गणतंत्र दिवस पर जो बाइडेन का आने से इन्कार

हालांकि अगले साल गणतंत्र दिवस परेड पर अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के न आने की अमरीकी प्रशासन द्वारा गिनायी जा रही मजबूरियां, अवास्तविक नहीं लग रही हैं। निश्चित रूप से शेड्यूलिंग की कठिनाईयां दिख रही हैं। लेकिन इस समय दोनों देशों के बीच पिछले कई सालों से गर्मजोशी से बढ़ रहे रिश्तों में जो अचानक हल्का सा तनाव महसूस हो रहा है, उस तनाव को यह ऐन मौके का इंकार और बढ़ा सकता है। अगर नहीं भी बढ़ायेगा तो भी भारत के प्रतिस्पर्धी देशों में ऐसी गलतफहमियां तो पैदा कर ही सकता है। क्याेंकि अब भले जोर शोर से विदेशी मीडिया में राष्ट्रपति जो बाइडेन के, भारत के गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा न लेने की सुर्खियां बन रही हों, लेकिन औपचारिक रूप से भारत सरकार या भारत की नौकरशाही ने यह कभी स्पष्ट नहीं किया था कि जो बाइडेन को साल 2024 के गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्यातिथि आमंत्रित किया गया है। वास्तव में ये भारत में अमरीका के राजदूत एरिक गार्सेटी ही थे, जिन्होंने गुजरे सितम्बर माह में कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने गणतंत्र दिवस 2024 के मौके पर राष्ट्रपति बाइडेन को बतौर चीफ गेस्ट आमंत्रित किया है।
सवाल है अगर भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें वाकई आमंत्रित किया था, तो फिर भारत सरकार ने इस बात का खुलासा क्यों नहीं किया? सरकार ने न सही नौकरशाही ने भी इस बात का किसी भी रूप में जिक्र क्यों नहीं किया? कहीं ऐसा तो नहीं है कि भारत को यह आशंका थी कि ऐन मौके पर जो बाइडेन आने से इंकार कर देंगे? भले यह महज संयोग हो, लेकिन जिस तरह दिसम्बर के दूसरे सप्ताह में आकर अमरीकी प्रशासन ने बाइडेन के न आ पाने की मजबूरियां गिनायी हैं, उसमें भी एक रणनीतिक इंकार की बू आ रही है। क्योंकि बाइडेन की जिन मजबूरियों को गिनाया गया है, वे अचानक पैदा हुई मजबूरियां नहीं हैं। यह पहले से तय है कि 2024 में भारत की तरह अमरीका में भी चुनाव हैं और उस दौरान अमरीकी राष्ट्रपति काफी व्यस्त रहेंगे। लेकिन चुनाव संबंधी यह स्पष्टता तो इस साल क्या तीन साल पहले से है, फिर महज एक महीने कुछ दिन पहले अमरीकी प्रशासन को क्यों ऐसा सूझा कि अब मजबूरियां गिनायी जाएं? कहीं ऐसा तो नहीं है कि इस समय जब वाकई अमरीका को भारत के साथ अपने बराबरी के सम्मानपूर्वक रिश्तों को मान्यता देनी है, तो अमरीका किसी चिढ़ या अपने ऐतिहासिक घमंड का शिकार हो गया है?
ऐसा इसलिए भी सोचा जा सकता है क्योंकि पिछले करीब एक महीना में भारत और अमरीका के कई मौकों पर मनमुटाव उभरकर सामने आये हैं। अमरीकी राष्ट्रपति और वहां के दूसरे मंत्री व वरिष्ठ अधिकारी भले औपचारिक तौर पर हर बातचीत में यह कहते न थकते हों कि अमरीका और भारत के सम्मानपूर्वक बराबरी के रिश्ते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि भारत जब-जब अपनी हैसियत और प्रभाव के अनुरूप राजनीतिक लाभ या वैश्विक प्रभाव में हिस्सेदारी की मांग करता है तो अमरीका के माथे पर बल पड़ जाते हैं। अमरीका पर दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अब तक हजारों ऐसे लोगों को मरवाने के आरोप लगे हैं, जो किसी न किसी स्तर पर अमरीका को चुनौती दे रहे थे या अमरीका के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे थे। 
लेकिन आज एक खालिस्तानी गुरपतवंत सिंह पन्नू के मरवाये जाने का भारत पर बिना किसी सबूत के आरोप लगाकर अमरीकी प्रशासन हमारे साथ कुछ इस तरह का हेकड़ीभरा बर्ताव कर रहा है कि जैसे इस तरह का दुस्साहस वह करे तो कोई बात नहीं, लेकिन दुनिया में कोई और न करे। जबकि भारत ने सार्वजनिक तौर पर बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि हम इसकी उच्चस्तरीय जांच करा रहे हैं और अगर जरा भी इस सबमें किसी भारतीय का हाथ पाया गया तो उसके विरूद्ध उचित न्यायिक कार्यवाई होगी। लेकिन अमरीका कुछ इस तरह से मुंह फुला रहा है जैसे भारत को उससे बिना कुछ किए ही माफी मांग लेनी चाहिए। राजनीतिक गलियारे की जो कोई भी थोड़ी बहुत खबर रखता है, उसे मालूम है कि जिस निखिल गुप्ता पर पन्नू की असफल हत्या के प्रयास का आरोप है, उसे अमरीका ने जून माह में ही चेक रिपब्लिक से गिरफ्तार करके अपने यहां ले आया था। मतलब यह कि जब जी-20 सम्मेलन में जो बाइडेन हिस्सा लेने आये थे, उस समय उन्हें यह पता था कि पन्नू पर असफल हत्या का आरोप एक भारतीय पर है और वह अमरीका के कब्ज़े में है, लेकिन तब तो जो बाइडेन ने इस पूरे मामले में सांस तक नहीं ली थी। 
वास्तव में जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्ट्रिन ट्रूडो ने बचकाने अंदाज में भारत पर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या करवाने का आरोप लगाया और अमरीका से लेकर ब्रिटेन तक के शासकों से गुहार लगायी कि वे भारत पर दबाव डालें और हिंदुस्तान ने जिस तरह कनाडा को झिड़क दिया तथा ब्रिटेन व अमरीका को आगाह कर दिया कि वे भारत के आंतरिक मामले में किसी तरह की हस्तक्षेप की कोशिश न करें। अगर बाइडेन सोचते हों कि परेड में आने से इंकार करके उन्होंने भारत को निराश किया है, तो यह उनकी खुशफहमी भर होगी। इसलिए जो बाइडेन गलतफहमियों से जितना जल्दी बाहर निकल सकें, अच्छा होगा। 


-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर