​​​​​​​‘इंडिया’ पर छाये बादल

विगत दिवस पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में तीन प्रदेशों में भाजपा को जीत प्राप्त हुई। एक में कांग्रेस सफल रही तथा मिज़ोरम में वहां की क्षेत्रीय पार्टी ज़ोरम पीपल्ज़ मूवमैंट ने जीत हासिल की। देश के दो बड़े राज्यों मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में एक तरह से भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस में प्रत्यक्ष मुकाबला था। इन तीन राज्यों में ही कांग्रेस की निराशाजनक  पराजय हुई है। इस बात ने पार्टी के भीतर और भी निराशा पैदा की है, क्योंकि राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें थीं, जो भाजपा ने उससे छीन ली हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा ही सत्तारू ढ़ थी। पार्टी के यहां 18 वर्ष शासन करने के बाद यह महसूस किया जा रहा था कि इस बार कांग्रेस की बढ़त हो सकती है, क्योंकि कमलनाथ वहां के एक ऊंचे कद वाले कांग्रेसी नेता माने जाते रहे हैं। उनके नेतृत्व में पहले भी कांग्रेस की सरकार बनी थी, परन्तु एक अन्य बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी से ब़गावत कर जाने के कारण ‘डेढ़ वर्ष’ की अवधि में ही भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पुन: सरकार बना ली थी। 
चाहे मध्य प्रदेश में उनके नेतृत्व में कुछ लोक-लुभावन योजनाओं की घोषणा की गई थी, जिनमें ‘लाडली बहना’ योजना भी शामिल थी, जिसके तहत महिलाओं को ‘1500’ रुपये प्रति मास की अदायगी की जाती रही है। इस योजना का भी प्रदेश की महिलाओं पर भारी प्रभाव देखा जा सकता था, जिस कारण उनका झुकाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर अधिक हो गया था, परन्तु इतनी लम्बी अवधि तक सत्ता में रहने के बाद भी कांग्रेस को पछाड़ देने से भाजपा की मध्य प्रदेश में बड़ी चढ़त हो गई है, जिसका मुख्य श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है। ऐसे हालात में जहां कांग्रेस का संकट बढ़ा है, वहीं ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवल्पमेंटल इन्क्लूसिव अलायन्स) में और भी दरारें बढ़ने की सम्भावनाएं बढ़ गई हैं। इन राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस गठबंधन की 6 दिसम्बर को बैठक बुलाई थी, जिसमें किसी न किसी बहाने बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं ने शामिल होने से इन्कार कर दिया था। तृणमूल कांग्रेस की नेता तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसी अन्य कार्यक्रम का बहाना बना कर इसे टाल दिया था। तमिलनाडू के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने राज्य में आये चक्रवर्ती त़ूफान ‘मिचौंग’ से निपटने की बात कहते हुये दिल्ली आने से इन्कार कर दिया था। गठबंधन के बड़े नेता तथा बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने अपने बीमार होने का बहाना बना दिया तथा उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस बैठक में शामिल होने से स्पष्ट इन्कार कर दिया था, जिस कारण गठबंधन की इस बैठक को स्थगित करना पड़ा।
आगामी कुछ मास में लोकसभा के चुनाव सिर पर हैं। कुछ मास पूर्व 28 पार्टियों का बना यह गठबंधन अभी से टूटता दिखाई दे रहा है। यह गठबंधन प्रधानमंत्री नरेन्द्र की बेहद उभर रही शक्ति तथा भाजपा के उभार को रोकने हेतु बनाया गया था। आगामी मास में इसका क्या हश्र होगा, यह देखने वाली बात होगी, क्योंकि कई बैठकों में जोड़ी गई इसकी कड़ियां अब कुछ ढीली तथा कमज़ोर पड़ती दिखाई दे रही हैं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द