आज विश्व एड्स दिवस पर विशेष अभी कम नहीं हुआ एड्स का ़खतरा

विश्व एड्स दिवस 1988 से हर साल एक दिसम्बर को मनाया जाता है। इसे मनाए जाने का मुख्य मकसद लोगों को एचआईवी संक्रमण से होने वाली बीमारी एड्स के बारे में जागरूक करना है। 2023 में विश्व एड्स दिवस की थीम एड्स से प्रभावित समुदायों को नेतृत्व करने की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना रखी गई है। यह थीम इस बात पर प्रकाश डालती है कि एड्स से प्रभावित लोग अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपनी आवाज़ उठाने और कार्रवाई करने में सक्षम बनें। एड्स से प्रभावित लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और रोज़गार के समान अवसरों तक पहुंच होनी चाहिए ताकि इस थीम का मकसद पूरा हो सके। एड्स नामक इस भयानक बीमारी ने देश की एक बड़ी आबादी को अपने प्रभाव में जकड़ रखा है। यूनिसेफ  ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अब तक 40.4 मिलियन लोग एड्स के शिकार हुए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार कुछ देशों में नए संक्रमणों के बढ़ते रुझान की रिपोर्ट की जा रही है जबकि पहले इसमें गिरावट आ रही थी। 2022 में लगभग 6 लाख तीस हज़ार लोग एचआईवी से संबंधित कारणों से मर गए और 1.3 मिलियन लोगों को एचआईवी हो गया। एड्स का खतरा दुनिया में अभी थमा नहीं है। अभी भी यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। 
भारत की बात करें तो यह एचआईवी/एड्स उन्मूलन की दिशा में लगातार प्रयासरत कर रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अफ्रीका के बाद भारत में एड्स के सर्वाधिक रोगी हैं जिनकी संख्या 23 लाख है। एड्स नामक इस भयानक बीमारी ने देश की एक बड़ी आबादी को अपने प्रभाव में जकड़ रखा है। एचआईवी से संबंधित मामलों को पूर्ण रूप से खत्म किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं।  पिछले कुछ वर्षों में भारत ने इस प्रयास में आंशिक सफलता भी पाई है। भारत में एचआईवी/एड्स से निपटने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी) की स्थापना की।  2010 के बाद से जब एनएसीपी ने नए एचआईवी संक्रमण और एड्स से संबंधित मौतों को 80 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा था, जिसे हासिल कर लिया गया। एड्स से संबंधित मृत्यु दर में 82 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि, नए एचआईवी संक्रमणों की वार्षिक संख्या में केवल 48 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।  पिछले एक दशक के आकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे कि पीड़ितों को मौत के आगोश में सुलाने वाली यह महामारी धीरे ही सही मगर अब पकड़ में आ गई है। विश्व स्तर पर चेतना और जागरूकता के कारण इस पर विजय हासिल की जा सकी। मगर इसका मतलब यह कतई नहीं है कि एड्स हमारे पूरी तरह नियंत्रण में आ गया है। 
भारत अभी भी विश्व के उन पांच देशों में शुमार है जहां एड्स का प्रभाव सर्वाधिक है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार 2030 तक एड्स को जड़ मूल से समाप्त कर दिया जायेगा। दुनिया के सबसे घातक बीमारियों में एक है एड्स। इस बीमारी का मुकम्मल इलाज अभी मुमकिन नहीं हो पाया है लेकिन कुछ रिसर्च हो रहे हैं। जिससे उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में इसका एक मुकम्मल इलाज होगा।
 इस दिन इस वायरस और बीमारी से बचने के लिए कई जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं लेकिन उसके बावजूद आम लोगों के दिमाग में कई सवाल घूमते रहते हैं। इसी वजह से इस जानलेवा बीमारी को लेकर कई तरह के मिथक बन जाते हैं। हर कोई अपनी जानकारी के हिसाब से दूसरे व्यक्ति को सलाह देता है, लेकिन कौन-सी बात कितनी सच है, इसको लेकर लोग काफी भ्रम में रहते हैं। एड्स हाथ मिलाने, गले लगने, छूने, छींकने से नहीं फैलता। इससे बचने के लिए ज़रूरी है कि लोग इस बीमारी के प्रति जागरूक हों।