सुहागिनों का सौभाग्य-पर्व है करवा चौथ 

हाल के सालों में करवा चौथ हिन्दुओं के एक प्रमुख त्यौहार के रूप में उभरकर सामने आया है। एक समय था जब यह आमतौर पर उत्तर भारत में पंजाब, हरियाणा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान तक सीमित रहता था, लेकिन आज यह एक अखिल भारतीय त्यौहार बन चुका है। महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, बिहार, बंगाल और असम तक यह खूब धूमधाम से मनाया जाता है। विदेशों में कनाडा से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक यानी जहां-जहां हिंदू पहुंचे हैं, हर जगह करवा चौथ का पर्व मनाया जाने लगा है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को इस पर्व में सुहागिनें करवा व्रत रखती हैं। इस साल यह 1 नवम्बर 2023 को है।
शास्त्रों के मुताबिक करवा चौथ के व्रत का फल तभी मिलता है, जब हम उसे पूरे विधि-विधान के साथ करें। करवा चौथ का व्रत भगवान सूर्य को समर्पित होता है। इसलिए व्रत रखने वाली महिलाओं को करवा चौथ वाले दिन सुबह सूर्य निकलने के पहले जगना चाहिए और उगते सूरज को प्रणाम करना चाहिए। इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 31 अक्तूबर मंगलवार को रात 9 बजकर 30 मिनट से हो रही है, जोकि अगले दिन 1 नवम्बर को रात 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि और चंद्रोदय के समय को देखते हुए करवा चौथ का व्रत 1 नवम्बर, 2023 दिन बुधवार को मनाया जाएगा।
करवा चौथ के व्रत के लिए सुहागिनों को कुछ नियम पालन करने होते हैं, मसलन उन्हें इस दिन सुबह सूरज निकलने के पहले जगना होता है। करवा चौथ का व्रत रखने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में कुछ हल्का फुल्का जलपान करना होता है। यह जलपान या सरगी खानी इसलिए ज़रूरी होती है क्योंकि सूर्य की किरणें निकलने के बाद फिर उन्हें कुछ भी नहीं खाना या पीना होता। सूर्य की किरणें निकलने के बाद रात चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत पारण किया जाता है और तब ही महिलाएं पानी पी सकती हैं।
यह व्रत पूरे समय सुहागन होने के एहसास से रोमांचित किये रहता है। करवा चौथ वाले दिन सुहागिनें सुबह नहाने, धोने के बाद से ही सजने-संवरने में लग जाती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और बाकी दिनों की तरह घर के काम में खटती नहीं हैं। चूंकि यह व्रत सूरज की किरणें निकलने के बाद निर्जला हो जाता है, इसलिए नई बहुओं को, विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त में कुछ हल्का फुल्का ज़रूर खा लेना चाहिए। सरगी यानी ब्रह्म मुहूर्त में खाये जाने वाले खाने में कुछ मीठे और कुछ नमकीन व्यंजन होते हैं। फल, सेवईंया, ड्राइफ्रूट, मठरी, जूस और पराठा खास तौर पर सरगी के व्यंजन हैं। यह भोजन ब्रह्म मुहूर्त में इसलिए किया जाता है कि मान्यता है कि इसी समय देवता लोग धरती पर भ्रमण के लिए निकलते हैं। इसलिए इस समय सरगी खाने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और देवी देवताओं का आशीर्वाद भी मिलता है कि व्रतियों का यह व्रत टूटे न।
इस व्रत के कुछ नियम बाकी व्रतों से बिल्कुल अलग होते हैं मसलन करवा चौथ के दिन, दिन में सोना वर्जित होता है।  वैसे भी महिलाएं करवा चौथ वाले दिन पूरे समय साज श्रृंगार में व्यस्त रहती हैं, इसलिए इस दिन सोने का तो कोई मतलब ही नहीं है। इस दिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि कोई चीज हाथ से गिरकर टूटे न। विशेषकर सुहाग के प्रतीक वाली कोई चीज। लेकिन अगर पहनते समय गिरकर टूट ही जाए तो उसे कूडेदान में नहीं फेंकना चाहिए बल्कि बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए। इस दिन सुहागनों को पूरी सजगता के साथ अपना श्रृंगारदान किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए, खासकर सिंदूर जैसी चीज तो किसी भी दूसरी महिला को नहीं देना चाहिए और हां, इस दिन जो भी दान दें वह सुहाग से जुड़ा हुआ होना चाहिए।
माना जाता है कि इस दिन जो भी चीज दान दें चाहे वह खाने पीने की हो या गैर खाने पीने की वह सफेद नहीं होने चाहिए यानी इस दिन दूध, दही, चावल, बर्फी, सफेद धोती, सफेद कुर्ता आदि किसी को दान नहीं देना चाहिए। इसकी जगह लड्डू, हलवा, पुरी, जैसी खाने की चीजें भिखारियों को खिलानी चाहिए अगर किसी को कपड़े दान में दे रही हों तो वे लाल या भगवे होने चाहिए। इस दिन कढ़ाई, सिलाई जैसे कामों से भी दूर रहना चाहिए, इसे अपशगुन माना गया है। इस दिन खास तौर पर महिलाओं को जो व्रत से हों, उन्हें अपने पतियों से बिल्कुल झगड़ा नहीं करना चाहिए। अगर झगड़ा करती हैं तो यह व्रत टूट जाता है।
व्रत का पारण करते समय यानी व्रत को तोड़ते समय सुहाग यानी पति का हर हाल में मौजूद होना ज़रूरी है। अगर वह किसी काम से घर से बाहर है तो कोशिश करनी चाहिए कि सीधे वीडियो कान्फ्रेंसिंग करके व्रत तोड़ें। अगर फोन लाइन में सुहाग यानी पति मौजूद न हो तो तस्वीर रखकर भी व्रत खोला जा सकता है। व्रत खोलने के बाद चंद्र दर्शन करने चाहिए और पति को छलनी की ओट से देखना चाहिए। फिर दोनों को एक साथ उसी छलनी से चांद को देखना चाहिए। इस दिन चूंकि महिलाएं अपने पतियों की दीर्घायु कामना के लिए व्रत रहती हैं, इसलिए पतियों को चाहिए कि वे इस दिन हर हाल में अपनी पत्नी को कोई तोहफा दें। इससे यह पर्व न सिर्फ धार्मिक और संस्कारिक ज़रूरतें पूरी करता है बल्कि पति पत्नी के बीच भावनात्मक प्यार को भी बढ़ाता है। इसलिए हर हिंदू सुगहान औरत को करवा चौथ का व्रत रखना चाहिए।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर