नई किस्मों के बीज वितरण के प्रबंध में सुधार किया जाए

बासमती का मूल्य मंडियों में 4000 रुपये प्रति क्ंिवटल तक पहुंच जाने से बाद किसानों के चेहरे पर मुस्कराहट है। चाहे बाढ़ के कारण उनका नुक्सान हुआ है, परन्तु 6 लाख एकड़ रकबा बाढ़ से प्रभावित होने के बाद किसानों ने उसमें से अधिकतर रकबे पर धान तथा बासमती की फसल दोबारा लगा ली थी, जहां आज आशाजनक फसल खड़ी है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार पंजाब में 6 लाख हैक्टेयर रकबे पर बासमती की काश्त हुई है जबकि अपेडा तथा आल इंडिया राइस एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार 9 लाख हैक्टेयर रकबा बासमती की काश्त के अधीन है। अब किसान गेहूं की बिजाई संबंधी योजनाबंदी कर रहे हैं। गेहूं रबी की मुख्य फसल है। पंजाब भारत के गेहूं उत्पादन का पांचवां हिस्सा पैदा करता है। सिंचाई के अधीन रकबा बिजाई के कुल रकबे का 98.9 प्रतिशत है। पंजाब में गेहूं की काश्त लगभग 35 लाख हैक्टेयर रकबे पर की जाती है। गत वर्ष 35.25 लाख हैक्टेयर रकबा गेहूं की काश्त के अधीन था। सन् 2018-19 में 34.20 लाख हैक्टेयर रकबे पर गेहूं की बिजाई की गई थी और प्रति हैक्टेयर उत्पादन 51.73 क्ंिवटल रहा था, जो गत वर्ष बेमौसमी बारिश तथा तेज़ हवाएं चलने के कारण कम हो गया था। गेहूं की बिजाई अक्तूबर के अंत में शुरू होनी है और नवम्बर में इस ने ज़ोर पकड़ना है। गेहूं के उत्पादन में सबसे अधिक भूमिका बीज तथा गेहूं की योग्य किस्म चुने जाने की है। किसान अभी से इस संबंधी विचार कर रहे हैं। प्रगतिशील किसानों ने तो सितम्बर में हुए किसान मेलों में ही अपनी चुनी हुई किस्म का बीज खरीद कर रख लिया था। अधिकतर किसानों की इच्छा तो नई किस्मों के बीजों की प्राप्ति की है। आम किसान उलझन में हैं। वे यह फैसला नहीं कर सकते कि वे कौन-सी किस्म का बीज खरीदें। गेहूं की असंख्य किस्में विकसित होकर किसानों तक पहुंच रही हैं। गत दो-तीन वर्षों में ये बड़ी संख्या में रिलीज़ हुई हैं। पीएयू द्वारा सेंजू खेतों में उचित समय पर बिजाई के लिए पी.बी.डब्ल्यू-826 नई किस्म किसानों को दी जा रही है। इसके अतिरिक्त पी.बी.डब्ल्यू-869, पी.बी.डब्ल्यू-824, पी.बी.डब्ल्यू-803 आदि किस्मों की भी सिफारिश की गई है, जो किसानों की बिजाई के लिए सन् 2021 में सिफारिश की गई थीं। सुनहरी (पी.बी.डब्ल्यू-766), 343, उन्नत पी.बी.डब्ल्यू-550, पी.बी.डब्ल्यू-725, पी.बी.डब्ल्यू-677, पी.बी.डब्ल्यू -1 चपाती, पी.बी.डब्ल्यू-1 ज़िंक अन्य किस्में हैं, जो पीएयू द्वारा सिफारिश की जा रही हैं। आई.सी.ए.आर.-भारतीय जौ व गेहूं के अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा डी.बी. डब्ल्यू-187, डी.बी.डब्ल्यू-222 तथा डी.बी. डब्ल्यू-303 किस्में जो 2020-21 में रिलीज़ की गई थीं, अक्तूबर के चौथे सप्ताह से नवम्बर के पहले पखवाड़े के बीच बिजाई के लिए सिफारिश की गई हैं। इसके अतिरिक्त इसी संस्थान द्वारा गत वर्ष डी.बी.डब्ल्यू-327, डी.बी.डब्ल्यू-332, डी.बी. डब्ल्यू-370, डी.बी.डब्ल्यू.-371 तथा डी.बी. डब्ल्यू.-372 आदि किस्में रिलीज़ करके किसानों को बिजाई के लिए सिफारिश की गई थीं। इन किस्मों के बीज की किसानों में बड़ी मांग है। संस्थान द्वारा 13-14 अक्तूबर से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में उन किसानों को इन किस्मों का बीज दिया जाएगा, जिन्होंने पिछले दिनों पोर्टल में बुकिंग करवाई है। इसके अतिरिक्त इन किस्मों का कुछ बीज आई.ए.आर.आई.-कोलैबोरेटिव आऊटस्टेशन रिसर्च सैंटर रखड़ा में पंजाब यंग फार्मर्स एसोसिएशन द्वारा किसानों को दिया गया। अधिक इनपुट देकर तथा ग्रोथ-रैगुलेटर ‘लिहोसिन’ आदि के दो स्प्रे करके गत वर्ष रिलीज़ की गईं इन किस्मों का औसत उत्पादन संस्थान के डायरैक्टर डा. ज्ञानइंद्रा सिंह के अनुसार 75 से 81-82 क्ंिवटल तथा समर्था 87 से 94 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर तक की है। डी.बी. डब्ल्यू.-327 तथा डी.बी. डब्ल्यू.-332 किस्मों का औसत उत्पादन 78-80 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर है तथा आज़माइशों के अधीन इन किस्मों ने 87 से 88 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर का उत्पादन दिया है। इसके अतिरिक्त आई.सी.ए.आर.-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा एच.डी.-3086, एच.डी.-3226 (ज़ीरो-टिल ड्रिल हेतु अधिक योग्य) किस्में जो किसानों ने अपनाई हैं, आदि की सिफारिश की गई है। 
नई किस्में जो इस वर्ष इस संस्थान द्वारा विकसित करके किसानों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रजिस्ट्रेशन के बाद दी जाएंगी, वे एच.डी.-3385 तथा एच.डी.-3406 (एच.डी.-2967 का विकल्प) हैं। इसके अतिरिक्त एच.डी.-3386 किस्म सर्व-भारतीय फसलों की किस्मों को प्रमाणित करने वाली भारत सरकार द्वारा बनाई गई सब-कमेटी द्वारा रिलीज़ करने हेतु विचाराधीन है। किसान परेशान तथा उलझन में हैं कि वे इन किस्मों में से कौन-सी किस्म का चयन करें। बीज वितरण प्रणाली के ढांचे को सही दिशा देना आवश्यक है, जिसके लिए सरकार तथा कृषि अनुसंधान संस्थाओं को ज़रूरी कदम उठाने चाहिएं।