हरियाणा सरकार की सतर्कता

हरियाणा की खट्टर सरकार ने नूंह में विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और सर्वजातीय हिन्दू महापंचायत को 28 अगस्त को दोबारा से बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा निकालने की आज्ञा न देकर एक सही कदम उठाया है। ऐसा करना बहुत ज़रूरी हो गया था क्योंकि गत माह 31 जुलाई को शहर में हुए हिंसक घटनाक्रम के बाद अभी भी स्थिति पूरी तरह से ठीक नहीं हुई थी। चाहे शहर में पिछले कुछ दिनों से हिंसा की ताज़ा घटनाएं नहीं हुईं, लेकिन नूंह और उसके आस-पास के इलाकों में दोनों समुदायों में तनाव और अविश्वास वाली स्थिति अभी भी बनी हुई है। इसी कारण प्रशासन की ओर से नूंह के नलहर शिव मंदिर में 51 लोगों को जल चढ़ाने की रस्म पूरी करने की आज्ञा दी गई। यदि इस प्रकार की स्थिति में दोबारा से बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा नलहर शिव मंदिर से निकालने की आज्ञा दी जाती, तो स्थिति दोबारा खराब हो सकती थी। इस बार हरियाणा सरकार और पुलिस बेहद चौकस नज़र आई। उन्होंने पहले से ही सुरक्षा बलों की काफी संख्या में तैनाती कर रखी थी तथा नूंह और आस-पास के क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं भी 26 अगस्त से 28 अगस्त तक बंद कर दी गई थीं।
यह वर्णननीय है कि 31 जुलाई को विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल द्वारा बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा निकालने का ऐलान किया गया था और इससे पहले ही विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और गौ रक्षा संगठन के कथित नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर भड़काने वाली वीडियो और पोस्टें डाली गई थीं। जिसके कारण प्रस्तावित यात्रा से कुछ दिन पहले ही इलाके में तनाव पैदा हो गया था। इस प्रकार की स्थिति में जब 31 जुलाई को यह यात्रा नलहर शिव मंदिर नूंह से शुरू हुई तो हिन्दू भाईचारे से संबंधित कुछ लोगों द्वारा भड़काऊ नारे लगाए गये और दूसरी तरफ मुस्लिम भाईचारे से संबंधित कुछ लोगों द्वारा यात्रा पर पथराव किया गया, जिसके कारण बड़े स्तर पर हिंसा फैल गई और उसमें 6 लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हो गये थे। मरने वालों में दो होमगार्ड के सिपाही भी शामिल थे। इसके बाद हरियाणा के एक और बड़े शहर गुरुग्राम में भी हिंसा फैल गई थी, जहां एक मस्जिद को जला दिया गया था और एक मौलवी को भी मार दिया गया था। इसकी प्रतिक्रिया के तौर पर हरियाणा के कई अलग-अलग शहरों और कस्बों तथा यहां तक कि दिल्ली में भी टकराव और तनाव का माहौल बन गया था जिसको दिल्ली और हरियाणा के प्रशासन को रोकने के लिए विशेष यत्न करने पड़े थे।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच जिस प्रकार हरियाणा के प्रशासन द्वारा नूंह तथा उसके आस-पास के क्षेत्रों में 1200 से अधिक इमारतों तथा झुग्गियों को बुलडोज़र का इस्तेमाल करके धराशायी किया गया, उसके कारण प्रशासन की निष्पक्षता पर भी सवाल उठे थे। दोष ये लगे थे कि विशेष तौर पर मुस्लिम भाईचारे से संबंधित लोगों के घरों तथा व्यवसायिक संस्थानों को अवैध निर्माणों के बहाने सबक सिखाने के इरादे से निशाना बनाया गया। इस संबंध में पंजाब तथा हरियाणा हाईकोर्ट ने स्वयं नोटिस लेते हुए हरियाणा के प्रशासन को इमारतें गिराने की कार्रवाई तुरंत रोकने के आदेश दिये थे। हाईकोर्ट ने यहां तक टिप्पणी की थी कि क्या हरियाणा सरकार बुलडोज़र से कार्रवाई करके एक समुदाय का नस्लीय सफाया करने की कोशिश कर रही है? इस संबंधी चाहे हरियाणा की सरकार ने अदालत में अपनी सफाई दी है परन्तु फिर भी विपक्षी दलों तथा प्रैस के एक बड़े हिस्से द्वारा हरियाणा सरकार पर इस समूचे घटनाक्रम के संदर्भ में पक्षपातपूर्ण भूमिका अदा करने के गम्भीर आरोप लगाए गए हैं।
यदि हरियाणा के अतिरिक्त उत्तर भारत के कुछ अन्य राज्यों में गत कुछ वर्षों में घटित घटनाक्रमों को देखें तो यह एक पैट्रन बनता जा रहा है कि बहु-संख्यक समुदाय से संबंधित कुछ कथित धार्मिक संगठनों द्वारा धार्मिक पर्वों-त्योहारों से जोड़ कर शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं और ऐसी यात्राओं को विशेष तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी वाले क्षेत्रों से गुज़ारा जाता है और इस दौरान हथियारों का प्रदर्शन किया जाता है और भड़काऊ नारेबाज़ी की जाती है, जिसके फलस्वरूप टकराव व हिंसा की घटनाएं घटित होती हैं और जिनसे हिन्दू व मुस्लिम भाईचारे के बीच नफरत वाला माहौल उत्पन्न हो जाता है। विपक्षी दलों द्वारा अक्सर आरोप लगाया जाता है कि कुछ हिन्दू संगठनों द्वारा जानबूझ कर वोट-राजनीति के तहत ऐसा किया जा रहा है, ताकि साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करा कर राजनीतिक लाभ उठाया जा सके। 
इस संबंधी हमारा यह बड़ा स्पष्ट विचार है कि वोट राजनीति के तहत या किसी भी अन्य स्वार्थ के लिए देश के भिन्न-भिन्न समुदायों के बीच टकराव एवं अविश्वास का वातावरण बनाना किसी भी ढंग से उचित नहीं है। यदि बार-बार ऐसी घटनाएं घटित होती हैं तो इनसे देश के दोनों बड़े समुदायों के बीच दूरियां इतनी बढ़ जाएंगी कि समूचे देश में अमन एवं सद्भावना खतरे में पड़ जाएगी। तेज़ी से आगे बढ़ रहे भारत की विकास की गति को भी इससे ब्रेक लग सकती है। किसी भी देश में अमन तथा सद्भावना बनी न रहे, वह देश कभी विकास नहीं कर सकता। इस संबंध में अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान को भी देखा जा सकता है, जहां कट्टरपंथी संगठनों द्वारा निरन्तर हिंसा व टकराव वाला वातावरण बना कर रखा जाता है, जिसके फलस्वरूप आज पाकिस्तान बेहद पिछड़ गया है। केन्द्र सरकार तथा भिन्न-भिन्न राज्यों की प्रादेशिक सरकारों का यह बड़ा फज़र् बनता है कि वे देश के किसी भी भाग में साम्प्रदायिक शक्तियों को सिर न उठाने दें और न ही धार्मिक विवादों को इस कद्र बढ़ने दें कि लोगों का देश में अमन व सद्भावना भरपूर वातावरण में रहना ही मुश्किल हो जाए।