नारी शक्ति के नए युग का स्वागत

एक अन्य दृष्टिकोण के आधार पर भारतीय दार्शनिक मूल्यों से हमें यह ज्ञात होता है कि स्त्री और पुरुष गुणों का सही संतुलन आंतरिक शांति, सद्भावना एवं व्यक्तिगत संतुष्टि प्रदान करके आत्म-साक्षात्कार की स्थिति उत्पन्न करता है। भौतिक दुनिया में यही स्थिति सामाजिक ताने-बाने को मजबूत कर सकती है तथा इस धरती को मानव जाति के रहने के लिए एक सुंदर स्थान बनाने की दिशा में हमारे शेष लक्ष्यों को प्राप्त कर सकती है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम सामूहिक लक्ष्यों की प्राप्ति तथा मानवता के कल्याण के लिए महिलाओं में मौजूद उनकी ईश्वर प्रदत्त क्षमता का कितना उपयोग कर सकते हैं। महिलाओं में मौजूद दृढ़ता, रचनात्मकता, त्याग, ममता, करूणा, दया, समर्पण तथा विश्वास जैसे सहज गुण उन्हें नेतृत्व करने की विशिष्ट क्षमता प्रदान करते हैं तथा इसके लिए उन्हें कोई प्रमाण-पत्र लेने की आवश्यकता नहीं है। बस आवश्यकता इस बात की है कि उन्हें उनका उचित स्थान दिया जाए तथा ऐसा करने मात्र से ही उनके क्षमता निर्माण को व्यापक बल मिलेगा तथा वे दूसरों द्वारा अनुकरण के लिए एक आदर्श मॉडल भी बनेंगी।
संविधान का 128वां संशोधन मोदी सरकार के लिए कोई राजनीतिक कदम नहीं है, बल्कि यह विश्वास का प्रतीक है। जुलाई 2003 में भाजपा ने रायपुर में आयोजित की गई राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक में संसद तथा राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण का एक प्रस्ताव पारित किया था। बाद में पार्टी द्वारा संगठन स्तर पर इस प्रयास को अमल में लाया गया तथा इसे अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया गया। अब यह पूरे देश के लिए बदलाव का एक माध्यम बन गया है। संसद का विशेष सत्र बुलाना तथा सर्वसम्मति आधारित निर्णय के लिए सभी राजनीतिक दलों को राजी करना एक कठिन कार्य था, जिसे सरकार ने इस विषय की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए काफी सावधानीपूर्वक किया है। पहले इस नेक काम का विरोध करने वाले कुछ राजनीतिक दलों का इस विधेयक के लिए सहमत होना उनकी इच्छा से नहीं हुआ है, बल्कि ऐसा करना उनकी राजनीतिक मजबूरी है। पुराना संसद भवन संविधान निर्माण की प्रक्रिया तथा अंग्रेज़ों से सत्ता हस्तांतरण का साक्षी रहा है और अब संसद का यह नया मंदिर आज लोकतंत्र को और अधिक मज़बूत बनाने के लिए हमारे जीवंत संविधान की छत्रछाया में सत्ता में महिलाओं की उचित भागीदारी का साक्षी बन रहा है।
भारत की अध्यक्षता में हाल में सम्पन्न जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन ने साबित कर दिया है कि वैश्विक चुनौतियों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए भारत काफी मायने रखता है। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की कगार पर है तथा इसके साथ ही नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू होने पर लोकसभा एवं राज्यों की विधानसभा में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का अनुपात वर्तमान के 15 प्रतिशत से बढ़कर 33 प्रतिशत हो जाएगा तथा इस प्रकार हमारे देश के लोकतांत्रिक संस्थानों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का प्रतिशत वैश्विक औसत (26.7 प्रतिशत) को पार कर जाएगा तथा दुनिया के कई विकसित राष्ट्रों की तुलना में काफी अधिक होगा। ऐसे अनेक ठोस उपायों को लागू करने से 21वीं सदी के दौरान देश को महिलाओं के नेतृत्व में प्रगति के पथ पर अग्रसर करने के संदर्भ में राष्ट्र के नजरिए में एक नया बदलाव आएगा। 
नारी शक्ति वंदन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 82 के तहत पूर्व अपेक्षित संवैधानिक बाधाएं ये हैं कि महिलाओं के नेतृत्व वाले निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए पहले जनगणना तथा परिसीमन से संबंधित कार्य पूरे किए जाएं। दृढ़ संकल्पित मोदी सरकार संविधान की इस भावना के अनुरूप इस अधिनियम को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। तथापि, बदलाव की आहट अभी से पूरे देश में महसूस की जाने लगी है। वर्तमान समाज की पुरुष प्रधान मानसिकता में तेजी से बदलाव आ रहा है। आइए, हम सब मिलकर विकसित भारत के निर्माण के लिए नारी शक्ति नेतृत्व के इस उज्ज्वल युग का स्वागत करें।


-केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), संस्कृति एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री।