भारत तथा कनाडा के सहज होते संबंध

भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा कनाडा के नागरिकों के लिए पुन: कुछ क्षेत्रों में वीज़ा शुरू करने की घोषणा के बाद दोनों ही देशों में रह रहे लाखों भारतीय परिवारों ने सुख की सांस ली है। आज भारी संख्या में भारतीय मूल के लोग कनाडा में जाकर बसे हुये हैं। उनके पास वहां की नागरिकता है परन्तु भारत के साथ अनेक कारणों के चलते उनके संबंध जुड़े हुये हैं। ये संबंध नये नहीं हैं, बहुत पुराने हैं। देश की स्वतंत्रता से पहले भी भारतीय मूल के ज्यादातर लोग कनाडा जैसे विशाल देश में रोटी-रोज़ी की तलाश में जाते थे। उनमें से अधिकतर वहां पर ही बस जाते थे।
पिछले दशकों में तो एक प्रकार से किसी न किसी ढंग-तरीके से कनाडा पहुंचने की दौड़ ही लगी रही है। इसका एक कारण हमारे देश में लगातार बढ़ती जनसंख्या तथा बेरोज़गारी है। आज भी ज्यादातर भारतीय विदेशों में प्राश्रय चाहते हैं। यदि वे प्रत्यक्ष रूप से नहीं, तो अप्रत्यक्ष तौर पर तथा कोई भी ढंग-तरीका अपना कर कनाडा, अमरीका या अन्य देशों में जाकर बसने को प्रथामिकता देते हैं। आज भी ऐसा प्रचलन जारी है। कई बार तो ऐसा प्रतीत होने लगता है कि जैसे पंजाबी युवाओं की इस होड़ से पंजाब खाली होता जा रहा हो। कनाडा के साथ तो पंजाबियों का विशेष स्नेह रहा है। विगत लम्बी अवधि से पंजाबी युवा यहां अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करके विद्यार्थी के तौर पर कनाडा जाने को प्राथमिकता देते रहे हैं तथा फिर वे किसी न किसी तरह वहां पर बस जाने में ही अपना भला समझते रहे हैं। इस होड़ में हर प्रकार के भारतीयों का वहां जमघट लगना शुरू हो गया है।
पंजाब में पहले लम्बी अवधि तक आतंकवाद के दौर में बिगड़ते हालात के दृष्टिगत एक विशेष विचारधारा के युवाओं ने कनाडा को शरण-स्थली समझ कर वहां की ओर रुख किया था जो आज भी वहां अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। कनाडा में विचारों की अभिव्यक्ति की बड़ी सीमा तक आज़ादी है। वहां किसी न किसी प्रकार नाराज़ हुये ये व्यक्ति अपनी भारत विरोधी भावनाओं की अभिव्यक्ति करते रहते हैं। इनमें से कइयों के संबंध भारत विरोधी गतिविधियां करने वाली संस्थाओं के साथ भी जुड़े हुये हैं। इसलिए प्राथमिक रूप से भारत को हर तरह की चुनौती देते रहते हैं तथा भारतीय राजनयिकों को अक्सर धमकियां भी मिलती रहती हैं। किसी न किसी खास दिन को लेकर भिन्न-भिन्न शहरों में भारत सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन करना तो सामान्य क्रिया-कलाप ही बन चुका है।
जहां भारत सरकार को अक्सर इन गतिविधियों के विरुद्ध कड़ी आपत्ति रही है तथा वह अपने इस रोष को कनाडा की सरकार के समक्ष लगातार प्रगट भी करती रही है, परन्तु भारत सरकार का यह दावा है कि कनाडा सरकार ने कभी भी भारत द्वारा व्यक्त किये गये ऐसे रोष को गम्भीरता से नहीं लिया तथा न ही कभी ऐसे संगठनों या तत्वों के विरुद्ध कोई प्रभावशाली कार्रवाई की है। इसी कारण विगत लम्बी अवधि से जब किसी भी पार्टी के राजनीतिज्ञ या अन्य प्रभावी व्यक्ति कनाडा जाते हैं तो कुछ संगठनों द्वारा उनके विरुद्ध कड़े प्रदर्शन भी किये जाते हैं। यही कारण है कि जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री होते हुये उनके मंत्रियों या उनके स्वयं भारत आने पर उनका पूरी गर्मजोशी से स्वागत नहीं किया जाता रहा, क्योंकि भारत सरकार का हमेशा यह प्रभाव रहा है कि किसी न किसी रूप में कनाडा सरकार ऐसे भारत विरोधी शरारती तत्वों को उत्साहित करती रहती है। इन हालात के चलते भारत द्वारा वर्ष 2020 में आतंकवादी घोषित हरदीप सिंह निज्जर जो भारत से भाग कर कनाडा में रह रहा था, की गोलियां लगने से हुई हत्या के बाद जस्टिन ट्रूडो द्वारा देश की संसद में प्रत्यक्ष रूप में इस हत्या में भारत का हाथ होने के लगाये गये आरोप ने दोनों देशों के संबंधों में और भी तनाव उत्पन्न कर दिया था। भारत सरकार ने उनके इस बयान को पूरी तरह गलत करार दिया था। दोनों देशों के मध्य जारी टकराव के दौरान भारत द्वारा कनाडा के तीन दर्जन से अधिक राजनयिकों को देश से चले जाने हेतु कह दिया गया था तथा कनाडा के नागरिकों के लिए वीज़ा पर पाबन्दी भी लगा दी गई थी, जिस कारण द्विपक्षीय संबंध और भी बिगड़ गये थे, परन्तु दूसरी तरफ कनाडा सरकार ने इस मामले पर अपने अनुशासन तथा संयम को बनाये रखा।
भारत के इस कदम का भारी संख्या में कनाडा में बसे भारतीयों पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक था। उन भारतीयों द्वारा इस कदम की कड़ी आलोचना किये जाने के बाद भारत द्वारा पुन: अपने इस फैसले को बदलने की घोषणा की गई है। इससे कनाडा में बसते भारी संख्या में भारतीयों ने सुख की सांस ली है। इससे दोनों देशों के आपसी संबंधों पर छाये बादल भी कुछ सीमा तक छंटने प्रतीत होने लगे हैं। हम भारत के इस फैसले का स्वागत करते हैं तथा उम्मीद करते हैं कि भविष्य में दोनों देश मिल-बैठ कर एक-दूसरे को समझने का यत्न करेंगे तथा पुन: दोनों देशों के संबंध पहले की भांति सुदृढ़ होंगे।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द