बड़े संकटों का सामना कर रहा है पंजाब 

पंजाब किसी समय देश का सबसे खुशहाल प्रदेश माना जाता था। पंजाबी अपनी कड़ी मेहनत, बहादुरी तथा विशेष तौर पर देश भक्ति के लिए जाने जाते थे। नि:संदेह देश का विभाजन होने के साथ ही पंजाब के विभाजित हो जाने से पंजाबियों का प्रत्येक पक्ष से बड़ा नुकसान हुआ था। परन्तु इसके बावजूद पूर्वी पंजाब में पंजाबियों ने लगभग एक दशक में ही अपना पुनर्वास करके देश में फिर से प्रगतिशील तथा खुशहाल राज्य का दर्जा प्राप्त कर लिया था। विशेषकर हरित क्रांति ने इसकी आर्थिकता को कुछ दशकों तक बेहद मज़बती दी और देहाती क्षेत्रों तक लोगों के जीवन-स्तर में बड़ा परिवर्तन किया। 
परन्तु ये सब बातें अब बीते समय की कहानी बन कर रह गई हैं। आज पंजाब तथा पंजाबी बहुत-सी नकारात्मक बातों के लिए चर्चा में हैं। इस समय तो ऐसा दिखाई दे रहा है कि राज्य अपना अस्तित्व बरकरार रखने के लिए जूझ रहा है और सामाजिक तौर पर भी यह एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। पंजाब जिन चुनौतियों से इस समय दो-चार हो रहा है, उनकी संक्षिप्त-सी झलक इस प्रकार है :- 
1. इस समय राज्य की सबसे बड़ी समस्या नौजवानों के एक बड़े वर्ग का नशों में ग्रस्त हो जाना तथा अपराध की दुनिया में प्रवेश कर जाना है। इससे राज्य में एक प्रकार से उथल-पुथल मची हुई है। प्रतिदिन पंजाब के भिन्न-भिन्न भागों में नौजवानों द्वारा अधिक नशे (विशेषकर चिट्टा) का सेवन कर मरने के समाचार आ रहे हैं। नौजवान चिट्टे तथा अन्य कई प्रकार के नशे सिरिंजों में भर कर अपने शरीर में लगा लेते हैं और अनेक बार यह टीका लगाते ही उनकी जान निकल जाती है और सिरिंजें भी उनके बाजुओं में फंसी की फंसी रह जाती हैं। नमोशी की बात यह है कि लड़कियों-बेटियों की भी काफी संख्या इस बुराई का शिकार हो गई है। जिन माता-पिता के नौजवान बेटे इस प्रकार व्यर्थ में दुनिया से जा रहे हैं, उनका रुदन सुन कर रूप कांप जाती है। जब नौजवान चिट्टा लेने के या अन्य रासायनिक नशे करने के आदी हो जाते हैं तो वे ऐसे नशों के बिना एक पल भी शांत नहीं रह सकते। उन्हें तलब लगती है तो उनके हाथ-पांव टूटने लग जाते हैं। ऐसी स्थिति में वे जल्दी से जल्दी नशे की पूर्ति करना चाहते हैं। क्योंकि ये नशे बेहद महंगे हैं, इस कारण उन्हें काफी पैसों की ज़रूरत होती है। वे हताश होकर अपने माता-पिता से पैसे मांगते हैं। यदि वे पैसे देने में असमर्थ रहते हैं तो उन पर हिंसक हमले कर देते हैं। इस प्रकार के  अनेक समाचार आते हैं जब नशेड़ी अपनी मां, अपने बाप यहां तक कि अपने भाई-बहनों को घायल कर देते हैं या जान से भी मार देते हैं। ऐसे नौजवान नशे की पूर्ति के लिए चोरियां करने, डाके मारने, बैंकों के एटीएम लूटने , पैट्रोल पम्प लूटने, रास्ते में जाती महिलाओं की चेनियां झपटने या पर्स छीनने से भी संकोच नहीं करते। नौजवानों के एक और बड़े वर्ग ने अपने-अपने गैंग बना लिए हैं। सैकड़ों नौजवान इनमें शामिल हो गए हैं। इन गैंगों की जड़ें देश-विदेश तक फैली हुई हैं। इनके द्वारा करोड़ों की फिरौतियां इकट्ठी की जाती हैं। पैसे न देने वालों को गोलियों से भून दिया जाता है। इस कारण राज्य में अपराध का सिलसिला बेहद बढ़ गया है। लोग दिन में भी अपने-आप को सुरक्षित महसूस नहीं करते। राज्य में अब तक हो चुके कुछ नामी गैंगस्टरों में लारैंस बिश्नोई (जेल में), गोल्डी बराड़ (विदेश में), गुरशाहिद सिंह शेरा (मुकाबले में मर चुका है), जसविन्दर सिंह रौकी (गैंगों की गुटबंदी में मारा गया), विक्की गौंडर (पुलिस मुकाबले में मारा गया), जयपाल भुल्लर (मुकाबले में मारा गया), दविन्दर बंबीहा (मारा जा चुका है) आदि शामिल हैं। नशे से टूटे हुए तथा गैंगों का हिस्सा बने ये नौजवान सभी नैतिक मूल्यों को भूल कर एक तरह से ऐसे शैतानों का रूप ले लेते हैं जो कुछ भी कर सकते हैं। इस कारण पंजाबी समाज की बेहद बदनामी भी हो रही है। 
2. राज्य की दूसरी बड़ी समस्या नौजवानों के पलायन की भी है। शिक्षा प्राप्त करने के बहाने लाखों नौजवान कनाडा, अमरीक, आस्ट्रेलिया तथा विश्व के अन्य देशों की ओर जहाज़ भर-भर कर रवाना हो रहे हैं। पहले तो ये नौजवान ग्रेजुएशन करने के बाद ही विदेशों को रवाना होते थे परन्तु अब 10+2 के बाद ही आइलेट्स करके नौजवान विदेशों में चले जाते हैं। इस कारण राज्य के कालेज तथा यनिवर्सिटियां खाली हो गये हैं। कालेजों तथा यूनिवर्सिटियों को विद्यार्थी नहीं मिल रहे। इंजीनियरिंग, बीएड तथा अन्य क्षेत्रों की पढ़ाई से संबंधित कालेजों तथा यूनिवर्सिटियों में सीटें अक्सर खाली रहती हैं। इस समय राज्य के इंजीनियरिंग कालेजों में 55 प्रतिशत सीटें खाली रह चुकी है। राज्य में जो सरकारी या गैर-सरकारी यूनिवर्सिटियां तथा कालेज अपनी सीटें भरने में सफल भी हो जाते हैं, उनमें भी जा कर जब यह जानकारी ली जाती है कि वहां पढ़ने वाले विद्यार्थी कहां के हैं, तो ये तथ्य सामने आते हैं कि इस समय राज्य की यूनिवर्सिटियों में बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल तथा अनेक राज्यों के विद्यार्थी बड़ी संख्या में पढ़ रहे हैं। पंजाबी विद्यार्थियों की संख्या बेहद कम होती जा रही है। बड़ी संख्या में विदेशी विद्यार्थी भी पंजाब के कालेजों तथा निजी यूनिवर्सिटियों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इसका बड़ा कारण यह है कि राज्य में पंजाब के विद्यार्थियों को अपना कोई भविष्य नज़र नहीं आता। उनके अभिभावक भी सोचते हैं कि यदि वे अपने बच्चों को यहां महंगी शिक्षा दिलाते भी हैं, ते शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे यहां नौकरियां तो हासिल नहीं कर सकेंगे। क्योंकि यहां बड़े स्तर पर बेरोज़गारी पाई जा रही है। इस समय राज्य में बेरोज़गारी की दर 6.8 प्रतिशत के निकट है। बड़े स्तर पर नौजवानों के विदेश जाने से राज्य जहां अपने समर्थ नौजवानों से वंचित हो रहा है, वहीं इसका राज्य की आर्थिकता और अन्य क्षेत्रों पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि यह एक आम प्रचलित तथ्य है कि नई पीढ़ी ही शौक से महंगी चीज़ें-वस्तुएं खरीदती है। महंगे मोबाइल, लैपटाप, ब्रांडेड और ़गैर-ब्रांडेड कपड़े, स्कूटर, मोटरसाइकिल और कारें आदि परिवारों द्वारा नौजवानों के ज़ोर देने पर ही खरीदी जाती हैं। जब ऐसे नौजवान 12वीं करने के बाद ही बड़ी संख्या में विदेश चले जाएंगे, तो लाज़िमी तौर पर राज्य के अनेक तरह के कारोबार भी प्रभावित होंगे बल्कि प्रभावित हो ही रहे हैं। नौजवान शक्ति के विदेश जाने से कृषि, उद्योग और अन्य कारोबारों की तरक्की और विकास पर भी असर पड़ना लाज़िमी है। अंग्रेजी में ऐसी स्थिति को ‘ब्रेनड्रेन’ कहा जाता है।
3. राज्य की तीसरी बड़ी समस्या वातावरण के प्रदूषण और दिन-ब-दिन धरती निचले पानी के कम हो रहे स्तर की है। अब तो देश की और विदेश की बहुत सारी एजेंसियों ने खतरे की यह घंटी बजानी शुरू कर दी है कि यदि कृषि और अन्य कार्यों के लिए इसी तरह निर्ममता से धरती निचला पानी ट्यूब्वैलों द्वारा निकाला जाता रहा तो यहां 10 से 15 वर्षों में धरती निचला पानी खत्म हो जाएगा। यहां कृषि और उद्योग तो क्या, लोगों और पालतु पशुओं के पीने के लिए भी पानी नसीब नहीं होगा। ऐसी स्थिति में पंजाब का, यहां रहते लोगों का क्या होगा? यह एक बड़ी और चिंता की बात है। ऊपर से सुप्रीम कोर्ट द्वारा हर हालत में सतलुज-यमुना लिंक नहर निकालने का आया ताज़ा फरमान चिंता को और बढ़ाने वाला है। (शेष कल)