युद्ध का भयानक चेहरा

पश्चिम एशिया में इज़रायल तथा गाज़ा पट्टी में स्थापित हमास के बीच शुरू हुआ युद्ध बेहद गम्भीर रूप धारण कर चुका है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद वर्ष 1948 में मध्य-पूर्वी देश फिलिस्तीन के विभाजन के मामले को लेकर बड़ा तनाव चलता आया है। ब्रिटेन के अधीन अरब क्षेत्र के भाग में संयुक्त राष्ट्र द्वारा फिलिस्तीन को यहूदी तथा अरब राज्यों में विभाजित कर दिया गया था परन्तु यह विभाजन कभी भी अरब देशों को रास नहीं आया। इसमें गाज़ा पट्टी तथा पश्चिमी बैंक अलग रखे गए। इस तरह लगभग सात लाख  फिलिस्तीनियों को इज़रायल छोड़ कर नज़दीकी क्षेत्रों में जा कर बसना पड़ा। उसके बाद अरब देशों की अक्सर यहूदियों के इस नये बने देश इज़रायल से युद्ध होता रहा। 1967 में मिस्र, सीरिया, इराक, लेबनान तथा जार्डन के साथ हुए युद्ध में इज़रायल ने गोलान हाइटस तथा पूर्वी यरूशलम पर कब्ज़ा कर लिया था। चाहे उसके बाद अरब देशों के इज़रायल के साथ समझौते होने लगे परन्तु ये युद्ध कहीं न कहीं जारी रहे। अंतत: 1978 में मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सदात तथा इज़रायली प्रधानमंत्री मेनाकेम बेगिन के मध्य अमरीका ने समझौता करवा दिया था, जिसके अनुसार पश्चिम बैंक तथा गाज़ा पट्टी पर फिलिस्तीनियों की सरकार स्थापित हुई।
1994 में भी फिलिस्तीन लिबरेशन आर्गेनाइजेशन के चेयरमैन यासिर अऱाफात तथा इज़रायल के प्रधानमंत्री येतज़ाक राबिन के मध्य समझौता पूर्ण हुआ परन्तु इसी समय में ब़ागी संगठन हमास तथा हिजबुल्ला ने इन समझौतों को मानने से इन्कार कर दिया। हिजबुल्ला को लगातार ईरान सहायता दे रहा है तथा हमास की कतर, तुर्की तथा लेबनान के अतिरिक्त अन्य बहुत-से अरब देश सहायता कर रहे हैं। यह संगठन इज़रायल में यहूदी शासन को समाप्त करना चाहते हैं परन्तु दूसरी तरफ इज़रायल के यहूदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। समय के व्यतीत होने के साथ उन्होंने इस छोटी-सी धरती पर स्वयं को एक बड़ा शक्तिशाली बना लिया है।
वर्ष 2020 में इस मामले पर बड़ी घटना घटित हुई थी। यूनाइटेड अरब अमीरात तथा बहरीन ने इज़रायल के साथ संबंध सुधारने के लिए इब्राहिम समझौता कर लिया था। अब सऊदी अरब भी इज़रायल के साथ समझौता करने की तैयारी कर रहा है। हमास ने गाज़ा पट्टी से 7 अक्तूबर, 2023 को इज़रायल पर हमला कर दिया और 5 हज़ार के लगभग रॉकेट वहां गिराये थे। इसमें एक हज़ार से अधिक इज़रायली मारे गए थे तथा अन्य हज़ारों ही घायल हुए थे। इसके साथ ही हमास लड़ाकों ने इज़रायल में दाखिल होकर ज्यादातर लोगों को मौत के घाट उतारने के अतिरिक्त लगभग 200 इज़रायलियों को बंदी बना लिया था, जो आज भी उसके कब्ज़े में हैं। इसके बाद तीव्र युद्ध में अब तक दोनों ओर से हज़ारों ही लोग मारे जा चुके हैं। अमरीका, इंग्लैंड तथा अन्य ज्यादातर यूरोपियन देशों ने इज़रायल की सहायता की घोषणा की है परन्तु इस युद्ध में गाज़ा के अस्पताल पर इज़रायल द्वारा किए गए हवाई हमले मेें 500 से अधिक फिलिस्तीनियों के मारे जाने के कारण हालात जहां और भी तनावपूर्ण बन गए हैं, वहीं अरब देशों ने भी अपना रवैया कड़ा कर लिया है। दूसरी तरफ इस हमले के संबंध में इज़रायल ने आरोप लगाया है कि यह हमला फिलिस्तीनियों तथा इस्लामिक जेहाद संगठन के निशाने के दौरान मिसाइल चूकने से हुआ है, परन्तु अरब देश इस हमले के लिए इज़रायल को ही ज़िम्मेदार मानते हैं। इस कारण ईरान ने भी मुस्लिम देशों को एकजुट होकर इज़रायल के विरुद्ध युद्ध छेड़ने का आह्वान किया है तथा लेबनान से हिजबुल्ला संगठन को इज़रायल के विरुद्ध युद्ध छेड़ने के लिए कहा है। इस तरह यह युद्ध व्यापक रूप धारण करता दिखाई दे रहा है।
पहले ही रूस तथा यूक्रेन के हो रहे विनाशकारी तथा लम्बे युद्ध ने विश्व पर व्यापक प्रभाव डाला है। इस नए युद्ध के कारण तेल की कीमतों में हुई वृद्धि ने विश्व के समूचे व्यापार पर भी भारी प्रभाव डाला है। भारत भी इसके विपरीत प्रभाव से बच नहीं सकेगा। आज संयुक्त राष्ट्र सहित दुनिया के बड़े शक्तिशाली देशों को हर स्थिति में इस युद्ध को खत्म करवाने के लिए यत्न करने चाहिएं, ताकि यह धरती आगामी समय में ऐसा तंदूर न बन सके, जिससे विश्व का बड़ा भाग हर पक्ष से बर्बाद हो जाए।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द