रेत की खड्डों से अवैध खनन का मामला कड़ी कार्रवाई की ज़रूरत

पंजाब की भगवंत मान सरकार द्वारा प्रदेश में जन-साधारण को सस्ती दरों पर रेत और बजरी उपलब्ध कराये जाने संबंधी चुनाव-पूर्व के और फिर सरकार-गठन के बाद के लाख दावों के बावजूद प्रदेश में लोगों को न केवल उन्हीं महंगी दरों पर रेत की खरीद करनी पड़ रही है, अपितु रेत की अवैध खुदाई का कार्य भी बदस्तूर पूर्व गति से जारी है। इसका बड़ा प्रमाण प्रदेश की सर्वाधिक बड़ी खड्डों में से एक रोपड़ के निकट कीरतपुर साहिब में लोहंड खड्ड से की जाने वाली अवैध खुदाई को लेकर समाचार-पत्रों में प्रकाशित समाचारों से मिल जाता है। इन समाचारों में  इस अवैध खुदाई के लिए खनन माफिया के सदस्यों, प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस प्रशासन की मिलीभुगत का भी खुलेबन्दों खुलासा किया गया है। स्थितियों की गम्भीरता का पता इस बात से भी चल जाता है कि स्वयं उच्च अदालत ने  इस मामले को लेकर सरकार और प्रशासन को कई बार चेताया है। अदालत ने भी इस क्षेत्र में बहते सतलुज के अनेक खनन केन्द्रों के अतिरिक्त इस एक विशेष खड्ड का ज़िक्र किया है, और सरकार को इस खड्डे में से अवैध खनन को रोकने हेतु दृढ़तापूर्ण निर्देश दिया है। इसके बावजूद, न केवल सरकार एवं स्थानीय प्रशासन की ओर से अदालती निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, अपितु अवैध खनन की छत्र-छाया में इस क्षेत्र में पनपने वाले अनेक अन्य प्रकार के अपराधों को भी प्रश्रय दिया जा रहा है। नि:संदेह यह सब सरकार, सत्ता और राजनीतिक संरक्षण में हो रहा है। इससे प्रति माह करोड़ों  रुपये का चूना भी सरकारी राजस्व को लगाया जा रहा है। अवैध खुदाई चूंकि अंधा-धुंध तरीके से होती है, अत: इस कारण अक्सर पुलों के स्तम्भों की नींवें ़खतरे में पड़ जाती हैं। तभी तो ज़रा-सी बाढ़ में भी बड़े-बड़े पुल झूलों की भांति झूल-झूल जाते हैं। सेना की ओर से भी इस मुद्दे पर कई बार पंजाब सरकार को चेताया गया है कि अवैध खनन से सीमा-पार से घुसपैठ और नशीले पदार्थों की तस्करी का भी ़खतरा बढ़ता है। इससे सीमा सुरक्षा बल द्वारा की गई तार-बन्दी भी पानी के बहावों में बह जाती है।
लोहंड क्षेत्र पंजाब और हिमाचल के सीमांत पर स्थित होने के कारण, खनन माफिया इस स्थिति का भरपूर लाभ उठाता है, और नदी की सतह पर दोनों ओर बनी खड्डों से अवैध रूप से खुदाई करता है। इस क्षेत्र का एक बड़ा भाग वन भूमि के अन्तर्गत भी आता है। इस कारण खनन माफिया सरकार को सभी पक्षों से, दोनों हाथों से लूटने में लगा है। जानकार सूत्रों के अनुसार इस खनन माफिया को सरकार एवं सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं का व्यापक रूप से संरक्षण प्राप्त है। इस कारण पुलिस प्रशासन जानबूझ कर भी इन तत्वों पर हाथ डालने से कतराता है। इन सूत्रों के अनुसार स्वयं सरकार ने कुछ समय पहले एक ओर जहां इस बड़ी खड्ड में से किसी भी प्रकार के खनन पर रोक लगाई थी, वहीं अदालतों की ओर से भी इस क्षेत्र में अवैध खुदाई पर अंकुश लगाने हेतु कई बार कहा गया था, किन्तु खेद की बात है कि न केवल पूरे प्रदेश में अवैध खुदाई की जा रही है, अपितु इसकी आड़ में गुंडा कर, अवैध वसूली और लूटमार जैसे अनेक अपराध भी साथ-साथ पनप रहे हैं। इस कारण पंजाब की कानून व्यवस्था की स्थिति रसातल की ओर बढ़ती गई है। उधर हिमाचल प्रदेश के क्षेत्र में भी अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि वर्षा के मौसम की अस्थिरता के कारण अवैध खुदाई के कार्य में तेज़ी आई है। तथापि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यह खुदाई अवैध और अनुचित तरीके से हो रही है। आश्चर्य इस बात पर भी है, कि अदालती निर्देशों के बाद जब-तब सरकार के हाथों-पांवों में अवश्य थोड़ी जुम्बिश आ जाती है, किन्तु समय व्यतीत होने पर सरकार फिर वोही चाल बेढंगी चलने लगती है। 
हम समझते हैं कि नि:संदेह आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार अपने गठन के डेढ़ वर्ष से भी अधिक समय के बाद न तो लोगों से सस्ती रेत देने संबंधी किये गये वायदों को पुगाने में सफल हुई है, न ही वह रेत खनन माफिया पर अंकुश लगाने के अपने दावे को ही सिद्ध कर सकी है। सम्भवत: इसी कारण पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने रोपड़ के एस.एस.पी., नंगल के तहसीलदार और खनन विभाग के अधिकारी को अदालत परिसर में बुला कर कड़ी फटकार लगाई है। अदालत द्वारा इस संदर्भ में खनन/खुदाई का समस्त रिकार्ड तलब किये जाने से नि:संदेह यह प्रकट होता है कि सरकारों की विफलता के दृष्टिगत, अदालती डंडा ही बिगड़ों-तिगड़ों के लिए असली पीर सिद्ध होता है। सरकार, प्रशासन और राजनीति की छत्र-छाया में होने वाली इस अवैध काली कमाई का दैत्य पहले से कहीं अधिक तेज़ी से पंजाब में दौड़ा है। नि:संदेह इस पर अंकुश लगाने के लिए भगवंत मान की सरकार को अधिकाधिक वायदों और दावों की झड़ी लगाने की बजाय ठोस ज़मीन पर सुदृढ़ इरादों के साथ कार्रवाई करनी होगी। इस बार इल्जाम सीधे तौर पर सत्तारूढ़ पार्टी की छत्र-छाया में पलते अवैध माफिया पर लगा है। देखना है, कि सरकार कितनी शीघ्र, कितनी दृढ़ता और दृढ़ इच्छा-शक्ति के साथ इस अवैध खनन-माफिया को रोक पाती है। अवैध खनन वाले क्षेत्रों के अधिकारियों की जवाबदेही तय किये जाने से भी समस्या का निदान ढूंढा जा सकता है।