मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी


जिस तरह विगत लगभग डेढ़ महीने से पंजाब में बाढ़ ने भयानक तबाही मचाई है और हर तरह से हज़ारों ही गांवों में नुकसान किया है, उसको देखते हुए जिस तरह वास्तविक रूप में मुख्यमंत्री को इसके प्रति गम्भीरता और समर्पण भावना दिखानी चाहिए थी, उसकी कमी बुरी तरह से खलती रही है। उस समय से लेकर जब-जब भी भगवंत मान के ब्यान आए हैं, वे ठोस तथ्यों को जताने के स्थान पर महज़ ब्यानबाज़ी ही प्रतीत होने लगे हैं। पिछले समय के दौरान मुख्यमंत्री यह भी कहते रहे हैं कि प्रदेश के हुए घाटे की पूर्ति के लिए केन्द्र से भीख मांगने की ज़रूरत नहीं है। यह भी कि पिछली सरकारों की तरह प्रदेश का खज़ाना खाली नहीं, बल्कि इस समय भरा हुआ है। यह भी कि प्रदेश सरकार किसानों के हुए बड़े नुकसान की पूरी भरपाई करेगी। यहां तक कि मरी मुर्गियों तथा बकरियों का भी मुआवज़ा देगी, पर इसके बावजूद यह कहना मुश्किल है कि मुआवज़े की रकम पीड़ित और प्रभावित लोगों तक पहुंचने में इतनी देरी क्यों लग रही है?
यह भी अजीब बात है कि एक तरफ हज़ारों गांवों के पानी में डूबे होने की खबरें और तस्वीरें आ रही हैं, दूसरी तरफ मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि प्रदेश में बाढ़ के मद्देनज़र हालात काबू में हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि पोंग डैम और रणजीत सागर डैम की स्थिति पूरी तरह से काबू में है और यह भी कि लोगों की जान-माल की रक्षा करना प्रदेश सरकार का नैतिक फज़र् है। उन्होंने बार-बार यह भी ब्यान दिया था कि उन्होंने विशेष गिरदावरियों के आदेश दिये थे, जिनके आधार पर पूरा मुआवज़ा मिलेगा, घरों और पशुओं को भी विशेष गिरदावरी के अंन्तर्गत लाया जाएगा।
यह भी प्रचार किया गया कि 15 अगस्त तक प्रदेश भर में प्रभावित क्षेत्रों में गिरदावरियां करवा ली जाएंगी और उसी दिन से मुआवज़े की राशि प्राभावित लोगों में बांटी जाने लगेगी। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पटियाला में हुए एक समारोह में उन्होंने विशेष रूप से बाढ़ पीड़ितों को चैक वितरित करने के समाचार और तस्वीरें भी मीडिया में जारी कीं और यह दावा भी किया कि प्रदेश भर में करवाई गयी विशेष गिरदावरी के बाद मुआवज़ा निर्धारित कर दिया गया है और इस संबंधी 15 अगस्त तक हर हालत में कार्य पूर्ण करने के आदेश दिये गए थे। उन्होंने यह भी बताया कि बाढ़ से प्रदेश 19 ज़िलों के 1495 गांव प्रभावित हुए हैं और लोगों को आश्वासन दिया गया है कि सरकार पीड़ित लोगों को हुए नुकसान के एक-एक पैसे की पूर्ति करेगी।
हमने पूरे ताम-झाम के साथ पटियाला में मुख्यमंत्री द्वारा वितरित किये जा रहे चैकों की तस्वीरें देखी हैं, परन्तु उनमें से राशि सिर्फ 6 किसानों को ही दी गई है। इनमें पातड़ां सब-डिवीज़न के गांव शुतराना तथा निर्मल कोट के दो किसानों को एक लाख, 40 हज़ार, 800 रुपये, सब-डिवीज़न पटियाला के दौलतपुर तथा धर्महेड़ी के दो किसानों को दो लाख 25 हज़ार रुपये तथा सब-डिवीज़न राजपुरा के कामीकलां तथा भट्टा माजरा के दो और किसानों को दो लाख, आठ हज़ार रुपये के चैक वितरित किये गए हैं। बाढ़ के प्रराम्भ में केन्द्र सरकार की ओर से 218.40 करोड़ की राशि आई थी। उसके इस्तेमाल का विवरण भी पंजाब सरकार को देना चाहिए। 
यदि मुख्यमंत्री द्वारा ऐतिहासिक समारोह में पहले पूरा प्रचार करके इतनी राशि बांटी गई है तो हज़ारों ही एकड़ के हुए नुकसान की पूर्ति किसानों को कितनी और कब तक होगी, यह अवश्य बताना बनता है, परन्तु एक ओर प्रतीक्षा बनी हुई है और दूसरी ओर बाढ़ से और ज़्यादा नुकसान होना शुरू हो गया है। लोगों के सब्र का प्याला भी भरता जा रहा है। इस संबंध में कांग्रेस तथा भाजपा ने तो रोष प्रदर्शन भी करने शुरू कर दिये हैं। अकाली दल की ओर से भी आगामी दिनों में इस ओर सक्रियता दिखाये जाने के बयान आए हैं। ये पार्टियां समूह के साथ अपनी भावनाएं तो प्रकट कर सकती हैं परन्तु इस समय क्रियात्मक सहायता के लिए आगे होकर आर्थिक पक्ष से लोगों की बांह पकड़ना सरकार का ही कार्य है। अब बनाए जा रहे बातों के हलुवे से थके-हारे लोगों की संतुष्टि होना मुश्किल होगा।  
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द