नशे की दलदल में धंसता पंजाब

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा प्रदेश में नशे के प्रचलन और नशीले पदार्थों की तस्करी के विरुद्ध बड़े-बड़े अभियान चलाने के लाख दावों के बावजूद, पंजाब एक बार फिर नशे की दलदल में आकण्ठ डूबता जा रहा है। इसका प्रमाण नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की इस एक रिपोर्ट से मिल जाता है जिसमें कहा गया है कि प्रदेश में नशे का दानव पिछले डेढ़ वर्ष के भगवंत मान की सरकार के शासनकाल में 310 लोगों के प्राणों को लील गया है। इनमें से सर्वाधिक 222 मौतें मुख्यमंत्री के अपने गृह क्षेत्र मालवा के मोगा, फिरोज़पुर और भटिंडा में हुई हैं। एन.सी.आर. की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में इस समय 25 लाख से अधिक लोग नशे की चपेट में हैं। यह भी एक बड़ा त्रासद पक्ष है, कि नशे से मरने वालों में अधिकतर 18 से 30 वर्ष के युवा हैं। नशे का यह नेटवर्क इतना व्यापक है कि स्वयं प्रदेश की पुलिस द्वारा भंडाफोड़ किये गये तीन गुप्त माड्यूल्स से पता चला है कि नशा-तस्कर हवाला के ज़रिये प्रतिदिन दो करोड़ रुपये ड्रग मनी के रूप में पाकिस्तान और अ़फगानिस्तान के तस्करों को भेजते हैं। इस कार्य हेतु ये तस्कर युवाओं को अधिक वेतन और कमिशन का लालच देकर आकृष्ट करते हैं। इस हवाला रैकेट के तार दुबई, कनाडा और अमरीका तक जुड़े हैं।
पंजाब में नशीले पदार्थों की तस्करी और नशे के सेवन के  बढ़ते प्रसार से सम्बद्ध विगत कुछ दिनों में घटित घटनाएं भी एक ओर जहां प्रदेश को नशा-मुक्त बनाने की मौजूदा भगवंत मान सरकार के तमाम दावों और वायदों की पोल खोलती है। वहीं प्रदेश का हित-चिन्तन करने वाले सामाजिक पक्षों की चिन्ताओं में इज़ाफा भी हुआ है। इन घटनाओं मेें प्रदेश के गांवों में नशीले पदार्थों के तस्करों एवं अन्य असामाजिक तत्वों की अवैध घुसपैठ को रोकने हेतु ठीकरी पहरा लगाये जाने का स्थानीय प्रशासनों का फैसला स्वयं सरकार को मुंह चिढ़ाने के लिए काफी है। इससे नशे के तस्करों को रोक पाने में सरकार और ज़िला प्रशासनों की विफलता का भी साफ पता चल जाता है। पंजाब में ठीकरी पहरा लगाये जाने का निर्देश कोई पहली मर्तबा नहीं है, किन्तु इस बार अजीब यह है कि यह फैसला नशीले पदार्थों की तस्करी और बिक्री को रोकने हेतु किया गया है। वैसे, ठीकरी पहरा लगाने के प्रशासनिक आदेश ने पहली बलि भी ले ली है जबकि ज़िला भटिंडा के एक गांव में ठीकरी पहरे के दौरान हुई तल्खबाज़ी के बाद एक युवक की जान चली गई। प्रदेश में आये दिन नशे की ओवर-डोज़ से युवाओं के मरने की खबरें मिलती रहती हैं। ऐसी एक घटना गत दिवस समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई एक फोटो से भी पता चलती है जहां एक युवती एक युवक की जांघ में नशे की टीका लगाते हुए दिख रही है। 
भटिंडा ज़िला की एक अन्य घटना में नशा छुड़ाऊ केन्द्र में भर्ती किया गया एक युवक एक दिन अपने कमरे की खिड़की तोड़ कर भाग निकला, किन्तु घर जाकर उसने नशे का टीका लगाया, तो उसे भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस अवसर पर मृतक की दादी का यह ब्यान भी सरकार के मुंह पर चपत लगाने जैसा है कि युवा नशे का शिकार होकर मर रहे हैं, किन्तु नशा-तस्करों को पुलिस पकड़ती ही नहीं। फाज़िल्का के एक गांव में एक नशेड़ी युवक द्वारा अपने ही एक साथी को, उसके द्वारा नशा न करने का उपदेश देने पर जान से मारने की धमकी देना भी प्रदेश की कानून-व्यवस्था का एक मुंह बोलता दृश्य है। नशा तस्करों का साहस और दबंगता इस सीमा तक बढ़ चुके हैं कि वे न केवल आम लोगों को धमकाते हैं, अपितु पुलिस बलों पर भी हमला कर देते हैं। पठानकोट के एक इलाके में शराब तस्करों को पकड़ने हेतु छापेमारी करने गये पुलिस दल के एक ए.एस.आई. को गत दिवस तस्करों ने बंधक बना लिया। बंधक बनाये गये कर्मियों में एक ए.एस.आई. भी था। इस हमले में पुलिस कर्मचारी घायल भी हुए। पंजाब में नशे की तस्करी की ऊंची होती उड़ान का प्रमाण प्रदेश पुलिस द्वारा हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर पुलिस के सहयोग से नशे के विरुद्ध चलाये गये एक अभियान के दौरान बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थों, नशे की कमाई से एकत्रित धन-राशि और अवैध हथियारों की बरामदगी होने से भी मिल जाता है।  इस बड़ी बरामदगी से यह भी पता चलता है कि प्रदेश की मौजूदा भगवंत मान सरकार की ओर से अपने गठन के समय की गई इन घोषणाओं में कोई दम नहीं रहा कि पंजाब को तीन-चार मास में नशा-मुक्त कर के ‘रंगला पंजाब’ बना दिया जाएगा। पंजाब में नशे से होने वाली मौतों, नशा छुड़ाऊ केन्द्रों और नशे के कारण टूटते परिवारों की संख्या में निरन्तर होती जाती वृद्धि इस धरातल पर आशा की कोई एक किरण उपजने नहीं देती। प्रदेश में बढ़ती अपराध गाथा के पीछे भी इस नशा तस्करी का ही बड़ा योगदान है।
हम समझते हैं कि सरकार को यदि चुनाव-पूर्व और बाद के अपने वायदों एवं दावों की लाज रखनी है, तो सख्ती के साथ नशे की तस्करी के नाग के सिर को कुचलना होगा। पंजाब में नशे की समस्या को खत्म करने के लिए नि:संदेह भगवंत मान सरकार को दृढ़ इच्छा-शक्ति के प्रदर्शन की ज़रूरत होगी।