हो जाता है। लगभग सवा वर्ष पहले पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी। आते ही इसने अपना मुख्य एजेंडा रिश्वतखोरी तथा भ्रष्टाचार को खत्म करना तय किया था। पिछले समय में हर तरह के प्रचार माध्यमों द्वारा इसने भ्रष्टाचार के विरुद्ध शुरू किए अभियान संबंध में करोड़ों रुपए खर्च कर प्रचार किया कि वह भ्रष्ट तत्वों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई कर रही है, परन्तु निचले स्तर से लेकर ऊपर तक वह अपने इस मिशन में कितनी सीमा तक सफल हुई है, इसका पूरा ज्ञान आज जन-साधारण को भी हो गया है, परन्तु सरकार इस अभियान से भ्रष्टाचार के  नाम पर अपने विरोधियों को विजीलैंस विभाग द्वारा डरा-धमका कर पूरा लाभ ज़रूर उठा रही है। इससे प्रदेश के राजनीति गलियारों में डर का माहौल ज़रूर पैदा हो गया है। विजीलैंस विभाग द्वारा वह अपने राजनीतिक विरोधियों को किसी भी ढंग से हाथ डालने के यत्न में रहती है। 
जहां तक राजनीतिक पार्टियों का संबंध है, विजीलैंस की ऐसी ‘कृपा’ सरकार ने अधिक से अधिक कांग्रेस के नेताओं पर की है। जहां उसने ‘अपनों’ से आंखें मूंद ली हैं, वहीं उसने बड़े कांग्रेसियों को पूरी तरह अपमानित करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। सरकार की मंशा ऐसा करके इन चुने हुये नेताओं को पूरी तरह अपमानित करने तथा बदनाम करने की रही है। ऐसी नीति से उसने इस पार्टी के बहुत-से नेताओं को डरा भी लिया है। बड़ा बहाना अपने आय के स्रोतों से अधिक सम्पत्ति बनाने का है। ऐसा कुछ अपने अनुसार आंकलन करके साबित करना कठिन नहीं है। अब तक पुलिस की गिरफ्त में पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी आ चुके हैं, जिन्हें बार-बार विजीलैंस विभाग के नोटिस भेज कर घंटों तक बिठा कर ज़लील करने का यत्न किया गया है। पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू को तो कई मास तक आरोप लगा कर जेल में भी बंदी रखा गया है। पूर्व मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू चाहे इस समय भाजपा में हैं, उनको भी कुछ मामलों में फंसा कर बार-बार थानों के चक्कर लगवाये जा रहे हैं। ऐसा ही हाल पूर्व मंत्री सुन्दर शाम अरोड़ा का किया गया है। परिपक्व कांग्रेस नेता तथा पूर्व मंत्री ब्रह्म महिन्द्रा को भी इसी घेरे में लाया जा चुका है। इसी कतार में ही अन्य मंत्रियों गुरप्रीत सिंह कांगड़, संगत सिंह गिलजियां, विजय इन्द्र सिंगला, साधु सिंह धर्मसोत को भी खड़ा किया गया है।
मुख्यमंत्री का उद्देश्य यह प्रचार करना है कि कांग्रेस नेता अत्यधिक भ्रष्टाचारी हैं परन्तु उनकी अपनी पार्टी के नेता दूध धुले हैं। सुखपाल सिंह खैहरा ने इस संबंधी एक बयान में कहा था कि भिन्न-भिन्न मामलों में फंसे ‘आप’ के मंत्री लाल चंद कटारूचक्क, बीबी सरबजीत कौर माणूके, फौजा सिंह सरारी, जगदीप कम्बोज उर्फ गोल्डी कम्बोज तथा मोगा की विधायक  डा. अमनदीप कौर अरोड़ा जिन पर लगातार तरह-तरह की उगंलियां उठती रही हैं, द्वारा भगवंत मान ने आंखें क्यों मूंद रखी हैं। जब ‘आप’ के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा  दिल्ली सरकार के अधिकारियों के तबादलों संबंधी शक्तियां कम करने के लिए जारी किये अध्यादेश को लेकर कांग्रेस के केन्द्रीय नेताओं तक  सम्पर्क किया गया,कांग्रेस संसद में उक्त अध्यादेश के विरुद्ध शामिल हो, तो पंजाब के दर्जनों ही बड़े कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली जा कर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा अन्य बड़े केन्द्रीय नेताओं के समक्ष अपना पक्ष रखा कि पंजाब में आम आदमी पार्टी द्वारा कांग्रेस पार्टी के प्रति बदले की भावना से कार्रवाइयां की जा रही हैं। इसके बाद भी यदि कांग्रेस की हाईकमान अध्यादेश के मामले में केजरीवाल के समर्थन में खड़े होने की घोषणा करती है तथा केजरीवाल को यह भी अपील करती है कि वह नये बनाये जा रहे गठबंधन की बैठक में शामिल हो तथा इस बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे यह बयान देते हैं कि आगामी लोकसभा चुनावों में नया बना संयुक्त फ्रंट मिल कर लड़ेगा तो हम समझते हैं कि पंजाब  कांग्रेस के बड़े नेताओं की इससे बड़ी किरकिरी और क्या हो सकती है? जब उनके हाईकमान द्वारा संकेत उस पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ने का दिया गया है जिसने प्रदेश में उन्हें बेहद ज़लील करने का निश्चय किया हुआ है तो प्रदेश के कांग्रेसी नेता अब किस मुंह से इस संबंध में बयान देंगे तथा उनकी राजनीतिक गति में कितनी ताकत दिखाई देगी, इसका अनुमान लगाया जाना कठिन नहीं है। पंजाब कांग्रेस के भीतर पैदा हुई इस हलचल का क्या परिणाम होगा, मौजूदा समय में इसके संबंध में कुछ कहना कठिन प्रतीत होता है, परन्तु इसके साथ पार्टी तथा इसके नेताओं के लिए कठिन स्थिति अवश्य पैदा हो गई है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द