दूर की बात है कांग्रेस-‘आप’ चुनाव समझौता

पंजाब कांग्रेस ने एक बार फिर आगामी लोकसभा चुनाव राज्य में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के साथ मिल कर लड़ने से स्पष्ट इन्कार कर दिया है। वीरवार को जगराओं में पंजाब कांग्रेस द्वारा पांच विधानसभा क्षेत्रों पर आधारित प्रभावशाली रोष रैली की गई, जिसमें पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरेन्द्र सिंह राजा वड़िंग, विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा, उप-नेता राज कुमार चब्बेवाल, विधायक परगट सिंह, सांसद अमर सिंह तथा पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता शामिल थे। यह रैली मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार की नीतियों के विरुद्ध अलग-अलग ज़िलों में की गई 20वीं रैली थी। इसमें कांग्रेस नेताओं द्वारा राज्य में अमन-कानून की बिगड़ी स्थिति, गैंगस्टरों तथा फिरौती वसूलने वाले अपराधियों की बढ़ती कार्रवाईयों, रेत-बजरी के अवैध खनन तथा भ्रष्टाचार आदि के मुद्दों को लेकर राज्य सरकार पर हल्ला बोला गया। रैली में बड़ी संख्या में शामिल लोगों को देख कर ही कांग्रेसियों के हौंसले और भी बुलंद नज़र आए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी की गलत नीतियों के कारण तथा सरकार की आलोचना करने वाले राजनीतिक नेताओं पर झूठे-सच्चे मामले दर्ज करके जेलों में कैद करने की उनकी नीति के कारण लोगों में बेहद रोष पाया जा रहा है तथा सत्तारूढ़ पार्टी का ग्राफ काफी नीचे आ चुका है। इस तरह की स्थिति में यदि कांग्रेस आम आदमी पार्टी के साथ समझौता करके लोकसभा चुनाव लड़ती है तो सत्तारूढ़ पार्टी के विरुद्ध पैदा हुई बेचैनी से कांग्रेस पार्टी को भी नुकसान हो सकता है। यह पहली बार नहीं है जब पंजाब के कांग्रेसियों ने आम आदमी पार्टी के साथ मिल कर लोकसभा चुनाव लड़ने का विरोध किया है। इससे पहले भी अनेक बार राज्य के कांग्रेसी नेता ऐसी भावनाओं की अभिव्यक्ति कर चुके हैं तथा इस संबंध में समय-समय पर कांग्रेस  हाईकमान को भी इससे अवगत करवाते रहे हैं।
दूसरी तरफ कांग्रेस हाईकमान की मजबूरी यह है कि आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा बन चुकी है तथा इंडिया गठबंधन की प्रत्येक बैठक में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल तथा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान शामिल होते हैं। 19 दिसम्बर को नई दिल्ली में इंडिया गठबंधन की हुई बैठक में जब ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इंडिया गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का सुझाव दिया गया तो इसका तुरंत अरविन्द केजरीवाल द्वारा भी समर्थन किया गया। इंडिया गठबंधन के अन्य भागीदार भी कांग्रेस पर आम आदमी पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ने के लिए दबाव डाल रहे हैं। इंडिया गठबंधन की बैठक के बाद पत्रकारों को सम्बोधित करते हुये मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा था कि गठबंधन में शामिल सभी पार्टियां एकजुट होकर चुनाव लड़ने के लिए सहमत हैं तथा इस उद्देश्य के लिए शीघ्र ही सीटों के विभाजन की प्रक्रिया को पूर्ण कर लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि दिल्ली तथा पंजाब में गठबंधन को पेश आ रहीं मुश्किलों का भी हल ढूंढ लिया जाएगा। उनका स्पष्ट संकेत यह था कि कांग्रेस हाईकमान दिल्ली तथा पंजाब में आम आदमी पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ने की समर्थक है। ऐसी स्थिति में पंजाब के कांग्रेस नेताओं के लिए बेहद मुश्किल स्थिति पैदा होने वाली है। जिस प्रकार पंजाब के कांग्रेस नेता सरेआम आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का विरोध कर रहे हैं और आम आदमी पार्टी द्वारा जिस प्रकार गत लम्बे समय से कांग्रेसी नेताओं को भ्रष्टाचार के नाम पर पकड़-पकड़ कर जेलों में बंद किया जा रहा है, उसके दृष्टिगत ऐसा बेहद मुश्किल प्रतीत होता है कि दोनों पार्टियां मिल कर राज्य में चुनाव लड़ सकेंगी। यह भी हो सकता है कि यदि कांग्रेस हाईकमान द्वारा पंजाब के कांग्रेस नेताओं पर इस उद्देश्य के लिए दबाव डाला जाता है तो कांग्रेस में बगावत हो जाए। पंजाब में कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी के बीच दूरी तथा कटुता बढ़ने का मुख्य कारण यह है कि भगवंत मान की सरकार ने अपने विरोधियों के प्रति बेहद असहनशीलता की नीति तैयार की हुई है और एक प्रकार से विपक्षी पार्टियों के नेताओं के विरुद्ध दमन चक्र चलाया जा रहा है। सरकार के विरुद्ध ज्यादा बोलने वाले सुखपाल सिंह खैहरा को नशों से संबंधित एक पुराने मामले में पुन: एफआईआर दर्ज करके जेल भेज दिया गया है। अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को भी पुन: जेल में भेजने के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार पूरा ज़ोर लगा रही है। इस प्रकार की नीति इससे पहले राज्य सरकार ने बहुत-से कांग्रेसी तथाअन्य पार्टियों के नेताओं के प्रति भी अपनाए रखी है। 
जब राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी अपने विरोधियों के खिलाफ इस प्रकार की दमनकारी नीति पर चल रही हो, उस समय उसके साथ कोई भी पार्टी मिल कर चुनाव लड़ने के लिए कैसे तैयार हो सकती है? ऐसी स्थिति का ही सामना कांग्रेस पार्टी कर रही है। हम समझते हैं कि इसके लिए मुख्य तौर पर भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी द्वारा अपने विरोधियों के प्रति अपनाई गई असहनशीलता की नीति ज़िम्मेदार है। मुख्यमंत्री भगवंत मान अपने विरोधी नेताओं के खिलाफ बयान देते समय स्वयं भी जिस प्रकार की शब्दावली इस्तेमाल करते हैं और जिस प्रकार उनका उपहास करने की कोशिश करते हैं, उसके दृष्टिगत कटुता ही बढ़ सकती है, किसी भी पार्टी के साथ आम आदमी पार्टी  का किसी भी मुद्दे पर तालमेल होना तो बहुत दूर की बात है।